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राजसमंद झील भरने को लेकर भाजपा-कांग्रेस ने वादे तो किए...लेकिन धरातल पर नहीं उतर पाया

राजसमंद झील को भरने के लिए भाजपा और कांग्रेस की ओर से इसे राजनैतिक स्तर पर तो कई बार मुद्दा बनाया गया, लेकिन दोनों ही दलों की सरकारें बनने के बाद भी उनके वादे पूरे नहीं हो पाये. कांग्रेस सरकार ने अपनी योजना तैयार की तो भाजपा सरकार ने भी इस झील को लेकर प्लान बनाया, लेकिन कोई भी योजना साकार रूप नहीं ले पाई. जिसके चलते आज भी मुद्दा जस का तस बना हुआ है. अब विधायक किरण माहेश्वरी ने इस मुद्दे को विधानसभा में रखने की बात कही है.

राजसमंद झील और क्षेत्र के लोगों को सरकारों के वादे पूरे होने का अब भी है इंतजार
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Published : Jun 23, 2019, 5:58 PM IST

Updated : Jun 23, 2019, 6:20 PM IST

राजसमंद. ऐतिहासिक राजसमंद झील में पानी लाने की योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. हर चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं द्वारा राजसमंद झील को लबालब भरने का वादा जनता से किया जाता है, लेकिन वह वादा धरातल तक नहीं उतर पाया. आपको बता दें कि भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की सरकारों ने इस झील को भरने के लिए सिर्फ योजनाएं ही बनाई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2013 की सरकार में माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए 4 करोड़ 56 लाख की योजना बनाने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद भाजपा की सरकार ने आते ही कांग्रेस सरकार की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

राजसमंद झील और क्षेत्र के लोगों को सरकारों के वादे पूरे होने का अब भी है इंतजार

वहीं भाजपा सरकार ने भी वर्ष 2018 के अपने अंतिम बजट में झील में देवास से पानी लाने की योजना को साकार करने का सपना दिखाया था, लेकिन यह भी धरातल तक नहीं उतर पाया. वहीं एक बार फिर सरकार बदलने से कांग्रेस की सरकार ने भाजपा सरकार की झील को भरने की योजना को सिरे से नकार दिया है. वहीं राजसमंद झील संरक्षण अभियान के समन्वयक दिनेश श्रीमाली का कहना है कि झील के निर्माण को 342 साल पूरे होने जा रहे हैं. इस झील का केचमेंट एरिया बहुत छोटा है.

केचमेंट के आधार पर यह पौने चार हजार एमसीएफटी पानी के भराव क्षमता वाली झील है. इस झील का औसत बारिश में पूरा भरा जाना असंभव सा है. उनका कहना रहा कि मेवाड़ में राजसमंद जिला पहला उदाहरण है. जहां पर बनास नदी को लाकर गोमती नदी से जोड़ा गया. इसके लिंकिंग के लिए खारी फिल्टर का निर्माण किया गया. जो 1962 में शुरू हुआ और 1968 में खारी फिल्टर तैयार हो गया. उसके बाद हम देखें कि बनास नदी के माध्यम से जनरल लिंक बनाया गया. खारी फिल्टर को उसके माध्यम से कई वर्षों तक इस झील में पानी आता रहा. अब इस झील को माही से पानी लाने की योजना सबसे अधिक फायदेमंद हो सकती है.

वही उनका कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने चुनाव के समय इस झील को भरने के लिए वादे तो अनेक किए, लेकिन धरातल पर उतारने में असफल साबित रहे. वहीं झील को लेकर राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी ने बताया कि राजसमंद डार्क जोन है. राजसमंद में पानी की किल्लत है. इसे लेकर उन्होंने एक प्लान बनाया था कि देवास तीसरे और चौथे फेज का पानी राजसमंद झील में आए. जो कि तेज गति से आ सकता है. क्योंकि राजसमंद झील ऊंचाई पर है. उन्होंने कहा कि एकमात्र सोर्स है देवास थर्ड और फोर्थ फेज का पानी. इसका पूरा डीपीआर बनकर तैयार हो गया, लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता है कि वे इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है. उनका कहना रहा कि वे इस विषय को विधानसभा के बजट सत्र में रखेंगीं.

दरअसल, एक तरफ जहां 2013 में झील को पानी से भरने के लिए कांग्रेस सरकार ने माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए योजना बनाने की बात कही थी, लेकिन यह बात भी अधूरी साबित हुई, वहीं 2018 में भाजपा सरकार ने अपने अंतिम बजट में इस झील में देवास से पानी लाने की योजना साकार करने का सपना दिखाया था. लेकिन वह भी धरातल पर नहीं उतर पाया. जिसके कारण झील में लगातार पानी कम हो रहा है और जल स्तर लगातार घट रहा है.

