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कुवैत में फंसे भारतीयों की गुहार, कोरोना से बाद में पहले भुखमरी से मर जाएंगें सरकार

प्रतापगढ़ के लोग जो कुवैत में फंसे हुए है, वो लगातार सरकार से घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. कुवैत में फंसे लोगों का कहना है कि कुवैत में सभी समाज के काफी लोग हैं. यहां रोजगार भी करीब 80 दिनों से बंद हो चुका है. ऐसे में जो भी पैसा था, वह खर्च हो गया है और हम अपने आप को बेसहारा महसूस कर रहे हैं.

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भारतीयों की स्थिति खराब
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Published : May 13, 2020, 4:28 PM IST

प्रतापगढ़. जिले सहित वागड़ और मेवाड़ यानि बांसवाड़ा, प्रतापगढ, डूंगरपुर के हजारों लोग कुवैत में फंसे हुए हैं. हजारों की संख्या में ये प्रवासी सरकार से वतन वापसी की गुहार लगा रहे हैं. कुवैत में फंसे भारतीयों का कहना है की वह देश लौटने के बाद क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए भी तैयार है, लेकिन फिलहाल वह अपने वतन वापस लौटना चाहते हैं.

कोरोना से ज्यादा भूख से मरने का डर

प्रतापगढ़ जिले के धरियावद उपखंड क्षेत्र के रहने वाले पंकज वसी ने बताया कि वह लोग कुवैत के कई अलग-अलग इलाको में फंसे हुए है, जैसे इस्तकलाल, खेतान, जलिव, हवेली, मरगाब इन जगहों पर भारतीयों को दो वक्त का खाना भी समय पर नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में यदि उनकी वतन वापसी नहीं होती है, तो बीमारी की जगह भुखमरी से मर जाएंगे.

पढ़ेंः PHED के प्रमुख शासन की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक

साथ ही उन्होंने कहा कि यहां रोजगार भी करीब 80 दिनों से बंद हो चुका है. ऐसे में जो भी पैसा था वह खर्च हो गया है और हम अपने आप को बेसहारा महसूस कर रहे हैं. इसलिए घर चलाने के लिए ना हमारे पास रोजगार है, ना ही बैंक में पैसा बचा है, इसलिए हमें जल्द से जल्द घर भेजने बुलाए.

कुवैत में फंसे क्षेत्र के लोगों का आरोप है की प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और गढ़ी परतापपुर क्षेत्र के लोग जो कुवैत में फंसे हुए हैं, उनके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी कोई आवाज नहीं उठा रहे है. वहां फंसे लोगों का कहना है कि कुवैत में लॉकडाउन 30 मई तक है. ऐसे में उनका वहां रह पाना अब मुश्किल हो रहा है. ऐसे में देश की सरकार को उनके वतन वापसी के लिए कुछ ठोस कदम उठाना चाहिए.

प्रतापगढ़. जिले सहित वागड़ और मेवाड़ यानि बांसवाड़ा, प्रतापगढ, डूंगरपुर के हजारों लोग कुवैत में फंसे हुए हैं. हजारों की संख्या में ये प्रवासी सरकार से वतन वापसी की गुहार लगा रहे हैं. कुवैत में फंसे भारतीयों का कहना है की वह देश लौटने के बाद क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए भी तैयार है, लेकिन फिलहाल वह अपने वतन वापस लौटना चाहते हैं.

कोरोना से ज्यादा भूख से मरने का डर

प्रतापगढ़ जिले के धरियावद उपखंड क्षेत्र के रहने वाले पंकज वसी ने बताया कि वह लोग कुवैत के कई अलग-अलग इलाको में फंसे हुए है, जैसे इस्तकलाल, खेतान, जलिव, हवेली, मरगाब इन जगहों पर भारतीयों को दो वक्त का खाना भी समय पर नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में यदि उनकी वतन वापसी नहीं होती है, तो बीमारी की जगह भुखमरी से मर जाएंगे.

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साथ ही उन्होंने कहा कि यहां रोजगार भी करीब 80 दिनों से बंद हो चुका है. ऐसे में जो भी पैसा था वह खर्च हो गया है और हम अपने आप को बेसहारा महसूस कर रहे हैं. इसलिए घर चलाने के लिए ना हमारे पास रोजगार है, ना ही बैंक में पैसा बचा है, इसलिए हमें जल्द से जल्द घर भेजने बुलाए.

कुवैत में फंसे क्षेत्र के लोगों का आरोप है की प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और गढ़ी परतापपुर क्षेत्र के लोग जो कुवैत में फंसे हुए हैं, उनके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी कोई आवाज नहीं उठा रहे है. वहां फंसे लोगों का कहना है कि कुवैत में लॉकडाउन 30 मई तक है. ऐसे में उनका वहां रह पाना अब मुश्किल हो रहा है. ऐसे में देश की सरकार को उनके वतन वापसी के लिए कुछ ठोस कदम उठाना चाहिए.

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