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राजसमंद: अशांत विश्व को शांति का संदेश अणुव्रत जीवनशैली - अशांत विश्व को शांति का संदेश अणुव्रत जीवनशैली

73वें अणुव्रत स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को अणुव्रत विश्वभारती के तत्वावधान में राजसमंद जिला मुख्यालय स्थित अणुव्रत विश्वभारती परिसर में मीडिया के साथ अणुव्रत संवाद का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेंद्र कर्णावट ने की. जबकि, अध्यक्षता अणुव्रत समिति के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक डूंगरवाल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

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Published : Mar 1, 2021, 3:26 PM IST

राजसमंद. 73वें अणुव्रत स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को अणुव्रत विश्वभारती के तत्वावधान में राजसमंद जिला मुख्यालय स्थित अणुव्रत विश्वभारती परिसर में मीडिया के साथ अणुव्रत संवाद का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेंद्र कर्णावट ने की. जबकि, अध्यक्षता अणुव्रत समिति के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक डूंगरवाल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

अशांत विश्व को शांति का संदेश अणुव्रत जीवनशैली...

डॉ. महेंद्र कुमावत ने बताया कि मानवीय मूल्यों पर आधारित अनुरोध का दर्शन जीवन के हर पहलू को छूता है. अणुव्रत एक संपूर्ण जीवन शैली है. यह अहिंसक और संयम प्रधान जीवन शैली है, जो उपभोग वाली जीवनशैली का एक बेहतरीन विकल्प है. अशोक डूंगरवाल ने बताया कि उनका जीवन शैली व्यक्ति को जीवन मूल्यों से जोड़कर एक स्वाभिमानी आत्मनिर्भर और संपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण में योग भूत बनती है. अणुव्रत समिति की सदस्य सीमा कावड़िया ने वर्तमान जीवन शैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के समय में परिवार के लोग मोबाइल और इंटरनेट के जरिए करते जा रहे हैं. ऐसे में भौतिक विद्या विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास का सहज और सरल तरीका अनुव्रत ही जाता है. उन्होंने बताया कि 1 मार्च 1950 को अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन का उद्देश्य किसी धर्म विशेष से ना होकर बल्कि मानव समाज के कल्याण की कामना को लेकर इसका आगाज किया गया था.

पढ़ें: सदन में उठा अवैध खनन का मुद्दा, मंत्री भाया के जवाब से विपक्ष रहा असंतुष्ट, स्पीकर बोले- अलग से करवाई जाएगी चर्चा

इस अवसर पर डॉ. महेंद्र कर्णावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण अणुव्रत आंदोलन को अपना आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. वे अहिंसा यात्रा के रूप में नैतिक चेतना, सद्भावना और नशा मुक्ति के तीन उद्देश्य को लेकर देश भर की पदयात्रा कर रहे हैं. उन्होंने अब तक 50 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर एक ऐतिहासिक मुकाम भी हासिल किया है. अब तक उनकी पदयात्रा देश के 23 राज्यों के अतिरिक्त नेपाल और भूटान में भी विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लाखों लोगों को लाभान्वित कर चुकी है. डॉ. कर्नावट ने बताया कि आचार्य श्री का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति अणुव्रत के 3 संकल्पों से अपने आप को आत्मसात कर ले तो, इससे हर व्यक्ति का जीवन तो सुखी बनेगा आदर्श समाज की रचना का मार्ग भी प्रशस्त होगा.

राजसमंद. 73वें अणुव्रत स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को अणुव्रत विश्वभारती के तत्वावधान में राजसमंद जिला मुख्यालय स्थित अणुव्रत विश्वभारती परिसर में मीडिया के साथ अणुव्रत संवाद का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेंद्र कर्णावट ने की. जबकि, अध्यक्षता अणुव्रत समिति के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक डूंगरवाल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

अशांत विश्व को शांति का संदेश अणुव्रत जीवनशैली...

डॉ. महेंद्र कुमावत ने बताया कि मानवीय मूल्यों पर आधारित अनुरोध का दर्शन जीवन के हर पहलू को छूता है. अणुव्रत एक संपूर्ण जीवन शैली है. यह अहिंसक और संयम प्रधान जीवन शैली है, जो उपभोग वाली जीवनशैली का एक बेहतरीन विकल्प है. अशोक डूंगरवाल ने बताया कि उनका जीवन शैली व्यक्ति को जीवन मूल्यों से जोड़कर एक स्वाभिमानी आत्मनिर्भर और संपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण में योग भूत बनती है. अणुव्रत समिति की सदस्य सीमा कावड़िया ने वर्तमान जीवन शैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के समय में परिवार के लोग मोबाइल और इंटरनेट के जरिए करते जा रहे हैं. ऐसे में भौतिक विद्या विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास का सहज और सरल तरीका अनुव्रत ही जाता है. उन्होंने बताया कि 1 मार्च 1950 को अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन का उद्देश्य किसी धर्म विशेष से ना होकर बल्कि मानव समाज के कल्याण की कामना को लेकर इसका आगाज किया गया था.

पढ़ें: सदन में उठा अवैध खनन का मुद्दा, मंत्री भाया के जवाब से विपक्ष रहा असंतुष्ट, स्पीकर बोले- अलग से करवाई जाएगी चर्चा

इस अवसर पर डॉ. महेंद्र कर्णावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण अणुव्रत आंदोलन को अपना आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. वे अहिंसा यात्रा के रूप में नैतिक चेतना, सद्भावना और नशा मुक्ति के तीन उद्देश्य को लेकर देश भर की पदयात्रा कर रहे हैं. उन्होंने अब तक 50 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर एक ऐतिहासिक मुकाम भी हासिल किया है. अब तक उनकी पदयात्रा देश के 23 राज्यों के अतिरिक्त नेपाल और भूटान में भी विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लाखों लोगों को लाभान्वित कर चुकी है. डॉ. कर्नावट ने बताया कि आचार्य श्री का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति अणुव्रत के 3 संकल्पों से अपने आप को आत्मसात कर ले तो, इससे हर व्यक्ति का जीवन तो सुखी बनेगा आदर्श समाज की रचना का मार्ग भी प्रशस्त होगा.

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