आपको बता दें कि राजसमंद झील का निर्माण 1660 में महाराणा राजसिंह ने करवाया था. यह 2.82 किमी चौड़ी, 6.4 किमी लंबी तथा 18 मीटर तक गहरी है. इसका केचमेंट एरिया करीब 510 किलोमीटर का है. वहीं इसकी भराव क्षमता 30 फीट की है. जबकि कुल भराव 3786 एमसीएफटी है. वर्तमान में जल स्तर 5.60 गेज फीट है. अब देखना होगा कि इस मीठे पानी की झील को भरने के लिए सरकार और राजसमंद के जनप्रतिनिधि क्या करते हैं.

राजसमंद. ऐतिहासिक राजसमंद झील में पानी लाने की योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. हर चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं द्वारा राजसमंद झील को लबालब भरने का वादा जनता से किया जाता है, लेकिन वह वादा धरातल तक नहीं उतर पाया. आपको बता दें कि भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की सरकारों ने इस झील को भरने के लिए सिर्फ योजनाएं ही बनाई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2013 की सरकार में माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए 4 करोड़ 56 लाख की योजना बनाने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद भाजपा की सरकार ने आते ही कांग्रेस सरकार की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

राजसमंद झील और क्षेत्र के लोगों को सरकारों के वादे पूरे होने का अब भी है इंतजार

वहीं भाजपा सरकार ने भी वर्ष 2018 के अपने अंतिम बजट में झील में देवास से पानी लाने की योजना को साकार करने का सपना दिखाया था, लेकिन यह भी धरातल तक नहीं उतर पाया. वहीं एक बार फिर सरकार बदलने से कांग्रेस की सरकार ने भाजपा सरकार की झील को भरने की योजना को सिरे से नकार दिया है. वहीं राजसमंद झील संरक्षण अभियान के समन्वयक दिनेश श्रीमाली का कहना है कि झील के निर्माण को 342 साल पूरे होने जा रहे हैं. इस झील का केचमेंट एरिया बहुत छोटा है.

केचमेंट के आधार पर यह पौने चार हजार एमसीएफटी पानी के भराव क्षमता वाली झील है. इस झील का औसत बारिश में पूरा भरा जाना असंभव सा है. उनका कहना रहा कि मेवाड़ में राजसमंद जिला पहला उदाहरण है. जहां पर बनास नदी को लाकर गोमती नदी से जोड़ा गया. इसके लिंकिंग के लिए खारी फिल्टर का निर्माण किया गया. जो 1962 में शुरू हुआ और 1968 में खारी फिल्टर तैयार हो गया. उसके बाद हम देखें कि बनास नदी के माध्यम से जनरल लिंक बनाया गया. खारी फिल्टर को उसके माध्यम से कई वर्षों तक इस झील में पानी आता रहा. अब इस झील को माही से पानी लाने की योजना सबसे अधिक फायदेमंद हो सकती है.

वही उनका कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने चुनाव के समय इस झील को भरने के लिए वादे तो अनेक किए, लेकिन धरातल पर उतारने में असफल साबित रहे. वहीं झील को लेकर राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी ने बताया कि राजसमंद डार्क जोन है. राजसमंद में पानी की किल्लत है. इसे लेकर उन्होंने एक प्लान बनाया था कि देवास तीसरे और चौथे फेज का पानी राजसमंद झील में आए. जो कि तेज गति से आ सकता है. क्योंकि राजसमंद झील ऊंचाई पर है. उन्होंने कहा कि एकमात्र सोर्स है देवास थर्ड और फोर्थ फेज का पानी. इसका पूरा डीपीआर बनकर तैयार हो गया, लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता है कि वे इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है. उनका कहना रहा कि वे इस विषय को विधानसभा के बजट सत्र में रखेंगीं.

दरअसल, एक तरफ जहां 2013 में झील को पानी से भरने के लिए कांग्रेस सरकार ने माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए योजना बनाने की बात कही थी, लेकिन यह बात भी अधूरी साबित हुई, वहीं 2018 में भाजपा सरकार ने अपने अंतिम बजट में इस झील में देवास से पानी लाने की योजना साकार करने का सपना दिखाया था. लेकिन वह भी धरातल पर नहीं उतर पाया. जिसके कारण झील में लगातार पानी कम हो रहा है और जल स्तर लगातार घट रहा है.

आपको बता दें कि राजसमंद झील का निर्माण 1660 में महाराणा राजसिंह ने करवाया था. यह 2.82 किमी चौड़ी, 6.4 किमी लंबी तथा 18 मीटर तक गहरी है. इसका केचमेंट एरिया करीब 510 किलोमीटर का है. वहीं इसकी भराव क्षमता 30 फीट की है. जबकि कुल भराव 3786 एमसीएफटी है. वर्तमान में जल स्तर 5.60 गेज फीट है. अब देखना होगा कि इस मीठे पानी की झील को भरने के लिए सरकार और राजसमंद के जनप्रतिनिधि क्या करते हैं.

