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राजस्थान का ऐसा मंदिर...जहां जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी - 21 cannon salutes on Janmashtami

जब भी श्रीकृष्ण के प्रमुख मंदिरों की बात होती है तो उसमें राजस्थान के नाथद्ववार में स्थित श्रीनाथजी मंदिर का नाम जरूर आता है. यहां कृष्ण स्वरूप श्रीनाथजी को 7 वर्षीय बालक के रूप में पूजा जाता है. वहीं सबसे खास बात यहां जन्माष्टमी पर आधी रात को 21 तोपों की सलामी दी जाती है.

21 cannon salutes Janmashtami, जन्माष्टमी पर 21 तोपों की सलामी
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Published : Aug 22, 2019, 8:42 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 9:37 PM IST

नाथद्वारा(राजसमंद). पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर में 24 अगस्त को जन्माष्टमी और 25 अगस्त को नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. जहां आम दिनों में करीब 10 से 15 हजार लोग दर्शन करने आते है. लेकिन, जन्माष्ठमी पर लगभग एक से सवा लाख लोगों के आने की संभावना है.

ये रहेगा नंदत्सोव का कार्यक्रम

  • 24 अगस्त को जन्माष्टमी और 25 अगस्त को नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा.
  • 24 अगस्त शनिवार को सुबह 4:45 बजे पंचामृत स्नान और मंगला आरती के दर्शन होंगे.
  • दिन में 2:15 बजे राजभोग और जागरण के दर्शन 9 बजे से अर्धरात्रि 12 बजे तक होंगे.
  • रात्रि 12 बजे जन्म की खुशियाों पर 21 तोपों की सलामी देकर मनाई जाएगी. 12:00 बजे जन्म के साथ ही मंदिर के पट बंद हो जाएंगे.
  • 25 अगस्त को सुबह 7:30 से 11:00 बजे तक नंदउत्सव मनाया जाएगा. प्रभु श्रीनाथजी और लालन को सोने के पालने में झुलाया जाएगा. झूलते हुए लालन के दर्शन करवाए जाएंगे.

वहीं जन्मउत्सव कि खुशी में ग्वाल बाल दूध दही से होली खेल कर खुशियां मनाएंगे. मंदिर में दर्शन करने आने वाले सभी लोगों के संग ग्वाल बाल हल्दी केसर युक्त दूध दही से होली खेलेंगे. इसके लिए अभी से विशेष तैयारियां कर ली गयी हैं.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: राजस्थान के इस दरगाह पर बहती है गंगा जमुनी तहजीब की धारा...हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं जन्माष्टमी

जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी
विशेष आकर्षण होती है 21 तोपों की सलामी. दरअसल नंद राय के घर लालन होने की खुशी में 21 तोपों की सलामी दी जाती है. इसके पीछे यह कहा जाता है कि गांव के मुखिया नंदराय के गांव व उसके आसपास के गांवों में लोगों को यह सूचना मिल जाए कि नंदराय के घर उनके तारणहार का जन्म हो चुका है और वे लोग इसकी खुशियां मनाना प्रारंभ करें.

श्रीनाथजी मंदिर पर जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी, देखें स्पेशल रिपोर्ट

प्रभु श्रीनाथजी को मथुरा से सुरक्षित लाया गया था
मुगलकाल में मुगलों के आतंक के बीच प्रभु श्रीनाथजी को सुरक्षित रखने के लिए मथुरा के जतीपुरा से भगवान को यहां लाया गया था. मथुरा से आगरा, कोटा, जोधपुर होते हुए काफी लंबी यात्रा के बाद मेवाड़ के राजा ने श्रीनाथजी की सुरक्षा का वचन देते हुए उन्हें यही ठहरने की गुजारिश की थी. तब से वे यहीं विराजित है.

