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SPECIAL : 'महंगी' पड़ रही चाय की चुस्की...असम में बाढ़ और कोरोना की मार बना कारण

कोरोना महामारी ने हर तरह के उद्योग धंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस महामारी में लोगों का सरदर्द दूर करने वाली चाय पत्ती दाम बढ़ने से लोगों का सिरदर्द बनती जा रही है. लॉकडाउन के दौरान समय पर कटाई न होने से चाय पत्ती के दामों में 70 से 100 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है. देखें पूरी रिपोर्ट...

Corona effect on tea, Tea leaf rate increases
चाय पत्ती के रेट में आया उछाल
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Published : Sep 9, 2020, 3:35 PM IST

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति को गहरी चोट पहुंचाई है. यही वजह है कि भारत की जीडीपी भी इस महामारी की वजह से काफी नीचे गिरती हुई दिखाई दे रही है. इस महामारी ने हर सेक्टर पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है. खास करके खाद्य सामग्री की वस्तुओं पर कोरोना की वजह से काफी प्रभाव देखा जा रहा है.

चाय पत्ती के रेट में आया उछाल

वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में चाय पत्ती के दाम भी आम लोगों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. एक तरफ जहां चाय पत्ती स्वयं लोगों का सिरदर्द दूर करती है, लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से चाय पत्ती की बागान में लेबर कम होने से कटाई समय पर नहीं हो पाई. इनके साथ ही अन्य कारणों की वजह से चाय पत्ती के दाम लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. यही वजह है कि चाय पत्ती के दाम इस कोरोना के 6 महीने के भीतर 70 से 100 तक की बढ़ोतरी हुई है.

पढ़ें- Special : कलाकारों पर कोरोना की मार, नहीं छेड़ पा रहे सुरों के 'तान'

ईटीवी भारत की टीम भी जानने के लिए निकली कि चाय पत्ती के दाम में एकदम से आए उछाल के क्या मुख्य कारण हैं. इसे जानने के लिए हमारी टीम राजसमंद जिले के चाय के थोक विक्रेताओं के पास पहुंची. हमारी मुलाकात सबसे पहले विशाल से हुई, उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से चाय की पैदावार भी इस बार कम हुई है. क्योंकि चाय की सबसे ज्यादा आवक असम राज्य में होती है. इस बार असम में बाढ़ आने की वजह से अधिकांश जिलों में पानी भर गया. जहां चाय की फसल को भी काफी बाढ़ की त्रासदी के कारण आघात पहुंचा है.

वहीं, उन्होंने बताया कि कुछ बड़े विक्रेताओं द्वारा चाय के पत्तियों को स्टॉक भी कर लिया जाता है. इनके बाद हमारी मुलाकात बृजेश से हुई, उन्होंने बताया कि इस बार चाय पत्ती के बागान में पत्ती की कटाई भी लॉकडाउन की वजह से पूर्ण रूप से नहीं हो पाई. दूसरी तरफ 15 सालों के भीतर पहली बार असम में इतनी बड़ी बारिश आई, जिसका प्रभाव भी चाय पत्ती के व्यवसाय पर भी पड़ा है. उन्होंने बताया कि लगातार बाजार में चाय पत्ती की खपत बढ़ रही है, लेकिन चाय पत्ती का स्टॉक पहले की मात्रा में कम आ रहा है.

पढ़ें- Special : कोरोना काल में निजी अस्पतालों की मनमानी पर नकेल...मॉनिटरिंग के साथ कार्रवाई भी करेगी सरकार

चाय पत्ती के रेट में एकाएक हुई बढ़ोतरी से ज्यादा चाय की लारी लगाने वाले विक्रेताओं पर भी खासा प्रभाव पड़ा है. वहीं दूसरी तरफ मिडिल क्लास के लोगों की जेब पर भी कोरोना ने गहरा प्रभाव छोड़ा है.

बता दें कि चाय 250 रुपये से लेकर 320, 450 और अन्य अलग-अलग कंपनी के भाव अनुसार बिक रही है. खासकर के सभी चाय पत्ती की कंपनियों में 70 से 100 तक की बढ़ोतरी आई है. यह बढ़ोतरी लॉकडाउन और कोरोना की शुरुआत से लेकर अब तक की है. अब देखना होगा कि जो चाय पत्ती लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है, इसके रेट में गिरावट कब आती है.

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति को गहरी चोट पहुंचाई है. यही वजह है कि भारत की जीडीपी भी इस महामारी की वजह से काफी नीचे गिरती हुई दिखाई दे रही है. इस महामारी ने हर सेक्टर पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है. खास करके खाद्य सामग्री की वस्तुओं पर कोरोना की वजह से काफी प्रभाव देखा जा रहा है.

चाय पत्ती के रेट में आया उछाल

वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में चाय पत्ती के दाम भी आम लोगों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. एक तरफ जहां चाय पत्ती स्वयं लोगों का सिरदर्द दूर करती है, लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से चाय पत्ती की बागान में लेबर कम होने से कटाई समय पर नहीं हो पाई. इनके साथ ही अन्य कारणों की वजह से चाय पत्ती के दाम लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. यही वजह है कि चाय पत्ती के दाम इस कोरोना के 6 महीने के भीतर 70 से 100 तक की बढ़ोतरी हुई है.

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ईटीवी भारत की टीम भी जानने के लिए निकली कि चाय पत्ती के दाम में एकदम से आए उछाल के क्या मुख्य कारण हैं. इसे जानने के लिए हमारी टीम राजसमंद जिले के चाय के थोक विक्रेताओं के पास पहुंची. हमारी मुलाकात सबसे पहले विशाल से हुई, उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से चाय की पैदावार भी इस बार कम हुई है. क्योंकि चाय की सबसे ज्यादा आवक असम राज्य में होती है. इस बार असम में बाढ़ आने की वजह से अधिकांश जिलों में पानी भर गया. जहां चाय की फसल को भी काफी बाढ़ की त्रासदी के कारण आघात पहुंचा है.

वहीं, उन्होंने बताया कि कुछ बड़े विक्रेताओं द्वारा चाय के पत्तियों को स्टॉक भी कर लिया जाता है. इनके बाद हमारी मुलाकात बृजेश से हुई, उन्होंने बताया कि इस बार चाय पत्ती के बागान में पत्ती की कटाई भी लॉकडाउन की वजह से पूर्ण रूप से नहीं हो पाई. दूसरी तरफ 15 सालों के भीतर पहली बार असम में इतनी बड़ी बारिश आई, जिसका प्रभाव भी चाय पत्ती के व्यवसाय पर भी पड़ा है. उन्होंने बताया कि लगातार बाजार में चाय पत्ती की खपत बढ़ रही है, लेकिन चाय पत्ती का स्टॉक पहले की मात्रा में कम आ रहा है.

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चाय पत्ती के रेट में एकाएक हुई बढ़ोतरी से ज्यादा चाय की लारी लगाने वाले विक्रेताओं पर भी खासा प्रभाव पड़ा है. वहीं दूसरी तरफ मिडिल क्लास के लोगों की जेब पर भी कोरोना ने गहरा प्रभाव छोड़ा है.

बता दें कि चाय 250 रुपये से लेकर 320, 450 और अन्य अलग-अलग कंपनी के भाव अनुसार बिक रही है. खासकर के सभी चाय पत्ती की कंपनियों में 70 से 100 तक की बढ़ोतरी आई है. यह बढ़ोतरी लॉकडाउन और कोरोना की शुरुआत से लेकर अब तक की है. अब देखना होगा कि जो चाय पत्ती लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है, इसके रेट में गिरावट कब आती है.

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