Intro:राजसमंद- ऐतिहासिक राजसमंद झील में पानी लाने की योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई. राजसमंद झील को हर चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं के द्वारा लबालब भरने का वादा जनता को दिया गया.लेकिन वह वादा धरातल तक नहीं उतर पाया. आपको बता दें कि भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही पार्टी के सरकारों ने इस झील को भरने के लिए सिर्फ योजना ही बनाई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2013 की सरकार में माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए 4 करोड़ 56 लाख की योजना बनाने की बात कही थी.लेकिन इसके बाद भाजपा की सरकार ने आते ही कांग्रेस सरकार की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया.


Body:वहीं भाजपा सरकार ने भी वर्ष 2018 के अपने अंतिम बजट में झील में देवास से पानी लाने की योजना का साकार करने का सपना दिखाया था. लेकिन यह धरातल तक नहीं उतर पाया वही फिर एक बार फिर सरकार चेंज होने से कांग्रेस की सरकार ने भाजपा सरकार की झील को भरने की योजना को सिरे से नकार दिया है. वही राजसमंद झील संरक्षण अभियान के समन्वयक दिनेश श्रीमाली का कहना है. कि झील के निर्माण को 342 साल पूरे होने जा रहे हैं.इस झील का केचमेंट बहुत छोटा है.केचमेंट के आधार पर यह पौने चार हजार एमसीएफटी पानी के भराव क्षमता वाली झील है.इस झील औसत बरसात के भीतर भरा जाना असंभव सा है.वही ऐसी परिस्थितियों के भीतर 1962 में तत्कालीन राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया और नेता निरंजन नाथ आचार्य उनके निर्देश में पहली बार नदी से नदी को जोड़ने की संकल्पना की जा रही थी.और जो बात अब की जा रही है.उनका कहना है.कि मेवाड़ के अंदर राजसमंद जिला पहला उदाहरण है.जहां पर बनास नदी को लाकर गोमती नदी से जोड़ा गया.इसके लिंकिंग के लिए खारी फिल्टर का निर्माण किया गया.जो 1962 में शुरू हुआ और 1968 में खारी फिल्टर तैयार हो गया.उसके पश्चात हम देखें की बनास नदी के माध्यम से जनरल लिंक बनाया गया खारी फिल्टर को उसके माध्यम से कई वर्षों तक इस झील मैं पानी आता रहा 1968 के बाद इस झील को सिंचाई का रनवा बढ़ा और यहां की जनसंख्या का विस्तार हुआ जिसके कारण अब इस झील को माही से पानी लाने की योजना सबसे उपयोगी हो सकती है तकनीकी दृष्टि से यह फायदेमंद है.


Conclusion:वही उनका कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने चुनाव के समय इस झील को भरने के लिए वादे तो अनेक किए लेकिन धरातल पर उतारने में असफल साबित रहे.
वहीं झील को लेकर राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी से झील को भरने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि राजसमंद डाक जॉन है. राजसमंद में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत है.राजसमंद के अंदर हम लोगों ने एक प्लान बनाया था. कि देवास थर्ड और फोर्थ का पानी राजसमंद झील मैं आए और जोकि तेज गति से आ सकता है. राजसमंद झील ऊंची है. बहुत ऊपर है. उन्होंने कहा कि एकमात्र सोर्स है.देवास थर्ड और फोर्थ का पानी राजसमंद झील में तेज गति से आ सकता है.इसका पूरा डीपीआर बनकर कंप्लीट हुआ. लेकिन राज्य सरकार इतनी उदासीनता है.कि सारी चीजों के ऊपर और हमारे बार-बार कहने पर भी किसी प्रकार की कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब राज्य सरकार का नहीं आ रहा. इस विषय को हम फिर से विधानसभा सत्र के बजट में उठाएंगे और सरकार के सामने फिर से इस विषय को रखेंगे.
दरअसल जहां एक तरफ 2013 में झील को भरने के लिए कांग्रेस सरकार ने माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए योजना बनाने की बात कही थी. लेकिन यह बात भी अधूरी साबित हुई वहीं 2018 में भाजपा सरकार ने अपने अंतिम बजट में इस झील में देवास से पानी लाने की योजना साकार करने का सपना दिखाया था. लेकिन वह भी धरातल पर नहीं उतर पाया.जिसके कारण झील निरंतर सूख रही है. और जलस्तर लगातार घट रहा है.आपको बता दें कि राजसमंद झील का निर्माण सन,1660 शताब्दी में महाराणा राज सिंह ने करवाया था.यह 2.82 किमी चौड़ी,6.4 किमी लंबी कथा 18 मीटर तक गहरी है. इसका केचमेंट एरिया बेहद विशाल लगभग 510 किलोमीटर का है.वहीं इस की भराव क्षमता 30 फिट की है.जबकि कुल भराव 3786 एमसीएफटी वर्तमान में जलस्तर5.60 गेज फिट है.अब देखना होगा.कि विश्व के दूसरे मीठे पानी की झील को भरने के लिए सरकार और राजसमंद के जनप्रतिनिधि क्या करते हैं.
बाइट- राजसमंद झील संरक्षण अभियान के समन्वयक दिनेश श्रीमाली
बाइट- राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी
Last Updated : Jun 23, 2019, 6:20 PM IST
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