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World environment Day 2022: देवगढ़ में महिला मंडल की अनूठी पहल, बीज और मिट्टी की बॉल से महिलाएं करती है पर्यावरण संरक्षित

नेहरु युवा केंद्र देवगढ़ के करियर महिला मंडल की महिलाओं और युवतियों ने एक साथ मिलकर नए तरीके से पर्यावरण बचाने की राह थामी है. बता दें कि इनकी ओर से मानसून से पहले विभिन्न प्रकार की पहाड़ी प्रजातियों के बीजों को एक जगह एकत्रित कर उनमें खाद मिलाकर छोटी छोटी बॉल बनाई जाती है. जो कि पर्यवरण के संरक्षण में काम (World environment Day 2022 ) आती हैं.

World environment Day 2022
देवगढ़ में महिला मंडल की अनूठी पहल
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Published : Jun 5, 2022, 9:52 AM IST

Updated : Jun 5, 2022, 1:50 PM IST

देवगढ़ (राजसमंद). बारिश से पहले पौधारोपण तो हर जगह होता है, लेकिन नेहरु युवा केंद्र देवगढ़ के करियर महिला मंडल की महिलाओं और युवतियों ने एक साथ मिलकर नए तरीके से पर्यावरण बचाने की राह थामी है. इन महिलाओं और युवतियों ने पिछले तीन वर्षो से पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल जारी कर रखी है. बता दें कि इनकी ओर से मानसून से पहले विभिन्न प्रकार की पहाड़ी प्रजातियों के बीजों को एक जगह एकत्रित किया जाता है. इसके बाद इन ही बीजों पर मिट्टी और खाद को मिलाकर नन्ही नन्ही बॉल बनाई जाती है. आईए जानते है कि इन छोटी छोटी बॉलों से पर्यावरण कैसे संरक्षित (World environment Day 2022 )होता है.

सीड बॉल बनाना होता है कम खर्चीला: मंडल से जुड़ी डॉ सुमिता जैन और भावना सुखवाल ने बताया की आमतौर पर पौधारोपण तो होता है, लेकिन हम उसका संरक्षण नहीं कर पाते हैं. इसलिए यह विचार हमारे मन में आया कि क्यों न सीड बॉल का निर्माण कर उसे पहाड़ियों पर उछाला जाए. इससे गड्ढे कर पौधारोपण करने की आवश्यकता नहीं होगी और बीज खुद ही आगे चलकर पौधे का स्वरूप ले लेगा. उन्होंने बताया कि बारिश होने पर मिट्टी की बॉल के अंदर मौजूद बीज खुद ही फूटकर अंकुरित होने लगते है, और धीरे धीरे बीज प्रकृति के सहयोग से यह बॉल पौधा बन जाती हैं. उन्होंने कहा कि सीड बॉल बनाना कम खर्चीला होता है. यह प्लास्टिक की ना होने की वजह से (Environmental protection with seeds and compost balls) काफी उपयोगी भी है.

देवगढ़ में महिला मंडल की अनूठी पहल

पढ़ें. World Environment Day : निर्वाचन आयोग की पहल, चुनाव में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग होगा बंद

मानसून में जंगलो और पहाड़ियों पर जाती हैं महिलाएं: मण्डल संस्थापक भावना पालीवाल ने बताया की सेंड माता शिखर के बाद माद में पन्ना धाय स्थल कमेरी, मेराथन ऑफ मेवाड़ दिवेर और सातपालिया के जंगलो में इस प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं. प्रतिवर्ष इन महिलाओं की तरफ से इस अभियान का प्रारंभ लसानी गाँव के समीप अरावली पर्वत के श्रृंखला की ऊंची पहाड़ी से किया जाता है. यहां तड़के सुबह ये महिलाएं पहाड़ो पर चढ़ती है और दिनभर गड्ढे खोदकर गुलेल के माध्यम से चारो ओर बीजो का छिड़काव करती हैं. वहीं छिड़काव से पहले इन बीजों को भिगोकर रखा जाता है. ताकि थोड़ी सी भी मिट्टी मिलते ही यह बीज (Environmental protection with seeds and compost balls) जड़ पकड़ लें.

