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Kanhaiyalal Murder Case: जांबाजों को सता रहा जान का 'खतरा', सरकार भी भूल गई किया वादा - बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड

राज्य की गहलोत सरकार ने तब इनके जांबाज कारनामे (life threat to youths) की तारीफ की थी और सरकारी सहायता मुहैया कराने का दावा किया था, लेकिन आज न तो सरकार ने अपना किया वादा निभाया और न ही कोई और इन्हें नौकरी दे रहा है. ऊपर से हर वक्त जान का खतरा मंडराता रहता है.

Kanhaiyalal Murder Case
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Published : Jan 11, 2023, 7:05 PM IST

कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को पकड़वाने वाले जांबाज.

राजसमंद. बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड मामले को छह माह बीत चुके हैं. लेकिन जिन दो जांबाजों ने अपनी जान की बाजी लगाकर हत्यारों को दबोचा था, उनकी जिंदगी इन दिनों चुनौतियों से भरी है. आज ये युवा अपनी सुरक्षा और सरकारी सहायता के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं, लेकिन कोई इनकी सुध तक नहीं ले रहा है. खैर, मौजूदा वाकया की कड़ियों को आगे बढ़ाने से पहले फ्लैशबैक में चलते हैं.

डरे जांबाजों की कहानी: उदयपुर में दिनदहाड़े कन्हैयालाल साहू की बेरहमी से हत्या कर आरोपी रियाज और गौश मोहम्मद राजसमंद की ओर भाग निकले थे. तभी देवगढ़ उपखंड क्षेत्र के ताल ग्राम निवासी दो जांबाज युवाओं ने हत्यारों को दबोच लिया और उन्हें पुलिस को सुपुर्द कर दिया. हालांकि, इसके बाद आरोपियों को पकड़ने वाले शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह चुंडावत का चेहरा सबके सामने आ गया और तभी से दोनों को जान का खतरा बना हुआ है. मौजूदा आलम तो ये है कि दोनों कहीं नौकरी भी नहीं कर पा रहे हैं. उल्टे सरकार से जो मदद की बात कही गई थी, वो भी इन्हें अब तक नहीं मिल पाया है.

नहीं की जान की परवाह: दरअसल, 28 जून, 2022 को कन्हैयालाल की हत्या कर आरोपी रियाज और गौश मोहम्मद बाइक से भाग निकले थे. राजसमंद पुलिस को सूचना मिली की दोनों आरोपी राजसमंद जिले के देवगढ़ थाना क्षेत्र से होकर गुजर रहे हैं. देवगढ़ पुलिसकार्मिकों से इसकी सूचना दोनों युवाओं को मिली. इसी दरम्यान दोनों आरोपी बाइक पर सवार होकर देवगढ़ भीम वाया ताल लसानी मार्ग से जा रहे थे. वहीं, दोनों युवाओं का गांव भी इस मार्ग था और दोनों ने बिना अपनी जान की परवाह किए आरोपियों को दबोच लिया. लेकिन आज इन दोनों जांबाजों का घर से निकला भी मुश्किल हो गया है.

इसे भी पढ़ें - कन्हैयालाल हत्याकांड: 150 दिन बाद भी आरोपियों के खिलाफ NIA नहीं पेश कर सकी चार्जशीट

किया वादा भी नहीं निभा पाई सरकार: शक्ति और प्रह्लाद की सहायता से आरोपितों को पकड़ने के बाद पुलिस और प्रशासन की ओर से दोनों युवकों की जमकर वाहवाही की गई. राज्य की गहलोत सरकार ने भी दोनों की सुरक्षा के लिए गार्ड, बंदूक के लिए लाइसेंस के साथ ही नौकरी देने तक का वादा किया था. लेकिन आज तक सरकार अपना वादा नहीं निभा पाई. जिसके कारण आज इनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई है.

नहीं मिल रही नौकरी, ऊपर से जान का खतरा: शक्ति सिंह का कहना है कि वह सूरत में एक किराना दुकान में काम करता था. घटना से कुछ दिन पहले ही गांव आया था. कन्हैयालाल की हत्या के आरोपितों को पकड़वाने के बाद उसका चेहरा सबके सामने आ गया. जिसके बाद उसके मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया. आज तो आलम यह है कि उसे कोई नौकरी पर भी नहीं रखता. वहीं, होटल में काम करने वाले प्रह्लाद का कहना है कि हर समय उसे जान का खतरा सताता रहता है.

