सीकर. जिले के ब्लड बैंक में खून की कमी को लेकर प्रशासन की अपील का बड़ा असर हुआ है. एक वक्त था जब कोरोना महामारी के चलते सीकर के ब्लड बैंक में लगभग खून खत्म होने वाला था, लेकिन उसके बाद जिले के युवाओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करके इस कमी को पूरा कर दिया. गांव-गांव में छोटे-छोटे कैंप लगवाए और लोग खुद चलकर ब्लड बैंक पहुंचे. इस वक्त इस महामारी से लड़ने के लिए इसी तरह के जज्बे की जरूरत है.
कोरोना वायरस को लेकर जब देशभर में लॉकडाउन हुआ तो काफी दिन तक कहीं पर भी रक्तदान शिविरों का आयोजन नहीं हो पाया. न तो कोई ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंचा और न ही ब्लड बैंक के कर्मचारी कहीं जाकर शिविर में ब्लड ले पाए. इस वजह से जिले भर के सभी ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई. यहां तक कि निजी अस्पतालों में तो बिल्कुल ही कम खून बचा था.
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वहीं थैलेसीमिया एनीमिया के मरीजों, डायलिसिस सिजेरियन डिलीवरी में सबसे ज्यादा रक्त की जरूरत होती है. जब खून खत्म होने लगा तो स्वास्थ्य विभाग ने छोटे-छोटे शिविर लगाने का फैसला किया और ईटीवी भारत ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. इसका असर यह हुआ कि लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने लगे और उसके बाद उन्हें पास मिले, जिसके जरिए वे ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंचे.
10 दिन में लग गए 10 शिविर
ब्लड बैंक में खून की कमी का मामला सामने आने के बाद जिले में लगातार छोटे-छोटे रक्तदान शिविर लगाए गए. लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रक्तदान किया. इसके साथ ही जो लोग खुद चलकर ब्लड बैंक पहुंचे. उन्होंने भी लॉकडाउन का पालन करते हुए रक्तदान किया. पिछले 10 दिन में जिले में 10 छोटे-छोटे शिविर लगाए गए. ये शिविर कई गांव में भी लगे. इसका परिणाम ये निकला आज सीकर के मुख्य अस्पताल के ब्लड बैंक में हर ग्रुप का ब्लड उपलब्ध है. आज भी 478 यूनिट रक्त उपलब्ध है.