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SPECIAL: कोरोना के खिलाफ जंग में मिसाल बना सीकर, सीमित संसाधनों के साथ भी किया कमाल - कोरोना वायरस से जुड़ी खबर

राजस्थान में कोरोना का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में जितने टेस्ट हो रहे हैं, उतने ही पॉजिटिव केस मिल रहे हैं. सरकार और पुलिस पूरी तरह से कोरोना की रोकथाम में जुटी हुई है. वहीं सीकर जिले में भी इस कोरोना काल में ऐसे दो प्रयोग किए, जिन्हें पूरे प्रदेश में और देश में भी कई जगह लागू किया गया और आज यह प्रयोग सबसे ज्यादा चल रहे हैं. क्या हैं वो 2 चीजें जानने के लिए देखें यह विशेष रिपोर्ट...

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सीकर के ये दो प्रयोग प्रदेशभर में हुए लागू
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Published : Aug 31, 2020, 10:15 PM IST

सीकर. कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जोर ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच पर दिया जा रहा है. देश भर में कहा जा रहा है कि सैंपल की संख्या बढ़ाई जाएगी, तो कोरोना से जल्द ही निजात मिल पाएगी. हालांकि इस वायरस के आने के बाद ही सब तरह की तकनीक और इलाज विकसित किया जा रहा है. लेकिन सीकर जिले में भी इस कोरोना काल में ऐसे दो प्रयोग किए, जिन्हें पूरे प्रदेश में और देश में भी कई जगह लागू किया गया और आज यह प्रयोग सबसे ज्यादा चल रहे हैं. सबसे पहले सीकर में इन पर काम किया गया और उसके बाद सब जगह इन्हें माना गया. बात चाहे 300 की क्षमता वाली मशीनों से 1,000 से ज्यादा सैंपल की जांच करने की हो या फिर सबसे पहले डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल बनाने की.

सीकर के ये दो प्रयोग प्रदेशभर में हुए लागू

सीकर जिले की बात करें तो यहां पर श्री कल्याण मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस की जांच के लिए लैब बनाई गई थी. इस लैब में दो मशीनें भेजी गईं. जिन पर 1 दिन में 300 सैंपल की जांच हो सकती थी. लेकिन जब जिले में संदिग्ध मरीज बढ़ने लगे और प्रवासियों का आवागमन शुरू हुआ, तो ज्यादा से ज्यादा सैंपल जांच की जरूरत पड़ी उस वक्त सीकर में सबसे पहले पूल बनाकर सैंपल जांच शुरू की गई.

'250 बेड का पहला कोविड अस्पताल'

आज पूरे देश में ज्यादातर जगह पूल सैंपल से ही जांच हो रही है. इसकी शुरुआत सबसे पहले सीकर में हुई. इसके अलावा सबसे पहले सीकर में 250 बेड का अलग से कोविड-19 अस्पताल बनाया गया, जिसमें सभी सुविधाएं स्थापित की गई. फिलहाल सीकर में सभी ब्लॉक पर अलग से कोरोना वायरस के इलाज के लिए अस्थाई अस्पताल बनाए गए हैं और वहीं पर पॉजिटिव मरीजों को रखा जाता है. पहले से चल रहे किसी भी सरकारी अस्पताल में एक भी मरीज को नहीं रखा जा रहा है. इसके बाद प्रदेश में भी कई जगह डेडीकेटेड कोविड-19 बनाए गए.

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250 बेड का पहला कोविड अस्पताल

क्या है पूल सैंपलिंग?

सीकर जिले में सबसे पहले पूल बनाकर सैंपल शुरू किए गए. इसका मतलब यह है कि हर दिन जितने सैंपल आते हैं, उन सबको पांच-पांच सैंपल का पूल बनाया जाता है. इसके बाद पूल की जांच शुरू की जाती है. अगर पूल पूरा नेगेटिव है. तो उन पांचों लोगों को नेगेटिव माना जाता है. अगर पूल की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसके बाद जिन 5 लोगों का पूल बनाया गया था. उनके सैंपल की अलग-अलग जांच की जाती है और यह बताया जाता है कि कौन सा व्यक्ति पॉजिटिव है.

यह भी पढे़ं : Special : नया मुकाम, नई पहचान...लेक सिटी को अब फिल्म सिटी के नाम से भी जाना जाएगा

इस वजह से हर दिन ज्यादा सैंपल की जांच हो जाती है और रिपोर्ट भी जल्द मिल जाती है. यही कारण है कि सीकर में अब तक 75 हजार सैंपल की जांच हो चुकी है. अब एक मशीन और आने वाली है और उसके साथ ही हर दिन 3000 सैंपल की जांच की जाएगी.

