सीकर. बाल वाहिनी आज भी स्कूलों की मनमर्जी के हिसाब से चल रही है. कई बार केंद्र और राज्य सरकार इनके लिए गाइड लाइन जारी कर चुके हैं. वहीं कई बार जिले के आला अधिकारी बाल वाहिनियों को लेकर निर्देश जारी कर चुके हैं. लेकिन इसके बाद भी बच्चों की सुरक्षा से इनका कोई सरोकार नहीं है.
बता दें कि स्कूल संचालक बाल वाहिनीओं में सफर करने वालें स्टाफ और इनके ड्राइवर भले ही सुरक्षा से चलने के दावे करते हैं. लेकिन आज भी ज्यादातर बाल वाहिनी ओवरलोड चल रही है. वहीं कुछ ऐसी गाड़ियों में बच्चों को ले जाए जा रहा हैं. जो बाल वाहिनी में रजिस्टर्ड ही नहीं है. जब ईटीवी भारत की टीम ने सीकर में बाल वाहिनी की जांच-पड़ताल की तो हकीकत सामने आई. सीकर यातायात पुलिस की टीम ने जब बाल वाहिनी को रोककर जांच की तो ज्यादातर वाहनों में क्षमता से ज्यादा बच्चे मिलें. इसके अलावा कई में तो सुरक्षा का एक भी मानदंड पूरा नहीं था.
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जिन बाल वाहिनी की जांच की गई उनको तो पुलिस ने नियम से चलने की नसीहत दी है. कुछ मौके पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई. जिले में अन्य जगहों पर हजारों बाल वाहिनी चल रही है. जब तक स्कूल प्रबंधन इन को लेकर सख्त नहीं होंगे तब तक बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहेगी.
यह खामियां भी आई सामने
जब बाल वाहिनी की जांच की गई तो कुछ अन्य खामियां भी सामने आई. क्षमता से ज्यादा बच्चे तो हर स्कूल बस में मिलें. इसके अलावा बोलेरो, जीप और मारुति वैन जैसे प्राइवेट वाहन भी स्कूलों में बच्चों को ले जाते हुए मिलें. जबकि इनके पास बाल वाहिनी का परमिट भी नहीं था. इन वाहिनियों का रंग भी अलग तरह का था. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे वाहनों को स्कूल प्रबंधन बाल वाहिनी के रूप में क्यों काम में लेने देते हैं. कब स्कूल प्रशासन बाल वाहिनियों में सुरक्षा के सभी मानदंड को पूरा करता है और मासूम बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ बंद करता है.