पढ़ें- जन्माष्टमी: श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय हैं बांसुरी और मोरपंख, जानें इनका महत्व

नाथद्वारा को ब्रज का ही एक रूप
श्रीनाथजी आज से करीब 370 वर्ष पूर्व जब से मेवाड़ पधारें तब से अब तक इस परंपरा को हर वर्ष मनाया जा रहा है. नाथद्वारा को ब्रज का ही एक रूप मानकर यहां भी आसपास के गांवों में लोगों में भगवान श्री कृष्ण को लेकर गहरी आस्था है. रात्रि 12 बजे तोपों की आवाज सुनकर श्री कृष्ण जन्म की खुशियां मनाते हैं. जन्माष्टमी के उपलक्ष में पूरे नगर में उत्सव हर्षोल्लास देखते ही बनता है. सिर्फ नाथद्वारा ही नहीं वरण आसपास के कई गांवों - शहरों से लोग श्रीनाथजी के दर्शन करने को आते हैं और रात्रि को 12:00 बजे होने वाले इस आयोजन को देखने के लिए भी काफी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं.

नाथद्वारा(राजसमंद). पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर में 24 अगस्त को जन्माष्टमी और 25 अगस्त को नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. जहां आम दिनों में करीब 10 से 15 हजार लोग दर्शन करने आते है. लेकिन, जन्माष्ठमी पर लगभग एक से सवा लाख लोगों के आने की संभावना है.

ये रहेगा नंदत्सोव का कार्यक्रम

  • 24 अगस्त को जन्माष्टमी और 25 अगस्त को नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा.
  • 24 अगस्त शनिवार को सुबह 4:45 बजे पंचामृत स्नान और मंगला आरती के दर्शन होंगे.
  • दिन में 2:15 बजे राजभोग और जागरण के दर्शन 9 बजे से अर्धरात्रि 12 बजे तक होंगे.
  • रात्रि 12 बजे जन्म की खुशियाों पर 21 तोपों की सलामी देकर मनाई जाएगी. 12:00 बजे जन्म के साथ ही मंदिर के पट बंद हो जाएंगे.
  • 25 अगस्त को सुबह 7:30 से 11:00 बजे तक नंदउत्सव मनाया जाएगा. प्रभु श्रीनाथजी और लालन को सोने के पालने में झुलाया जाएगा. झूलते हुए लालन के दर्शन करवाए जाएंगे.

वहीं जन्मउत्सव कि खुशी में ग्वाल बाल दूध दही से होली खेल कर खुशियां मनाएंगे. मंदिर में दर्शन करने आने वाले सभी लोगों के संग ग्वाल बाल हल्दी केसर युक्त दूध दही से होली खेलेंगे. इसके लिए अभी से विशेष तैयारियां कर ली गयी हैं.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: राजस्थान के इस दरगाह पर बहती है गंगा जमुनी तहजीब की धारा...हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं जन्माष्टमी

जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी
विशेष आकर्षण होती है 21 तोपों की सलामी. दरअसल नंद राय के घर लालन होने की खुशी में 21 तोपों की सलामी दी जाती है. इसके पीछे यह कहा जाता है कि गांव के मुखिया नंदराय के गांव व उसके आसपास के गांवों में लोगों को यह सूचना मिल जाए कि नंदराय के घर उनके तारणहार का जन्म हो चुका है और वे लोग इसकी खुशियां मनाना प्रारंभ करें.

श्रीनाथजी मंदिर पर जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी, देखें स्पेशल रिपोर्ट

प्रभु श्रीनाथजी को मथुरा से सुरक्षित लाया गया था
मुगलकाल में मुगलों के आतंक के बीच प्रभु श्रीनाथजी को सुरक्षित रखने के लिए मथुरा के जतीपुरा से भगवान को यहां लाया गया था. मथुरा से आगरा, कोटा, जोधपुर होते हुए काफी लंबी यात्रा के बाद मेवाड़ के राजा ने श्रीनाथजी की सुरक्षा का वचन देते हुए उन्हें यही ठहरने की गुजारिश की थी. तब से वे यहीं विराजित है.

