राजसमंद. नवरात्र के पावन पर्व पर माता रानी के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. माता रानी के प्राचीन मंदिर में शीष नवाने वालों की इन दिनों कतार लग रही है. राजस्थान के राजसमंद जिला मुख्यालय के समीप पहाड़ी पर प्रमुख शक्तिपीठ अन्नपूर्णा माता का प्राचीन मंदिर (Annapurna mata temple in rajsamand) स्थित है. यहां नवरात्रि उत्सव के तहत श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है. माता अन्नपूर्णा का ये मंदिर देश ही नहीं, विदेशों में भी विख्यात है. मां के दर्शनों से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
नवरात्र के अवसर पर माता रानी के मंदिर (Annapurna mata temple in Navratri) की विशेष आकर्षक सजावट की गई है. मंदिर में मेवाड़, मारवाड़ सहित प्रदेश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु यहां आकर मां अन्नपूर्णा के दरबार में अरदास लगा रहे हैं. मंदिर के पुजारी महंत गोपाल ने बताया कि मां अन्नपूर्णा माता के प्राचीन मंदिर की यह मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. उनके घर में कभी अन्न-जल की कमी नहीं होती है. राजसमंद जिला मुख्यालय की दो प्रमुख पहाड़ियों में से एक पर स्थित राजमंदिर. मां अन्नपूर्णा माता के मंदिर से झील का नजारा भी दिव्य दिखाई देता है. मान्यता यह भी है कि अन्नपूर्णा माता के विराजित होने के बाद इस नगर में कभी अकाल नहीं पड़ा और तमाम विधाओं को मां ने दूर भी किया.
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ऐतिहासिक राजसमंद झील के किनारे राजगढ़ की पहाड़ी पर हजारों साल पुराना राजराजेश्वरी अन्नपूर्णा माताजी का प्रचानी मंदिर है. हालांकि राजगढ़ की पहाड़ी पर माताजी का छोटा मंदिर पहले से था, लेकिन महाराणा राजसिंह के समय में राजसमंद झील के निर्माण के दौरान राजगढ़ की पहाड़ी पर मां का विशाल मंदिर बनवाया गया. मंदिर तक पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं. पहला मार्ग प्राचीन है जो राजनगर की ओर से आता है. यह मार्ग कच्चा और दुर्गम है.
वर्तमान में दूसरा मार्ग जो सड़क मार्ग है. इस मार्ग से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. राज मंदिर का निर्माण महाराणा राजसिंह ने अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर करवाया था. मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह नगर स्थापना के पूर्व से ही विराजित है. अन्नपूर्णा माता मंदिर की मान्यता है कि मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के घर के भंडार हमेशा भरे रहते हैं. मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. दुर्गम और कठिन पहाड़ियों से होकर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सारी थकान मां के दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं.
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कोरोना काल के बाद फिर से बड़ी संख्या में पहुंच रहे भक्त
कोरोना प्रकोप के 2 साल बाद एक बार फिर से माता रानी के मंदिर में भक्तों की कतार लग रही है. माता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए मेवाड़, मारवाड़ के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के लोग पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के पावन पर्व पर माता रानी को विशेष शृंगार धराया जा रहा है. पिछले 2 सालों से कोरोना के कारण गिने-चुने लोग ही मंदिर पहुंच रहे थे लेकिन अब हालात सामान्य होने पर मंदिर में फिर से चहल-पहल देखने को मिल रही है.
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महाराणा राजसिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण
महाराणा राजसिंह के शासन में भीषण अकाल के दौरान महाराणा राजसिंह ने लोगों को राहत देने के लिए राजसमंद झील निर्माण का निर्णय लिया.राजगढ़ की पहाड़ी पर अन्नपूर्णा माताजी का विशाल मंदिर इस उद्देश्य से बनाया गया कि लोगों का घर धन-धान्य से हमेशा भरा रहे. इसके बाद इस क्षेत्र में कभी भी अकाल नहीं पड़ा. माता रानी की कृपा के कारण सभी के घर अन्नपूर्णा का वास है.