राजसमंद. जिले के किसानों को इस बार दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. एक तो कोरोना काल के कारण सारा कामकाज अस्त व्यस्त है. वहीं, दूसरी तरफ प्रकृति की मार से किसान काफी प्रभावित नजर आ रहा है. इस बार किसानों ने मानसून के दस्तक देने के साथ ही खेतों में फसलों की बुवाई कर दी है और इस बार फसल की अच्छी पैदावार होने की संभावना भी जताई जा रही है, लेकिन सावन के इस महीने में अब तक एक या दो बार हल्की बारिश हुई. जिससे फसलों को पानी पूर्ण रूप से नहीं मिल पाने के कारण अब फसल मुरझाने लगी है. जिसे लेकर किसान भी हताश और परेशान हैं.
78,350 हैट्रिक फसल की हुई है बुवाई
ईटीवी भारत ये जानने के लिए निकला कि प्रकृति का साथ किसानों को नहीं मिलने की वजह से उनके ऊपर क्या कुछ दिक्कतें आ रही है. इसे जानने के लिए हमारी टीम ने राजसमंद जिला मुख्यालय के कई गांव का दौरा किया. जिसके बाद हमारे सामने निकल कर आया कि इस बार जिले में 78 हजार 350 हेक्टेयर फसल की बुवाई की गई है. चौमासे के लिहाज से जुलाई और अगस्त के ये माह बारिश के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, लेकिन जिले में 1 जून से अब तक करीब 163.71 एमएम यानी 6 इंच बारिश हुई है. जबकि सामान्य औसत का आंकड़ा पूरा करने के लिए जिले में 726 एमएम यानी 30 इंच बारिश की और जरूरत है.
2019 में हुई थी 39 इंच बारिश
वहीं, 2019 में 918 एमएम यानी 39 इंच बारिश हुई थी, लेकिन सावन में भी इस बार मानसून रूठा हुआ दिखाई पड़ रहा है. 6 जुलाई से शुरू हुए सावन महीने में मात्र एक या दो बार तेज बारिश हुई. इसके अलावा एक-दो दिन हल्की बारिश हुई. बाकी दिनों में चिलचिलाती धूप ने किसानों को काफी परेशान किया.
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किसानों पर पड़ रही दोहरी मार
किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि इस बार फसल की पैदावार तो अच्छी है, लेकिन अब बारिश सताने लगी है. जिससे फसल को भी नुकसान होने की संभावना है. किसान चतुर्भुज ने बताया कि इस बार प्रकृति की दोहरी मार से हमें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना वायरस की वजह से सारे काम धंधे चौपट हो गए हैं. दूसरी तरफ इंद्र भगवान भी अब परीक्षा ले रहे हैं. अब बारिश समय पर नहीं हो रही है जिसके कारण फसलें बर्बाद हो जाएंगी.
बारिश कम होने से फसलों को होगा नुकसान
वहीं, कृषि उपनिदेशक भूपेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस बार जिले में 94 हजार 200 हेक्टेयर की बुवाई के टारगेट में 78 हजार 350 हेक्टेयर की बुवाई की गई है. लगभग 83 फीसदी लक्ष्य हासिल किया गया है, लेकिन इस बार बारिश की कम आवक से फसलों को नुकसान होने का डर मंडराने लगा है. उन्होंने बताया कि किसानों की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा से लंबे समय तक सूखे रहने की स्थिति में किसानों को बीमा प्रीमियम जमा कराने पर राहत मिल सकेगी. किसान अपनी समस्याओं को लेकर कृषि विभाग कार्यालय में लिखित में शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
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प्रकृति ले रही किसानों की अग्नि परीक्षा
अब देखना होगा कि प्रकृति हर बार किसानों की अग्नि परीक्षा लेती है. क्योंकि कभी अधिक वर्षा तो कभी वर्षा कम होने के कारण किसानों को हमेशा परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. अब किसानों की आवाज इंद्र भगवान पर टिकी हुई है. किसान भी भगवान को रिझाने के लिए अलग-अलग जतन कर रहे हैं. जिससे मानसून की अच्छी बारिश होने से पैदावार से किसान अपना पेट भर सके.