जानें कैसे पकड़े गए आरोपी: प्रह्लाद ने बताया कि रियाज और गौश जब भाग रहे थे तो चौराहे पर उनके अलावा कई और लोग भी बैठे थे. लेकिन उन्होंने करीब 25 किलोमीटर तक आरोपियों का पीछा किया और फिर उन्हें पकड़ा था. प्रह्लाद ने आगे बताया कि दोनों आरोपित पुलिस चेकपोस्ट से होकर गुजर रहे थे. लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उन पर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद भी उन्होंने पीछा करना नहीं छोड़ा. साथ ही पुलिस को भी लोकेशन बताते रहे. इस तरह पुलिस ने उनकी मदद से दोनों को दबोच लिया था.

कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को पकड़वाने वाले जांबाज.

राजसमंद. बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड मामले को छह माह बीत चुके हैं. लेकिन जिन दो जांबाजों ने अपनी जान की बाजी लगाकर हत्यारों को दबोचा था, उनकी जिंदगी इन दिनों चुनौतियों से भरी है. आज ये युवा अपनी सुरक्षा और सरकारी सहायता के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं, लेकिन कोई इनकी सुध तक नहीं ले रहा है. खैर, मौजूदा वाकया की कड़ियों को आगे बढ़ाने से पहले फ्लैशबैक में चलते हैं.

डरे जांबाजों की कहानी: उदयपुर में दिनदहाड़े कन्हैयालाल साहू की बेरहमी से हत्या कर आरोपी रियाज और गौश मोहम्मद राजसमंद की ओर भाग निकले थे. तभी देवगढ़ उपखंड क्षेत्र के ताल ग्राम निवासी दो जांबाज युवाओं ने हत्यारों को दबोच लिया और उन्हें पुलिस को सुपुर्द कर दिया. हालांकि, इसके बाद आरोपियों को पकड़ने वाले शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह चुंडावत का चेहरा सबके सामने आ गया और तभी से दोनों को जान का खतरा बना हुआ है. मौजूदा आलम तो ये है कि दोनों कहीं नौकरी भी नहीं कर पा रहे हैं. उल्टे सरकार से जो मदद की बात कही गई थी, वो भी इन्हें अब तक नहीं मिल पाया है.

नहीं की जान की परवाह: दरअसल, 28 जून, 2022 को कन्हैयालाल की हत्या कर आरोपी रियाज और गौश मोहम्मद बाइक से भाग निकले थे. राजसमंद पुलिस को सूचना मिली की दोनों आरोपी राजसमंद जिले के देवगढ़ थाना क्षेत्र से होकर गुजर रहे हैं. देवगढ़ पुलिसकार्मिकों से इसकी सूचना दोनों युवाओं को मिली. इसी दरम्यान दोनों आरोपी बाइक पर सवार होकर देवगढ़ भीम वाया ताल लसानी मार्ग से जा रहे थे. वहीं, दोनों युवाओं का गांव भी इस मार्ग था और दोनों ने बिना अपनी जान की परवाह किए आरोपियों को दबोच लिया. लेकिन आज इन दोनों जांबाजों का घर से निकला भी मुश्किल हो गया है.

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किया वादा भी नहीं निभा पाई सरकार: शक्ति और प्रह्लाद की सहायता से आरोपितों को पकड़ने के बाद पुलिस और प्रशासन की ओर से दोनों युवकों की जमकर वाहवाही की गई. राज्य की गहलोत सरकार ने भी दोनों की सुरक्षा के लिए गार्ड, बंदूक के लिए लाइसेंस के साथ ही नौकरी देने तक का वादा किया था. लेकिन आज तक सरकार अपना वादा नहीं निभा पाई. जिसके कारण आज इनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई है.

नहीं मिल रही नौकरी, ऊपर से जान का खतरा: शक्ति सिंह का कहना है कि वह सूरत में एक किराना दुकान में काम करता था. घटना से कुछ दिन पहले ही गांव आया था. कन्हैयालाल की हत्या के आरोपितों को पकड़वाने के बाद उसका चेहरा सबके सामने आ गया. जिसके बाद उसके मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया. आज तो आलम यह है कि उसे कोई नौकरी पर भी नहीं रखता. वहीं, होटल में काम करने वाले प्रह्लाद का कहना है कि हर समय उसे जान का खतरा सताता रहता है.

जानें कैसे पकड़े गए आरोपी: प्रह्लाद ने बताया कि रियाज और गौश जब भाग रहे थे तो चौराहे पर उनके अलावा कई और लोग भी बैठे थे. लेकिन उन्होंने करीब 25 किलोमीटर तक आरोपियों का पीछा किया और फिर उन्हें पकड़ा था. प्रह्लाद ने आगे बताया कि दोनों आरोपित पुलिस चेकपोस्ट से होकर गुजर रहे थे. लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उन पर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद भी उन्होंने पीछा करना नहीं छोड़ा. साथ ही पुलिस को भी लोकेशन बताते रहे. इस तरह पुलिस ने उनकी मदद से दोनों को दबोच लिया था.

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