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जिसे मृत समझकर परिवार वालों ने कर दिया अंतिम संस्कार...10 दिन बाद लौटा घर, प्रशासन की गंभीर चूक आई सामने

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Published : May 25, 2021, 2:20 PM IST

राजसमंद में पुलिस और अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही पंचनामा बनाकर शव दे दिया, वहीं परिजनों ने भी उसे अपना समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन 10 दिन बाद वह वापस जिंदा लौटकर आ गया. देखिए यह रिपोर्ट...

Considering dead funeral person returned home, मृत समझकर अंतिम संस्कार व्यक्ति लौटा घर
मृत समझकर अंतिम संस्कार व्यक्ति लौटा घर

राजसमंद. जिले में प्रशासन की एक और बड़ी चूक सामने आई है. जहां 10 दिनों पहले प्रशासन ने औंकारलाल नाम के एक व्यक्ति का शव बिना पोस्टमार्टम करवाए परिजनों को सौंप दिया था. वहीं गमगीन माहौल के बीच प्रशासन ने भी अंतिम संस्कार कर दिया था. ऐसे में रविवार शाम अचानक ओंकारलाल घर लौट आया. जिसे देख परिजन चौंक गए.

मृत समझकर अंतिम संस्कार व्यक्ति लौटा घर

बिना पेस्टमार्टम दिया शव

जानकारी के अनुसार, 11 मई को मोही रोड पर एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था. उसे 108 एम्बुलेंस से आरके जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया. बाद में जिला अस्पताल प्रशासन ने कांकरोली पुलिस को पत्र भेजकर उसकी पहचान के लिए कहा. पुलिस ने पहचान के प्रयास किए, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. जिसके बाद 15 मई को हेड कांस्टेबल मोहनलाल अस्पताल पहुंचे, जहां सोशल मीडिया पर वायरल फोटो के आधार पर पुलिस ने विवेकानंद चौराहा, कांकरोली निवासी ओंकारलाल गाडोलिया लौहार के भाई नानालाल और परिजनों को बुला लिया.

पढ़ें- मनरेगा एवं ग्रामीण विकास विभाग के कार्य फिर से शुरू होंगे...ग्रामीण विकास विभाग ने जारी की नई गाइडलाइन

नानालाल ने पुलिस को बताया था कि उसके भाई ओंकारलाल के दाएं हाथ में कलाई से लेकर कोहनी तक लम्बा चोट का निशान है. वहीं बाएं हाथ की दो अंगुलिया मुड़ी हुई हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने शव तीन दिन पुराना और फ्रिज में होने का हवाला देकर हाथ के निशान मिटने की बात कहकर परिवार को शव दे दिया.

औंकारलाल लौटा घर

ओंकार गाडोलिया के भाई नानालाल गाडोलिया ने बताया कि पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही पंचनामा बनाकर शव दे दिया और परिजनों ने औंकारलाल गाडोलिया लौहार समझकर अंतिम संस्कार भी कर दिया. पिछले 10 दिनों से परिवार में गम का माहौल था. जिसके बाद रविवार शाम औंकारलाल घर लौट आया, तो परिजन चौंक गए.

पढ़ें- EXCLUSIVE : ये तीसरी लहर नहीं तो क्या ? 2 महीने में जयपुर में 13000 से ज्यादा बच्चे हुए कोरोना संक्रमित

इलाज के लिए गया उदयपुर

औंकारलाल ने बताया कि 11 मई को परिजनों को बताए बगैर ही उदयपुर गया था. तबीयत खराब होने पर उदयपुर अस्पताल में भर्ती हो गया, जहां चार दिन बाद छुट्टी दी. रविवार को राजसमंद लौटा, तो देखा उसकी तस्वीर पर माला चढ़ी थी और भाई और बच्चों ने सिर मुंडवा रखे थे.

अखिर वह मृत शव किसकी

अब सवाल यह उठ रहे हैं कि जिसे मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, वह जिंदा निकला, तो फिर जिसका अंतिम संस्कार किया था, वह कौन था. शव का न तो पोस्टमार्टम हुआ और न ही विसरा रिपोर्ट ली. अब ऐसे में पुलिस कैसे पता करेगी कि जिसका अंतिम संस्कार कर दिया, वह कौन था. इससे अस्पताल के साथ पुलिस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.