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जिले में पहली बार शुरू की गई पूल टेस्टिंग

हर ब्लॉक में अलग से कोविड अस्पताल

सीकर में सबसे पहले सांवली में डेडीकेटेड कोविड अस्पताल बनाया गया था. जिले में जब पॉजिटिव की संख्या बढ़ने लगी, तो पूरे जिले से यहीं पर मरीजों को भेजा जाने लगा. लेकिन उसके बाद जब और ज्यादा संख्या बढ़ी, तो फिर हर ब्लॉक स्तर पर भी इस तरह के अस्पताल बना दिए गए. आज सीकर जिले की तारीफ हर जगह हो रही है. कोरोना से लड़ने और नई तकनीकों को इजाद करने में जिले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

सीकर. कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जोर ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच पर दिया जा रहा है. देश भर में कहा जा रहा है कि सैंपल की संख्या बढ़ाई जाएगी, तो कोरोना से जल्द ही निजात मिल पाएगी. हालांकि इस वायरस के आने के बाद ही सब तरह की तकनीक और इलाज विकसित किया जा रहा है. लेकिन सीकर जिले में भी इस कोरोना काल में ऐसे दो प्रयोग किए, जिन्हें पूरे प्रदेश में और देश में भी कई जगह लागू किया गया और आज यह प्रयोग सबसे ज्यादा चल रहे हैं. सबसे पहले सीकर में इन पर काम किया गया और उसके बाद सब जगह इन्हें माना गया. बात चाहे 300 की क्षमता वाली मशीनों से 1,000 से ज्यादा सैंपल की जांच करने की हो या फिर सबसे पहले डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल बनाने की.

सीकर के ये दो प्रयोग प्रदेशभर में हुए लागू

सीकर जिले की बात करें तो यहां पर श्री कल्याण मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस की जांच के लिए लैब बनाई गई थी. इस लैब में दो मशीनें भेजी गईं. जिन पर 1 दिन में 300 सैंपल की जांच हो सकती थी. लेकिन जब जिले में संदिग्ध मरीज बढ़ने लगे और प्रवासियों का आवागमन शुरू हुआ, तो ज्यादा से ज्यादा सैंपल जांच की जरूरत पड़ी उस वक्त सीकर में सबसे पहले पूल बनाकर सैंपल जांच शुरू की गई.

'250 बेड का पहला कोविड अस्पताल'

आज पूरे देश में ज्यादातर जगह पूल सैंपल से ही जांच हो रही है. इसकी शुरुआत सबसे पहले सीकर में हुई. इसके अलावा सबसे पहले सीकर में 250 बेड का अलग से कोविड-19 अस्पताल बनाया गया, जिसमें सभी सुविधाएं स्थापित की गई. फिलहाल सीकर में सभी ब्लॉक पर अलग से कोरोना वायरस के इलाज के लिए अस्थाई अस्पताल बनाए गए हैं और वहीं पर पॉजिटिव मरीजों को रखा जाता है. पहले से चल रहे किसी भी सरकारी अस्पताल में एक भी मरीज को नहीं रखा जा रहा है. इसके बाद प्रदेश में भी कई जगह डेडीकेटेड कोविड-19 बनाए गए.

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250 बेड का पहला कोविड अस्पताल

क्या है पूल सैंपलिंग?

सीकर जिले में सबसे पहले पूल बनाकर सैंपल शुरू किए गए. इसका मतलब यह है कि हर दिन जितने सैंपल आते हैं, उन सबको पांच-पांच सैंपल का पूल बनाया जाता है. इसके बाद पूल की जांच शुरू की जाती है. अगर पूल पूरा नेगेटिव है. तो उन पांचों लोगों को नेगेटिव माना जाता है. अगर पूल की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसके बाद जिन 5 लोगों का पूल बनाया गया था. उनके सैंपल की अलग-अलग जांच की जाती है और यह बताया जाता है कि कौन सा व्यक्ति पॉजिटिव है.

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इस वजह से हर दिन ज्यादा सैंपल की जांच हो जाती है और रिपोर्ट भी जल्द मिल जाती है. यही कारण है कि सीकर में अब तक 75 हजार सैंपल की जांच हो चुकी है. अब एक मशीन और आने वाली है और उसके साथ ही हर दिन 3000 सैंपल की जांच की जाएगी.

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जिले में पहली बार शुरू की गई पूल टेस्टिंग

हर ब्लॉक में अलग से कोविड अस्पताल

सीकर में सबसे पहले सांवली में डेडीकेटेड कोविड अस्पताल बनाया गया था. जिले में जब पॉजिटिव की संख्या बढ़ने लगी, तो पूरे जिले से यहीं पर मरीजों को भेजा जाने लगा. लेकिन उसके बाद जब और ज्यादा संख्या बढ़ी, तो फिर हर ब्लॉक स्तर पर भी इस तरह के अस्पताल बना दिए गए. आज सीकर जिले की तारीफ हर जगह हो रही है. कोरोना से लड़ने और नई तकनीकों को इजाद करने में जिले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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