पढ़ें- जन्माष्टमी: श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय हैं बांसुरी और मोरपंख, जानें इनका महत्व

नाथद्वारा को ब्रज का ही एक रूप
श्रीनाथजी आज से करीब 370 वर्ष पूर्व जब से मेवाड़ पधारें तब से अब तक इस परंपरा को हर वर्ष मनाया जा रहा है. नाथद्वारा को ब्रज का ही एक रूप मानकर यहां भी आसपास के गांवों में लोगों में भगवान श्री कृष्ण को लेकर गहरी आस्था है. रात्रि 12 बजे तोपों की आवाज सुनकर श्री कृष्ण जन्म की खुशियां मनाते हैं. जन्माष्टमी के उपलक्ष में पूरे नगर में उत्सव हर्षोल्लास देखते ही बनता है. सिर्फ नाथद्वारा ही नहीं वरण आसपास के कई गांवों - शहरों से लोग श्रीनाथजी के दर्शन करने को आते हैं और रात्रि को 12:00 बजे होने वाले इस आयोजन को देखने के लिए भी काफी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं.

Intro: कृष्ण स्वरूप श्रीनाथजी को 7 वर्षीय बालक के रूप में पूजा जाता है नाथद्वारा मेंBody:जन्माष्टमी पर आधी रात को दी जाएगी 21 तोपो की सलामी ।

नाथद्वारा , राजसमंद ।

नाथद्वारा , पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर में 24 अगस्त को जन्माष्टमी तथा 25 अगस्त को नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा ।
जन्माष्टमी पर शाम 5 बजे भव्य शोभायात्रा मंदिर मंडल द्वारा स्थानीय स्कूलों , शिक्षण संस्थाओं के सहयोग से श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित लीलाओ का जीवंत चित्रण झांकियो में प्रदशित किया जाएगा , शोभायात्रा नगर के मुख्य मार्गो से होती हुई मंदिर की परिक्रमा करेगी ।
24 अगस्त शनिवार को सुबह 4:45 बजे पंचामृत स्नान व मंगला आरती के दर्शन होंगे , राजभोग दिनमें 2:15 बजे व जागरण के दर्शन 9 बजे से अर्धरात्रि 12 बजे तक होंगे ।
रात्रि 12 बजे जन्म की खुशियां 21 तोपो की सलामी दे कर मनाई जाएगी , स्थानीय रिसाला चौक में इसकी तैयारिया की जा रही है ।
12:00 बजे जन्म के साथ ही मंदिर के पट बंद हो जाएंगे ।

अगले दिन 25 अगस्त को सुबह 7:30 से 11:00 बजे तक नंदउत्सव मनाया जाएगा । प्रभु श्रीनाथजी ओर लालन को सोने के पालने में झुलाया जाएगा, झूलते हुए लालन के दर्शन करवाए जाएंगे । जन्मउत्सव कि खुशी में ग्वाल बाल दूध दही से होली खेल कर खुशियां मनाएंगे । मंदिर में दर्शन करने आने वाले सभी लोगो संग ग्वाल बाल हल्दी केसर युक्त दूध दही से होली खेलेंगे । इसके लिए अभी से विशेष तैयारियां कर ली गयी हैं ।

आम दिनों में करीब 10 से 15 हजार लोग दर्शन करने आते है लेकिन जन्माष्ठमी पर लगभग एक से सवा लाख लोगों के आने की है संभावना ।

