राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों से हर व्यवसाय को भारी मार झेलनी पड़ी है. इस महामारी ने हर व्यवसाय पर ग्रहण लगा दिया है. कुछ व्यवसाय तो अनलॉक-2 लागू होने के बाद भी उबर नहीं पा रहे हैं. खास कर, इस महामारी से उन व्यवसायियों को ज्यादा परेशानियां हो रही है, जो सीजन के आधार पर अपना काम करते हैं. इन्हीं में से एक है. बैंड-बाजे के व्यवसाय से जुड़े हुए लोग, जिन पर कोरोना ने ऐसी दोहरी मार मारी है, कि इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोग अब सरकार से राहत की मांग करते हुए नजर आ रहे हैं.
3 महीने से लगे लॉकडाउन के बाद बैंड-बाजे के व्यवसाय से जुड़े हुए लोग, घर बैठने को मोहताज हैं, क्योंकि सरकार ने इनके व्यवसाय पर प्रतिबंध लगा दिया था. अनलॉक-1 में इन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन नाममात्र के शादी समारोह में इन लोगों का व्यवसाय शुरू तो हो पाया, लेकिन अब 29 जून को भड़लिया नवमी तक शादी समारोह का अंतिम मुहूर्त था. वहीं, अब 29 जून से लेकर 25 नवंबर तक कोई भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे. क्योंकि इन करीब साढ़े 4 महीने में भगवान विष्णु शयन करते हैं. जिसे, आम भाषा में 'देव सो जाना' भी कहते हैं.
पंडित रोशनलाल आमेटा ने बताया कि अब 5 महीने के बाद ही मांगलिक कार्यक्रम शुरू होंगे, इसी के साथ उन्होंने बताया कि देव उठनी एकादशी यानी, छोटी दीपावली से विवाह कार्यक्रम शुरू होंगे, इस बीच किसी भी प्रकार का शुभ कार्य निषेध बताया गया है. शादी समारोह आने वाले 5 महीने तक बंद होने की वजह से बैंड व्यवसाय से जुड़े हुए लोग सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.
पढ़ें- स्पेशल: संगमरमर की खूबसूरती तराशने वाले हुनरमंदों के हाथ खाली, जुबां पर रह गई बस बेबसी की दास्तां
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए, द्वारकेश बैंड ऑनर्स एसोसिएशन कांकरोली के अध्यक्ष सुंदरलाल ने बताया कि जिले भर में करीब 100 से अधिक बैंड है. प्रत्येक बैंड पर 15-20 से अधिक लोग काम करते हैं, उन्होंने बताया कि इस महामारी के कारण और लॉकडाउन की वजह से पिछले 3 महीने तक कोई काम नहीं मिला, जिसके कारण परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल भरा होने लगा. लेकिन, अब देव सो जाने के कारण हमारा व्यवसाय आगामी 5 महीने तक बंद रहेगा. जिसकी वजह से सरकार से हमारी गुहार है कि हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराएं जिससे परिवार के भरण-पोषण में आसानी हो सके.
इसी के साथ बैंड व्यवसाय से जुड़े नानालाल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस व्यवसाय से जुड़े हुए कुछ लोग मनरेगा में भी हाथ आजमा रहे हैं. लेकिन ज्यादातर परेशानी शहरी क्षेत्र में है. क्योंकि, यहां लोग मनरेगा में भी नहीं जा पाते, जिस कारण से हमें काफी परेशानी से जूझना पड़ रहा है. गौरतलब, है कि इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोग मांगलिक कार्यक्रमों में अपने गीत संगीत को बजाकर लोगों को मनोरंजन करते हैं. लेकिन, इस महामारी ने इन लोगों के कामकाज पर ग्रहण लगा दिया है.