राजसमंद. जिले में कोरोना संकट के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती, धात्री महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर पूरक पोषाहार के रूप में गेहूं और चना दाल मुहैया करवाई जा रहा है.
आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पंजीकृत लाभार्थियों को वर्ष में 300 दिन पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए अब चना दाल, गेहूं दिए जा रहे हैं. उप निदेशक महिला और बाल विकास विभाग शांता मेघवाल ने बताया कि समेकित बाल विकास सेवाएं योजना के तहत जिले में 1 हजार 167 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं. इसमें 18 हजार 848 गर्भवती और धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं.
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वहीं स्कूल नहीं जाने वाली 230 किशोरी हैं और 6 माह से 3 वर्ष तक जिले में 37 हजार 35 बच्चें है. जिले में आए प्रवासी श्रमिको को भी पंजीकृत किया जाकर लाभान्वित किया जा रहा है. यह व्यवस्था कोरोना वायरस की प्रभाव अवधि तक लागू होगी. दाल के रूप में चना दाल की आपूर्ति भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ द्वारा की जा रही है. जिसे राजस्थान राज्य खाद्य और आपूर्ति निगम की ओर से राशन डीलर को आपूर्ति की जा रही है.
इस प्रकार मिलेगी पोषाहार सामग्री
गर्भवती, धात्री महिलाएं और 11-14 वर्ष की स्कूल ना जाने वाली किशोरी बालिकाओं को 3 किलोग्राम गेहूं मिलेगा. वहीं 6 माह से 6 वर्ष के बच्चे को 2 किलोग्राम गेहूं मिलेगा और 6 माह से 6 वर्ष तक के अति कम वजन वाले बच्चे को 3 किलोग्राम गेहूं मिलेगा.
साथ ही गर्भवती, धात्री महिलाएं और 11-14 वर्ष की स्कूल ना जाने वाली किशोरी बालिकाओं को 1 किलोग्राम, 6 माह से 6 वर्ष के बच्चे को 1 किलोग्राम और 6 माह से 6 वर्ष तक के तक के अति कम वजन वाले बच्चे को 2 किलोग्राम चना दाल के रूप में पोषाहार सामग्री का वितरण किया जाएगा.
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लाभान्वितों को माह में एक बार 25 दिन के लिए सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. गेहूं और दाल का महिला और बाल विकास विभाग की ओर से जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण अंचल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, सहायिका की ओर से घर-घर जाकर वितरण किया जा रहा है.