विशेष आकर्षण होती है 21 तोपों की सलामी दरअसल नंद राय के घर लालन होने की खुशी में 21 तोपों की सलामी दी जाती है । इसके पीछे यह कहा जाता है कि गांव के मुखिया नंदराय के गांव व उसके आसपास के गांवों में लोगों को यह सूचना मिल जाए कि नंदराय के घर उनके तारणहार का जन्म हो चुका है और वे लोग इसकी खुशियां मनाना प्रारंभ करें ।
मुगलकाल मे मुगलो के आतंक के बीच प्रभु श्रीनाथजी को सुरक्षित रखने के लिए मथुरा के जतीपुरा से भगवान को यहां लाया गया था , मथुरा से आगरा , कोटा , जोधपुर होते हुए काफी लंबी यात्रा के बाद मेवाड़ के राजा ने श्रीनाथजी की सुरक्षा का वचन देते हुए उन्हें यही ठहरने की गुजारिश की थी । तब से वे यहीं विराजित है ।
श्रीनाथजी आज से करीब 370 वर्ष पूर्व जब से मेवाड़ पधारें तब से अब तक इस परंपरा को हर वर्ष मनाया जा रहा है नाथद्वारा को ब्रिज का ही एक रूप मानकर यहां भी आसपास के गांवों में लोगों में भगवान श्री कृष्ण को लेकर गहरी आस्था है और लोग रात्रि 12:00 बजे तोपों की आवाज सुनकर श्री कृष्ण जन्म की खुशियां मनाते हैं । जन्माष्टमी के उपलक्ष में पूरे नगर में उत्सव हर्षोल्लास देखते ही बनता है । सिर्फ नाथद्वारा ही नहीं वरण आसपास के कई गांवों - शहरों से लोग श्रीनाथजी के दर्शन करने को आते हैं और रात्रि को 12:00 बजे होने वाले इस आयोजन को देखने के लिए भी काफी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं । रात्रि 9:00 बजे जागरण के दर्शन खुलते हैं यह दर्शन 12:00 बजे तक होते हैं इसके बाद मंदिर की छतरी से बिगुल बजाकर कृष्ण जन्म की सूचना दी जाती है बिगुल बजने के साथ ही इक्कीस तोपों की सलामी शुरू कर दी जाती है ।
हाल ही में इस साल एक अन्य संयोग देखने को मिला जब 38 साल बाद 27 मार्च 2019 को श्रीनाथजी मंदिर के महाराज तिलकायत राकेश महाराज के घर पौत्र का जन्म हुआ । दरअसल महाराज के घर पुत्र का जन्म होने पर 11 तोपों की सलामी दी जाती है ।
तिलकायत ही मंदिर के सर्वे सर्वा होते हैं यह मंदिर उनका निजी मंदिर है , हालांकि सरकारी दखल के बाद मंदिर मंडल बोर्ड का गठन किया गया था , बोर्ड में भी अध्यक्ष पदेन तिलकायत ही होते है ।
तिलकाया महाप्रभु जी के वंशज होते हैं, वे पीढ़ी दर पीढ़ी श्रीनाथजी की सेवा करते आ रहे हैं ।
जगद्गुरु वल्लभाचार्य महाप्रभु जी ने ही पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की स्थापना की थी । वह इसका प्रचार-प्रसार किया था अधिकांश पुष्टिमार्गीय वैष्णव गुजराती हैं, महाप्रभु जी ने इसके प्रचार करते वक्त कुल 84 स्थानों पर पुष्टि संप्रदाय के प्रसार के लिए भागवत कथा का आयोजन किया था आज भी इन 84 स्थानों पर श्री जी के मंदिर व महाप्रभुजी की बैठक बनी हुई है जहां श्रद्धालु काफी आस्था से सिर नवाते हैं इन्हीं स्थानों से अधिकांश वैष्णव पुष्टि संप्रदाय से जुड़े हुए हैं




कुलदीप शर्मा
9352731466
नाथद्वारा , राजसमंद ।Conclusion: श्रीनाथ जी का प्राकट्य सन 1535 में अन्य और में गिरिराज जी की कंधों से हुआ था तब महाप्रभु जी ने गिर्राज जी पर एक मंदिर बना कर श्रीनाथजी को वहां विराजमान करवाया था तब से श्रीनाथ जी की राग भोग व श्रृंगार के माध्यम से सेवा की जाती है श्रीनाथजी के दर्शन दिन में 8 बार होते हैं 8 बार अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है वह साथ ही ऑटो बार भोग भी लगाया जाता है विशेष उत्सव पर दर्शनों में कमी की जाती है ।
Last Updated : Aug 22, 2019, 9:37 PM IST
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