जयपुर. राजसमंद में बिन मां की 7 साल की मासूम को उसके चचेरे भाई भाभी की ओर से सिगरेट से जलाए जाने और नाखून उखाड़कर प्रताड़ना दिए जाने का मामला सामने आया था. खबर के मीडिया में प्रकाशित होने के बाद अब राज्य मानव अधिकार आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी सख्त हो गया है. राज्य मानव अधिकार आयोग ने जहां पुलिस महानिदेशक के साथ ही जिले के आला पुलिस अधिकारी और कलेक्टरों को नोटिस जारी कर 15 दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.
वहीं, बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए 3 दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की है. राज्य मानवाधिकार आयोग सदस्य जस्टिस महेश चंद शर्मा ने समाचार पत्रों में छपी खबर के आधार पर ही संज्ञान लेते हुए इस मामले में पुलिस महानिदेशक, महा निरीक्षक पुलिस उदयपुर रेंज, जिला कलेक्टर राजसमंद और पुलिस अधीक्षक राजसमंद को नोटिस जारी कर इस मामले की संपूर्ण रिपोर्ट और एफ आई आर देरी से दर्ज होने के संबंध में भी जांच की रिपोर्ट 15 दिवस की अवधि में पेश करने के निर्देश दिए हैं.
आयोग ने समाचार पत्रों में प्रकाशित इस घटना को जघन्य और घृणित मानते हुए मानवता को शर्मसार करने वाली बताया है. यह भी लिखा कि 7 साल की बालिका पर किया गया अत्याचार और क्रूरतापूर्ण व्यवहार सभ्य समाज में एक दाग है. इस प्रकार की घटना समाज में फैल रही विकृति को दर्शाती है और घटते सामाजिक मूल्यों का प्रतीक भी है. बाल संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव ने इसके निर्देश भी जारी किए.
निर्देश में हाल ही में एक समाचार पत्र में प्रकाशित इस खबर का उल्लेख भी किया गया और यह भी कहा गया कि बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 17 के तहत किया गया आयोग के गठन में धारा 14 के अंतर्गत अधिकारों से संपन्न वैधानिक संस्था के रूप में बाल अधिकारों के हनन की शिकायतों को सिविल प्रक्रिया संहिता 1960 के अंतर्गत सुनकर निर्णय दिया जा सकता है. जिसके तहत नोटिस जारी किया गया है. इसकी प्रतिलिपि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सिविल राइट्स जयपुर और पुलिस महानिरीक्षक उदयपुर रेंज को भी दी गई है.