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SPECIAL : स्कूल-कॉलेज बंद, बैग कारोबारियों का धंधा पड़ा मंदा

वैश्विक महामारी के कारण छोटे-बड़े सभी कारोबारियों का धंधा चार माह से मंदा पड़ा है. स्कूल-कॉलेज बंद हैं जिससे सबसे अधिक परेशानी स्कूल बैग विक्रेताओं को है. उनका कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा है. उनके लिए घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल बैग विक्रेताओं से बातचीत कर उनका हाल जाना. पेश है खास रिपोर्ट...

Bag-sellers business was disrupted due to the closure of school-college
स्कूल-कॉलेज बंद होने से बैग विक्रेताओं धंधा पड़ा मंदा
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Published : Aug 11, 2020, 7:11 PM IST

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना ने समाज के हर वर्ग को आर्थिक रूप से काफी नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन के कारण छोटे-बड़े सभी कारोबारियों का धंधा मंदा पड़ा है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद बाजार खुल गए हैं लेकिन स्कूल-कॉलेज बंद ही हैं. ऐसे में स्कूल बैग विक्रेताओं का कारोबार ठप पड़ा है. बैग विक्रेताओं की दुकानों पर सन्नाटा पसरा रहता है. जून, जुलाई में हर साल इनका कारोबार अच्छा चलता था लेकिन इस बार महामारी के कारण यह मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं.

स्कूल-कॉलेज बंद होने से बैग विक्रेताओं धंधा पड़ा मंदा

देश और प्रदेश में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार ने स्कूल और कॉलेज को बंद करने का ऐलान किया है. लेकिन स्कूल और कॉलेज बंद होने से व्यापारियों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है. स्कूल बैग विक्रेताओं की हालत कोरोना काल ने ज्यादा ही खस्ता है. जिले में काफी संख्या में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. लेकिन स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा है. बैग की बिक्री न के बराबर हो रही है.

Customers not visible at bag shops
बैग की दुकानों पर नहीं दिख रहे ग्राहक

स्कूल बैग विक्रेताओं ने बताया कि दिसंबर-जनवरी में ही स्कूल बैग के लिए आर्डर दे दिया गया था. कुछ ही दिनों में माल आने पर स्टोर भी कर लिया गया. लेकिन लाखों का माल महामारी के कारण धरा का धरा रह गया. दुकानदारों की माने तो लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से व्यवसाय पूरी तरह ठप रहा. अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्कूल बंद होने से व्यवसाय रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा. दिन में इक्का-दुक्का ग्राहक ही स्कूल बैग खरीदने आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: झाड़ू बनाकर बेचने वाले बागरिया समाज के काम व आय पर लगा कोरोना का ब्रेक

उन्होंने बताया कि जून-जुलाई कारोबार का पीक टाइम होता है. इन दोनों महीनों में हमारा सबसे अच्छा कोरोबार होता है. क्योंकि स्कूल खुलते ही बच्चों के लिए लोग बैग खरीदते हैं. लेकिन इस बार स्कूल न खुलने से बैग बिकना तो दूर, खरीदे हुए माल का ब्याज भी घर से ही देना पड़ रहा है. स्कूल बैग विक्रेता हरि शंकर ने बताया कि वह काफी सालों से इस कारोबार में हैं. हर साल जुलाई महीने में करीब 1 से डेढ़ लाख की सेल हो जाती है, लेकिन इस बार जुलाई में 10 से 15000 रुपये तक का माल ही बिक पाया है. हालात ये है कि दुकान का भाड़ा देना भी जेब पर भार पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें : स्पेशल: 'अनलॉक टूरिज्म' का पैगाम दे रहे कारोबारी, राजस्थान से दिया सैलानियों को न्योता

स्कूल बैग विक्रेता कैलाश की मानें तो उन्होंने बताया कि 4 महीने से कारोबार ठप पड़ा है. जुलाई-अगस्त का महीना स्कूल बैग की बिक्री के लिए महत्वपूर्ण रहता है. लेकिन कोरोना की वजह से इस बार दुकान पर सन्नाटा पसरा रहता है. कारोबारियों का लाखों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. जिले भर में कई दुकानदार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, लेकिन स्कूल बंद होने से बैग कारोबारियों की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है. अब दुकानदार यही उम्मीद कर रहे हैं कि ये महामारी खत्म हो और स्कूल-कॉलेज पहले की तरह खुल जाएं ताकि उनका कारोबार भी रफ्तार पकड़ ले.

