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इलेक्ट्रॉनिक रिपेयरिंग कारोबार पर लॉकडाउन का ग्रहण, आमदनी में आई भारी गिरावट

लॉकडाउन 4.0 की शुरूआत हो चुकी है. इसके चलते बीते दो महीने से लोगों को तरह-तरह की समस्याएं झेलनी पड़ीं. हालांकि इन समस्याओं से निजात के लिए सरकारें लगातार प्रयासरत हैं. आज हम आपको मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर के कारोबार में उत्पन्न हो रही समस्याओं के बारे में बताएंगे कि उन्हें किन-किन समस्याओं से गुजरकर कारोबार चलाना पड़ रहा है.

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आमदनी में आई भारी गिरावट
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Published : May 19, 2020, 6:58 PM IST

राजसमंद. मोबाइल रिपेयरिंग सहित अन्य वस्तुओं की रिपेयरिंग करने वालों के हालात जानने ईटीवी भारत की टीम राजसमंद शहर में निकली. ऐसे में सबसे पहले देखा कि शहर में सम संख्या की तिथियों में दुकानें खोली जाती थीं. यानि कि 1 दिन छोड़कर दूसरे दिन, जिसके तहत इन मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर की दुकानों को खोलने का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक निश्चित किया गया था. 1 बजे बाद यह सभी दुकान बंद हो जाती थीं, जिससे लोगों को मोबाइल रिपेयरिंग कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि जब से लॉकडाउन 4.0 लागू हुआ है, तब से दुकानों के खुलने के समय में परिवर्तन हुआ है.

आमदनी में आई भारी गिरावट

यही स्थिति वाटर प्यूरीफायर, गैस स्टोव, एसी और दूसरे गैजेट से जुड़े व्यवसाय के लोगों की भी परेशानी है. मई का महीना चल रहा है, अप्रैल में व्यवसाय पूरी तरह से ठप रहा. अब गर्मी के इस सीजन में, जहां एसी और वाटर प्यूरीफायर के व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों का साल भर में व्यवसाय करने का यही सबसे अच्छा समय होता है. लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से इन लोगों के सामने परेशानियां पैदा हो गई हैं.

यह भी पढ़ेंः चाय की थड़ी लगाने वाले मजदूरों की गुहार...कहा- मोदी जी आप भी चाय बेचते थे...जरा इधर भी देख लो

मोबाइल रिपेयरिंग करने वाले मनीष सोलंकी ने बताया कि प्रशासन द्वारा जो समय सीमा तय की गई है, उससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. ग्रामीण और अन्य क्षेत्रों से आने वाले लोगों को मोबाइल रिपेयरिंग कराने में भी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपना मोबाइल छोड़कर दुकान में नहीं जाना चाहता है, जिसका मुख्य कारण उन्होंने बताया कि मोबाइल एक ऐसा उपकरण है जिसकी खराबी के बाद उसके उपकरण एक दुकान पर उपलब्ध नहीं हो पाते. इसके लिए हम एक से दूसरी दुकानों पर संपर्क करके काम चलाते हैं. लेकिन दुकान खोलने की समय सीमा तय होने के कारण हमें परेशानी हो रही थी. दुकान खोलने का कम समय होने के कारण दुकानों पर भीड़ लग जाती थी, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग पालन कराना भी मुश्किल होने लगता.

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75 से 80 हजार रुपए होती थी कमाई

उन्होंने बताया कि राजसमंद शहर में करीब 70 से 80 मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर की दुकानें हैं. लॉकडाउन से पहले 75 से 80 हजार रुपए का काम महीने भर में होता था. इनमें से 20 से 25 हजार रुपए की बचत होती थी. लेकिन अब दिन भर में 2 हजार रुपए का भी काम नहीं होता. ऐसे में अब पूरे दिन में 400 से 500 रुपए की कमाई हो जाती है. वहीं सर्विस सेंटर कम समय खुलने के कारण आम लोगों को भी परेशानी हो रही थी.

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राजसमंद में करीब 70 से 80 मोबाइल रिपेयरिंग की हैं दुकानें

कांकरोली निवासी विकास ने बताया कि उनका मोबाइल खराब पड़ा है, लेकिन दुकानदारों के पास उपकरण आगे से सप्लाई नहीं हो पा रहा है. इस कारण उनका मोबाइल अभी तक सही नहीं हो पाया है. यही स्थिति वाटर प्यूरीफायर और एसी के उपकरण सही करने वाले लोगों के सामने भी समस्या है. एसी रिपेयर भेरुलाल कुमावत ने बताया कि यही समय गर्मी का उनका कमाई का सीजन होता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण और प्रशासन द्वारा निश्चित समय में दुकानें खोले जाने को लेकर उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. क्योंकि हर उपकरण एक साथ रखना मुश्किल होता है. एसी घर पर जाकर ही सही की जा सकती है. उन्होंने बताया कि शहर में करीब 30 से 40 दुकानें हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले महीने भर में 35 से 40 हजार रुपए का काम किया जाता था, जिसमें 10 से 15 हजार रुपए की बचत हो जाती थी. लेकिन अब नाममात्र बराबर का काम मिल रहा है.

