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राजस्थान की इस पंचायत में शराबबंदी के लिए होने जा रहा है मतदान

राजसमंद जिले की थानेटा ग्राम पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान होने जा रहा है. जिला कलेक्टर ने 9 अप्रैल को मतदान के आदेश दिए हैं. 2016 से पंचायत के लोग शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. राजसमंद राजस्थान का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पहले से ही दो ग्राम पंचायतों काछबली और मण्डावर में शराबबंदी लागू है.

polling for liquor ban,  liquor ban in rajasthan
राजसमंद में शराबबंदी के लिए मतदान
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Published : Feb 21, 2021, 5:29 PM IST

Updated : Feb 21, 2021, 6:52 PM IST

देवगढ़ (राजसमंद). बिहार में शराबबंदी के बाद कई दूसरे राज्यों में भी शराबबंदी की मांग जोर-शोर से उठ रही है. राजस्थान में भी समय-समय पर इसकी मांग उठती रहती है. लेकिन राजसमंद जिले के भीम उपखंड क्षेत्र की थानेटा ग्राम पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान होने जा रहा है. राजसमंद जिला कलेक्टर ने ग्राम पंचायत में शराबबंदी करवाने के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत 9 अप्रैल को मतदान करवाने का आदेश पारित किया है. जिसको लेकर ग्रामीणों ने तैयारी शुरू कर दी है. 2016 से ही इस पंचायत के लोग शराबबंदी लागू करवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.

पढ़ें: गोल्ड अब तक होल्ड : जिस 56 किलो सोने से तौलना था शास्त्रीजी को...उसे अब सेंट्रल जीएसटी डिपार्टमेंट को सौंपने के आदेश

राजसमंद राजस्थान का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पहले से ही दो ग्राम पंचायतों काछबली और मण्डावर में शराबबंदी लागू है. थानेटा ग्राम पंचायत में भी शराबबंदी लागू करवाने के लिए सरपंच दीक्षा चौहान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने 2016 में आंदोलन शुरू किया था. इसके लिए ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी, जिला कलेक्टर, आबकारी आयुक्त को ज्ञापन भी दिए. 25 जनवरी 2017 को प्रशासन ने हस्ताक्षरों का भौतिक सत्यापन करवाया. जिसमें ग्रामीणों की हार हो गई. एक साल बाद 14 फरवरी 2018 को हस्ताक्षरों का फिर से भौतिक सत्यापन करवाया गया. जिसमें ग्रामीणों की जीत हुई.

भौतिक सत्यापन क्या है

पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान करवाने के लिए उस पंचायत में वोटिंग करवाई जाती है. अगर पंचायत के 51 प्रतिशत वोटर शराबबंदी के लिए मतदान करवाने के पक्ष में वोट करते हैं तो फिर प्रशासन शराबबंदी के लिए मतदान करवाता है. 2018 में थानेटा ग्राम पंचायत के 51 प्रतिशत वोटरों ने जब शराबबंदी के लिए मतदान करवाने के पक्ष में वोट किया तो प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद ग्रामीण हाईकोर्ट की शरण में गए.

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2019 में ग्रामीणों के पक्ष में फैसला सुनाया और प्रशासन को मतदान करवाने के आदेश दिए. जिसके बाद लोकसभा, विधानसभा और सरपंच के चुनावों और फिर कोरोना के चलते शराबबंदी के लिए मतदान की प्रक्रिया लगातार आगे खिसकती गई. ग्रामीणों ने विधायक सुदर्शन सिंह रावत से जल्द मतदान करवाने की मांग की. विधायक ने जिला कलेक्टर के सामने यह मुद्दा उठाया. आखिरकार प्रशासन ने अब 9 अप्रैल को थानेटा ग्राम पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान की तारीख तय की है.

शराबबंदी के पक्ष में तर्क

ग्रामीणों का कहना है कि शराब की लत के चलते कई परिवार उजड़ गए हैं. लगातार युवा शराब के आदि हो रहे हैं. जिससे अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. शराबी पति पत्नी और बच्चों के साथ मारपीट करते हैं और कमाई शराब में उड़ा देते हैं. पंचायत के कई परिवार शराब के चलते बर्बाद हो गए हैं.

देवगढ़ (राजसमंद). बिहार में शराबबंदी के बाद कई दूसरे राज्यों में भी शराबबंदी की मांग जोर-शोर से उठ रही है. राजस्थान में भी समय-समय पर इसकी मांग उठती रहती है. लेकिन राजसमंद जिले के भीम उपखंड क्षेत्र की थानेटा ग्राम पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान होने जा रहा है. राजसमंद जिला कलेक्टर ने ग्राम पंचायत में शराबबंदी करवाने के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत 9 अप्रैल को मतदान करवाने का आदेश पारित किया है. जिसको लेकर ग्रामीणों ने तैयारी शुरू कर दी है. 2016 से ही इस पंचायत के लोग शराबबंदी लागू करवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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राजसमंद राजस्थान का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पहले से ही दो ग्राम पंचायतों काछबली और मण्डावर में शराबबंदी लागू है. थानेटा ग्राम पंचायत में भी शराबबंदी लागू करवाने के लिए सरपंच दीक्षा चौहान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने 2016 में आंदोलन शुरू किया था. इसके लिए ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी, जिला कलेक्टर, आबकारी आयुक्त को ज्ञापन भी दिए. 25 जनवरी 2017 को प्रशासन ने हस्ताक्षरों का भौतिक सत्यापन करवाया. जिसमें ग्रामीणों की हार हो गई. एक साल बाद 14 फरवरी 2018 को हस्ताक्षरों का फिर से भौतिक सत्यापन करवाया गया. जिसमें ग्रामीणों की जीत हुई.

भौतिक सत्यापन क्या है

पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान करवाने के लिए उस पंचायत में वोटिंग करवाई जाती है. अगर पंचायत के 51 प्रतिशत वोटर शराबबंदी के लिए मतदान करवाने के पक्ष में वोट करते हैं तो फिर प्रशासन शराबबंदी के लिए मतदान करवाता है. 2018 में थानेटा ग्राम पंचायत के 51 प्रतिशत वोटरों ने जब शराबबंदी के लिए मतदान करवाने के पक्ष में वोट किया तो प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद ग्रामीण हाईकोर्ट की शरण में गए.

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2019 में ग्रामीणों के पक्ष में फैसला सुनाया और प्रशासन को मतदान करवाने के आदेश दिए. जिसके बाद लोकसभा, विधानसभा और सरपंच के चुनावों और फिर कोरोना के चलते शराबबंदी के लिए मतदान की प्रक्रिया लगातार आगे खिसकती गई. ग्रामीणों ने विधायक सुदर्शन सिंह रावत से जल्द मतदान करवाने की मांग की. विधायक ने जिला कलेक्टर के सामने यह मुद्दा उठाया. आखिरकार प्रशासन ने अब 9 अप्रैल को थानेटा ग्राम पंचायत में शराबबंदी के लिए मतदान की तारीख तय की है.

शराबबंदी के पक्ष में तर्क

ग्रामीणों का कहना है कि शराब की लत के चलते कई परिवार उजड़ गए हैं. लगातार युवा शराब के आदि हो रहे हैं. जिससे अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. शराबी पति पत्नी और बच्चों के साथ मारपीट करते हैं और कमाई शराब में उड़ा देते हैं. पंचायत के कई परिवार शराब के चलते बर्बाद हो गए हैं.

Last Updated : Feb 21, 2021, 6:52 PM IST
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