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना ने समाज के हर वर्ग को आर्थिक रूप से काफी नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन के कारण छोटे-बड़े सभी कारोबारियों का धंधा मंदा पड़ा है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद बाजार खुल गए हैं लेकिन स्कूल-कॉलेज बंद ही हैं. ऐसे में स्कूल बैग विक्रेताओं का कारोबार ठप पड़ा है. बैग विक्रेताओं की दुकानों पर सन्नाटा पसरा रहता है. जून, जुलाई में हर साल इनका कारोबार अच्छा चलता था लेकिन इस बार महामारी के कारण यह मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं.

स्कूल-कॉलेज बंद होने से बैग विक्रेताओं धंधा पड़ा मंदा

देश और प्रदेश में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार ने स्कूल और कॉलेज को बंद करने का ऐलान किया है. लेकिन स्कूल और कॉलेज बंद होने से व्यापारियों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है. स्कूल बैग विक्रेताओं की हालत कोरोना काल ने ज्यादा ही खस्ता है. जिले में काफी संख्या में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. लेकिन स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा है. बैग की बिक्री न के बराबर हो रही है.

Customers not visible at bag shops
बैग की दुकानों पर नहीं दिख रहे ग्राहक

स्कूल बैग विक्रेताओं ने बताया कि दिसंबर-जनवरी में ही स्कूल बैग के लिए आर्डर दे दिया गया था. कुछ ही दिनों में माल आने पर स्टोर भी कर लिया गया. लेकिन लाखों का माल महामारी के कारण धरा का धरा रह गया. दुकानदारों की माने तो लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से व्यवसाय पूरी तरह ठप रहा. अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्कूल बंद होने से व्यवसाय रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा. दिन में इक्का-दुक्का ग्राहक ही स्कूल बैग खरीदने आ रहे हैं.

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उन्होंने बताया कि जून-जुलाई कारोबार का पीक टाइम होता है. इन दोनों महीनों में हमारा सबसे अच्छा कोरोबार होता है. क्योंकि स्कूल खुलते ही बच्चों के लिए लोग बैग खरीदते हैं. लेकिन इस बार स्कूल न खुलने से बैग बिकना तो दूर, खरीदे हुए माल का ब्याज भी घर से ही देना पड़ रहा है. स्कूल बैग विक्रेता हरि शंकर ने बताया कि वह काफी सालों से इस कारोबार में हैं. हर साल जुलाई महीने में करीब 1 से डेढ़ लाख की सेल हो जाती है, लेकिन इस बार जुलाई में 10 से 15000 रुपये तक का माल ही बिक पाया है. हालात ये है कि दुकान का भाड़ा देना भी जेब पर भार पड़ रहा है.

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स्कूल बैग विक्रेता कैलाश की मानें तो उन्होंने बताया कि 4 महीने से कारोबार ठप पड़ा है. जुलाई-अगस्त का महीना स्कूल बैग की बिक्री के लिए महत्वपूर्ण रहता है. लेकिन कोरोना की वजह से इस बार दुकान पर सन्नाटा पसरा रहता है. कारोबारियों का लाखों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. जिले भर में कई दुकानदार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, लेकिन स्कूल बंद होने से बैग कारोबारियों की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है. अब दुकानदार यही उम्मीद कर रहे हैं कि ये महामारी खत्म हो और स्कूल-कॉलेज पहले की तरह खुल जाएं ताकि उनका कारोबार भी रफ्तार पकड़ ले.

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