राजसमंद. मोबाइल रिपेयरिंग सहित अन्य वस्तुओं की रिपेयरिंग करने वालों के हालात जानने ईटीवी भारत की टीम राजसमंद शहर में निकली. ऐसे में सबसे पहले देखा कि शहर में सम संख्या की तिथियों में दुकानें खोली जाती थीं. यानि कि 1 दिन छोड़कर दूसरे दिन, जिसके तहत इन मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर की दुकानों को खोलने का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक निश्चित किया गया था. 1 बजे बाद यह सभी दुकान बंद हो जाती थीं, जिससे लोगों को मोबाइल रिपेयरिंग कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि जब से लॉकडाउन 4.0 लागू हुआ है, तब से दुकानों के खुलने के समय में परिवर्तन हुआ है.

आमदनी में आई भारी गिरावट

यही स्थिति वाटर प्यूरीफायर, गैस स्टोव, एसी और दूसरे गैजेट से जुड़े व्यवसाय के लोगों की भी परेशानी है. मई का महीना चल रहा है, अप्रैल में व्यवसाय पूरी तरह से ठप रहा. अब गर्मी के इस सीजन में, जहां एसी और वाटर प्यूरीफायर के व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों का साल भर में व्यवसाय करने का यही सबसे अच्छा समय होता है. लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से इन लोगों के सामने परेशानियां पैदा हो गई हैं.

यह भी पढ़ेंः चाय की थड़ी लगाने वाले मजदूरों की गुहार...कहा- मोदी जी आप भी चाय बेचते थे...जरा इधर भी देख लो

मोबाइल रिपेयरिंग करने वाले मनीष सोलंकी ने बताया कि प्रशासन द्वारा जो समय सीमा तय की गई है, उससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. ग्रामीण और अन्य क्षेत्रों से आने वाले लोगों को मोबाइल रिपेयरिंग कराने में भी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपना मोबाइल छोड़कर दुकान में नहीं जाना चाहता है, जिसका मुख्य कारण उन्होंने बताया कि मोबाइल एक ऐसा उपकरण है जिसकी खराबी के बाद उसके उपकरण एक दुकान पर उपलब्ध नहीं हो पाते. इसके लिए हम एक से दूसरी दुकानों पर संपर्क करके काम चलाते हैं. लेकिन दुकान खोलने की समय सीमा तय होने के कारण हमें परेशानी हो रही थी. दुकान खोलने का कम समय होने के कारण दुकानों पर भीड़ लग जाती थी, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग पालन कराना भी मुश्किल होने लगता.

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75 से 80 हजार रुपए होती थी कमाई

उन्होंने बताया कि राजसमंद शहर में करीब 70 से 80 मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर की दुकानें हैं. लॉकडाउन से पहले 75 से 80 हजार रुपए का काम महीने भर में होता था. इनमें से 20 से 25 हजार रुपए की बचत होती थी. लेकिन अब दिन भर में 2 हजार रुपए का भी काम नहीं होता. ऐसे में अब पूरे दिन में 400 से 500 रुपए की कमाई हो जाती है. वहीं सर्विस सेंटर कम समय खुलने के कारण आम लोगों को भी परेशानी हो रही थी.

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राजसमंद में करीब 70 से 80 मोबाइल रिपेयरिंग की हैं दुकानें

कांकरोली निवासी विकास ने बताया कि उनका मोबाइल खराब पड़ा है, लेकिन दुकानदारों के पास उपकरण आगे से सप्लाई नहीं हो पा रहा है. इस कारण उनका मोबाइल अभी तक सही नहीं हो पाया है. यही स्थिति वाटर प्यूरीफायर और एसी के उपकरण सही करने वाले लोगों के सामने भी समस्या है. एसी रिपेयर भेरुलाल कुमावत ने बताया कि यही समय गर्मी का उनका कमाई का सीजन होता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण और प्रशासन द्वारा निश्चित समय में दुकानें खोले जाने को लेकर उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. क्योंकि हर उपकरण एक साथ रखना मुश्किल होता है. एसी घर पर जाकर ही सही की जा सकती है. उन्होंने बताया कि शहर में करीब 30 से 40 दुकानें हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले महीने भर में 35 से 40 हजार रुपए का काम किया जाता था, जिसमें 10 से 15 हजार रुपए की बचत हो जाती थी. लेकिन अब नाममात्र बराबर का काम मिल रहा है.

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