पढ़ें- जोधपुर में 1 करोड़ 17 लाख रुपए के डोडा पोस्त के साथ पकड़ा गया 5 थानों का वांटेड

कांकरोली पुलिस-आरके अस्पताल की लापरवाही

यहां कांकरोली पुलिस और आरके अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है. इस पूरे मामले के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन और पुलिस प्रशासन लीपापोती में जुट गया है और कुछ भी खुलकर कहने से कतरा रहे हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी जांच करने का आश्वासन देते हुए कैमरे के सामने आने से भी आनाकानी कर रहे हैं.

राजसमंद. जिले में प्रशासन की एक और बड़ी चूक सामने आई है. जहां 10 दिनों पहले प्रशासन ने औंकारलाल नाम के एक व्यक्ति का शव बिना पोस्टमार्टम करवाए परिजनों को सौंप दिया था. वहीं गमगीन माहौल के बीच प्रशासन ने भी अंतिम संस्कार कर दिया था. ऐसे में रविवार शाम अचानक ओंकारलाल घर लौट आया. जिसे देख परिजन चौंक गए.

मृत समझकर अंतिम संस्कार व्यक्ति लौटा घर

बिना पेस्टमार्टम दिया शव

जानकारी के अनुसार, 11 मई को मोही रोड पर एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था. उसे 108 एम्बुलेंस से आरके जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया. बाद में जिला अस्पताल प्रशासन ने कांकरोली पुलिस को पत्र भेजकर उसकी पहचान के लिए कहा. पुलिस ने पहचान के प्रयास किए, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. जिसके बाद 15 मई को हेड कांस्टेबल मोहनलाल अस्पताल पहुंचे, जहां सोशल मीडिया पर वायरल फोटो के आधार पर पुलिस ने विवेकानंद चौराहा, कांकरोली निवासी ओंकारलाल गाडोलिया लौहार के भाई नानालाल और परिजनों को बुला लिया.

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नानालाल ने पुलिस को बताया था कि उसके भाई ओंकारलाल के दाएं हाथ में कलाई से लेकर कोहनी तक लम्बा चोट का निशान है. वहीं बाएं हाथ की दो अंगुलिया मुड़ी हुई हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने शव तीन दिन पुराना और फ्रिज में होने का हवाला देकर हाथ के निशान मिटने की बात कहकर परिवार को शव दे दिया.

औंकारलाल लौटा घर

ओंकार गाडोलिया के भाई नानालाल गाडोलिया ने बताया कि पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही पंचनामा बनाकर शव दे दिया और परिजनों ने औंकारलाल गाडोलिया लौहार समझकर अंतिम संस्कार भी कर दिया. पिछले 10 दिनों से परिवार में गम का माहौल था. जिसके बाद रविवार शाम औंकारलाल घर लौट आया, तो परिजन चौंक गए.

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इलाज के लिए गया उदयपुर

औंकारलाल ने बताया कि 11 मई को परिजनों को बताए बगैर ही उदयपुर गया था. तबीयत खराब होने पर उदयपुर अस्पताल में भर्ती हो गया, जहां चार दिन बाद छुट्टी दी. रविवार को राजसमंद लौटा, तो देखा उसकी तस्वीर पर माला चढ़ी थी और भाई और बच्चों ने सिर मुंडवा रखे थे.

अखिर वह मृत शव किसकी

अब सवाल यह उठ रहे हैं कि जिसे मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, वह जिंदा निकला, तो फिर जिसका अंतिम संस्कार किया था, वह कौन था. शव का न तो पोस्टमार्टम हुआ और न ही विसरा रिपोर्ट ली. अब ऐसे में पुलिस कैसे पता करेगी कि जिसका अंतिम संस्कार कर दिया, वह कौन था. इससे अस्पताल के साथ पुलिस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.

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कांकरोली पुलिस-आरके अस्पताल की लापरवाही

यहां कांकरोली पुलिस और आरके अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है. इस पूरे मामले के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन और पुलिस प्रशासन लीपापोती में जुट गया है और कुछ भी खुलकर कहने से कतरा रहे हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी जांच करने का आश्वासन देते हुए कैमरे के सामने आने से भी आनाकानी कर रहे हैं.

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