इन प्रजातियों के सीड बॉल तैयार होते है: महिलाओ इन पहाड़ों पर मुख्य तौर से पीपल, बबूल, बड़, नीम, शीशम, जामुन, गुलमोहर, कचनार और केसिया के सीड बॉल तैयार करती हैं. इसके बाद सिर्फ मानसून के आने का इंतजार होता है. जिसके बाद सीड बॉल उछालकर एक नए तरह का पौधारोपण हो जाता है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षित हो जाता है.

देवगढ़ (राजसमंद). बारिश से पहले पौधारोपण तो हर जगह होता है, लेकिन नेहरु युवा केंद्र देवगढ़ के करियर महिला मंडल की महिलाओं और युवतियों ने एक साथ मिलकर नए तरीके से पर्यावरण बचाने की राह थामी है. इन महिलाओं और युवतियों ने पिछले तीन वर्षो से पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल जारी कर रखी है. बता दें कि इनकी ओर से मानसून से पहले विभिन्न प्रकार की पहाड़ी प्रजातियों के बीजों को एक जगह एकत्रित किया जाता है. इसके बाद इन ही बीजों पर मिट्टी और खाद को मिलाकर नन्ही नन्ही बॉल बनाई जाती है. आईए जानते है कि इन छोटी छोटी बॉलों से पर्यावरण कैसे संरक्षित (World environment Day 2022 )होता है.

सीड बॉल बनाना होता है कम खर्चीला: मंडल से जुड़ी डॉ सुमिता जैन और भावना सुखवाल ने बताया की आमतौर पर पौधारोपण तो होता है, लेकिन हम उसका संरक्षण नहीं कर पाते हैं. इसलिए यह विचार हमारे मन में आया कि क्यों न सीड बॉल का निर्माण कर उसे पहाड़ियों पर उछाला जाए. इससे गड्ढे कर पौधारोपण करने की आवश्यकता नहीं होगी और बीज खुद ही आगे चलकर पौधे का स्वरूप ले लेगा. उन्होंने बताया कि बारिश होने पर मिट्टी की बॉल के अंदर मौजूद बीज खुद ही फूटकर अंकुरित होने लगते है, और धीरे धीरे बीज प्रकृति के सहयोग से यह बॉल पौधा बन जाती हैं. उन्होंने कहा कि सीड बॉल बनाना कम खर्चीला होता है. यह प्लास्टिक की ना होने की वजह से (Environmental protection with seeds and compost balls) काफी उपयोगी भी है.

देवगढ़ में महिला मंडल की अनूठी पहल

पढ़ें. World Environment Day : निर्वाचन आयोग की पहल, चुनाव में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग होगा बंद

मानसून में जंगलो और पहाड़ियों पर जाती हैं महिलाएं: मण्डल संस्थापक भावना पालीवाल ने बताया की सेंड माता शिखर के बाद माद में पन्ना धाय स्थल कमेरी, मेराथन ऑफ मेवाड़ दिवेर और सातपालिया के जंगलो में इस प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं. प्रतिवर्ष इन महिलाओं की तरफ से इस अभियान का प्रारंभ लसानी गाँव के समीप अरावली पर्वत के श्रृंखला की ऊंची पहाड़ी से किया जाता है. यहां तड़के सुबह ये महिलाएं पहाड़ो पर चढ़ती है और दिनभर गड्ढे खोदकर गुलेल के माध्यम से चारो ओर बीजो का छिड़काव करती हैं. वहीं छिड़काव से पहले इन बीजों को भिगोकर रखा जाता है. ताकि थोड़ी सी भी मिट्टी मिलते ही यह बीज (Environmental protection with seeds and compost balls) जड़ पकड़ लें.

इन प्रजातियों के सीड बॉल तैयार होते है: महिलाओ इन पहाड़ों पर मुख्य तौर से पीपल, बबूल, बड़, नीम, शीशम, जामुन, गुलमोहर, कचनार और केसिया के सीड बॉल तैयार करती हैं. इसके बाद सिर्फ मानसून के आने का इंतजार होता है. जिसके बाद सीड बॉल उछालकर एक नए तरह का पौधारोपण हो जाता है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षित हो जाता है.

Last Updated : Jun 5, 2022, 1:50 PM IST
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