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10 साल पुराने मुद्दों को लेकर राजसमंद की जनता त्रस्त...चुनाव से पहले लोगों ने जताई नाराजगी

प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नज़दीक आती जा रही है. वैसे-वैसे प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है. लेकिन राजसमंद में कई आए मुद्दे हैं, जिनको लेकर जनता में नाराजगी है.  2008 के परिसीमन के बाद बनी राजसमंद लोकसभा सीट पर इस बार तीसरा लोकसभा का चुनाव है. लेकिन यहां की जनता पिछले काफी समय से कई मुद्दों को लेकर परेशान है.

10 साल पुराने मुद्दों को लेकर राजसमंद की जनता त्रस्त
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Published : Apr 20, 2019, 12:44 PM IST

राजसमंद. लोकसभा सीट पर इस बार तीसरा लोकसभा चुनाव है. लेकिन यहां बीते करीब 10 सालों में आम जनता से जुड़े प्रमुख मुद्दे अभी तक पूरे नहीं हो पाए है. जिसमें से एख मुद्दा है राजसमंद झील को पर्यटन और सिंचाई की के लिए भरना. लेकिन अभी तक सिर्फ बातों में ही झील को भरने का काम हुआ है. हर बार चुनाव से पूर्व नेता यहां योजना लाने के दावे करते हैं. लेकिन कोई योजना अमल में नहीं आई है. और अनावृष्टि के मद्देनजर कोष योजना नहीं बनी. वहीं दूसरी तरफ रेल लाइन से आम जनता त्रस्त है. मार्बल उद्योग और पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ श्रीनाथ जी से जुड़े जिले के बाशिंदे रेल सुविधाओं को तरस रहे. एकमात्र मीटर गेज ट्रेन मावली मारवाड़ के बीच चलती है. संभाग मुख्यालय से चलने वाली ट्रेन सभी क्रॉसिंग नहीं है. इसके कारण सफर ट्रैवल्स बसों में ही करन पड़ता है.

10 साल पुराने मुद्दों को लेकर राजसमंद की जनता त्रस्त

वहीं पर्यटन के क्षेत्र में कोई विकास नहीं है. धार्मिक नगरी होने के बावजूद भी पर्यटन के लिए किसी प्रकार का सरकार ने नया कदम नहीं उठाया है.अब यहां की जनता इस बार के चुनाव में किस को अपना मत देते है ये देखने वाली बात होगी. क्योंकि 10 साल से तो यहां की जनता इन तमाम मुद्दों को लेकर त्रस्त दिखाई दे रही है.

राजसमंद. लोकसभा सीट पर इस बार तीसरा लोकसभा चुनाव है. लेकिन यहां बीते करीब 10 सालों में आम जनता से जुड़े प्रमुख मुद्दे अभी तक पूरे नहीं हो पाए है. जिसमें से एख मुद्दा है राजसमंद झील को पर्यटन और सिंचाई की के लिए भरना. लेकिन अभी तक सिर्फ बातों में ही झील को भरने का काम हुआ है. हर बार चुनाव से पूर्व नेता यहां योजना लाने के दावे करते हैं. लेकिन कोई योजना अमल में नहीं आई है. और अनावृष्टि के मद्देनजर कोष योजना नहीं बनी. वहीं दूसरी तरफ रेल लाइन से आम जनता त्रस्त है. मार्बल उद्योग और पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ श्रीनाथ जी से जुड़े जिले के बाशिंदे रेल सुविधाओं को तरस रहे. एकमात्र मीटर गेज ट्रेन मावली मारवाड़ के बीच चलती है. संभाग मुख्यालय से चलने वाली ट्रेन सभी क्रॉसिंग नहीं है. इसके कारण सफर ट्रैवल्स बसों में ही करन पड़ता है.

10 साल पुराने मुद्दों को लेकर राजसमंद की जनता त्रस्त

वहीं पर्यटन के क्षेत्र में कोई विकास नहीं है. धार्मिक नगरी होने के बावजूद भी पर्यटन के लिए किसी प्रकार का सरकार ने नया कदम नहीं उठाया है.अब यहां की जनता इस बार के चुनाव में किस को अपना मत देते है ये देखने वाली बात होगी. क्योंकि 10 साल से तो यहां की जनता इन तमाम मुद्दों को लेकर त्रस्त दिखाई दे रही है.

Intro:राजसमंद- प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नज़दीक आती जा रही है वैसे ही जहां एक तरफ प्रत्याशी दिन रात एक कर रहे हैं चुनावी प्रचार में तो वही राजसमंद लोकसभा सीट पर भी सियासत और गर्म होने लगी है 2008 के परिसीमन के बाद बनी राजसमंद लोकसभा सीट पर इस बार तीसरा लोकसभा चुनाव है लेकिन यहां की जनता पिछले काफी समय से कई मुद्दों को लेकर परेशान नजर आती है आइए देखते हैं कौन-कौन से मुद्दे हैं जिसके कारण राजसमंद लोकसभा क्षेत्र की जनता प्रभावित रही


Body:राजसमंद लोकसभा सीट पर इस बार तीसरा लोकसभा चुनाव है लेकिन यहां की जनता बीते करीब 10 सालों में आम जनता से जुड़े प्रमुख मुद्दे अभी तक पूरे नहीं हो पाए जिसमें राजसमंद झील को पर्यटन सिंचाई और पेयजल की दृष्टि से लबालब रखने की जरूरत थी लेकिन अभी तक सिर्फ बातों में ही लबालब भरी दिखाई दी गई हर बार चुनाव से पूर्व बाद में नेता यहां योजना लाने के दावे करते हैं लेकिन कोई योजना अमल में नहीं आई अतिवृष्टि और अनावृष्टि के मद्देनजर कोष योजना नहीं बने वहीं दूसरी तरफ रेल लाइन से आम जनता त्रस्त मार्बल उद्योग और पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ श्रीनाथ जी से जुड़े जिले के बाशिंदे रेल सुविधाओं को तरस रहे एकमात्र मीटर गेज ट्रेन मावली मारवाड़ के बीच चलती है इसका संभाग मुख्यालय से चलने वाली ट्रेन सभी क्रॉसिंग नहीं है इससे सफर ट्रैवल्स बसों में ही होता है या के बाशिंदे लंबे समय से प्रदेश की राजधानी जयपुर और दिल्ली से जुड़ाव की मांग कर रहे हैं लेकिन इस को तवज्जो नहीं मिल पाई जिले में मेडिकल कॉलेज खोले यहां सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं के साथ युवाओं को


Conclusion:चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और रोजगार की जरूरत है जिसके कारण उनको उदयपुर पर निर्भर रहना पड़ रहा है वहीं पर्यटन के क्षेत्र में कोई विकास नहीं धार्मिक नगरी होने के बावजूद भी पर्यटन के लिए किसी प्रकार को सरकार ने द्वारा नया कदम नहीं स्थापित किया गया जहां तक सिर्फ द्वारिकाधीश मंदिर में वही भगवान श्रीनाथजी का मंदिर भी स्थापित है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं अब यहां की जनता इस बार के चुनाव में देखना होगा कि किस पर अपनी मुहर लगा है क्योंकि 10 साल से तो यहां की जनता इन मुद्दों को लेकर त्रस्त दिखाई दे रही है
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