राजसमंद. नवंबर माह में होने वाले नाथद्वारा नगर पालिका चुनाव को लेकर पिछली 18 तारीख को निकाली गई लॉटरी निरस्त कर दी गई है. अब दोबारा लॉटरी निकाली जाएगी. दरअसल कांग्रेस ने लॉटरी पर आपत्ति जताई थी. कांग्रेस प्रवक्ता दिनेश जोशी ने बताया कि नगर पालिका प्रशासन की ओर से डीएलबी और जिला कलेक्टर को अंधेरे में रखा गया और गलत आंकड़े पेश कर लॉटरी निकलवा दी गई. नगर पालिका प्रशासन के चुनावी प्रक्रिया को मजाक बनाकर रख दिया.
वार्ड संख्या 30 में जहां एससी महिला की लॉटरी निकाली गई है. उस वार्ड में अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व ही नहीं है. वहीं अन्य वार्डों में इसी तरह से विसंगतियां देखने को मिली है. राज्य सरकार के नियमानुसार 30 फीसदी से अधिक जातिगत आधार होने पर ही जाति विशेष वर्ग विशेष के लिए लॉटरी निकाली जाती है. लेकिन पालिका ने गलत आंकड़े डीएलबी और जिला कलेक्टर को उपलब्ध कराएं.
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जिसके चलते लॉटरी को निरस्त करना पड़ा. वादों के पुनर्गठन के समय भी कांग्रेस की ओर से आपत्ति लगाई गई थी. लेकिन पालिका आयुक्त की ओर से उस आपत्ति को दरकिनार करते हुए रिपोर्ट डीएलबी को भिजवा दी गई. जबकि वादों की पुनर्गठन के समय सरकार के निर्देशानुसार 9 सौ से 11 सौ के मध्य 1 वार्ड में वोटर होने चाहिए. लेकिन पालिका प्रशासन की गलती से इसी वार्ड में 5 सौ से 6 सौ तो कहीं कहीं 13 सौ से 16 सौ तक वोटर है.
अब कलेक्टर के आदेश पर पालिका प्रशासन की ओर से फिर से सर्वे करवाया जा रहा है. इस बार खुद पालिका आयुक्त और कर्मचारी गली मोहल्लों में घूमकर सर्वे कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस का कहना है कि यदि पहले ही फिजिकल सर्वे कर लिया होता तो इस प्रकार की फजीहत नहीं उठानी पड़ती. साथ ही कांग्रेस ने आरोप लगाए कि आयुक्त किसी के दबाव में कार्य कर रहे हैं. या किसी का फायदा पहुंचाने की नीयत से इस तरीके से कार्य कर रहे हैं.
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कांग्रेस की ओर से बार-बार आपत्ति लगाई जाने के बावजूद भी उसे दरकिनार किया जा रहा है. इस कारण कांग्रेस ने कलेक्टर को आपत्ति दर्ज कराई थी. वहीं आपत्ति पर केवल एक कलर को नोटिस देकर खानापूर्ति की जा रही है. जबकि नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार केवल आयुक्त को है. क्योंकि डीएलबी को भेजी रिपोर्ट में आयुक्त के साइन होते हैं. ऐसे में आयुक्त के बिना जांचे किस प्रकार से साइन कर दिए और अब खुद को बचाने के लिए क्लर्क को कारण बताओ नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर रहे हैं. कांग्रेस की मांग की है कि आयुक्त को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए उसके बाद ही लॉटरी प्रक्रिया का अमल में लाया जाए.