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प्रतापगढ़ में जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

प्रतापगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जहां जिले में शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

training program to promote biofuels, प्रतापगढ़ में जैव ईंधन को बढ़ावा
जैव ईंधन को बढ़ावे के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
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Published : Jan 23, 2021, 12:20 PM IST

प्रतापगढ़. कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए इन-दिनों जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसको लेकर शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

जैव ईंधन को बढ़ावे के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी डॉ. योगेश कनोजिया ने बताया कि डीजल ईंधन की उपलब्धता में कमी, ईंधन की बढ़ती खपत और पेट्रोलियम पदार्थ के निरंतर बढ़ती मांग राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय है. मांग और आपूर्ति के लिए जैव ईंधन के प्रयोग को प्रोत्साहित करना आवश्यक है.

पढ़ें- जानलेवा लापरवाही!...जयपुर में सड़क धंसने से 20 फीट गड्ढे में गिरा ऑटो, दो लोग गंभीर घायल

डॉ. कनोजिया ने किसानों को बताया कि योजना आयोग भारत सरकार भी इस खेती के लिए विशेष जोर दे रही है. जिससे देश में खाली पड़ी बंजर पड़त और अनुपजाऊ भूमि में सफलतापूर्वक इनकी खेती की जा सके और पेट्रोलियम पदार्थों पर होने वाले भारतीय मुद्रा के व्यय को कम किया जा सके. उन्होंने बताया कि किसान समूह के रूप में गांव में बंजर पड़ी जमीन पर रतनजोत का पौधारोपण कर अपने आजीविका में वृद्धि कर सकते है.

प्रतापगढ़. कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए इन-दिनों जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसको लेकर शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

जैव ईंधन को बढ़ावे के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी डॉ. योगेश कनोजिया ने बताया कि डीजल ईंधन की उपलब्धता में कमी, ईंधन की बढ़ती खपत और पेट्रोलियम पदार्थ के निरंतर बढ़ती मांग राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय है. मांग और आपूर्ति के लिए जैव ईंधन के प्रयोग को प्रोत्साहित करना आवश्यक है.

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डॉ. कनोजिया ने किसानों को बताया कि योजना आयोग भारत सरकार भी इस खेती के लिए विशेष जोर दे रही है. जिससे देश में खाली पड़ी बंजर पड़त और अनुपजाऊ भूमि में सफलतापूर्वक इनकी खेती की जा सके और पेट्रोलियम पदार्थों पर होने वाले भारतीय मुद्रा के व्यय को कम किया जा सके. उन्होंने बताया कि किसान समूह के रूप में गांव में बंजर पड़ी जमीन पर रतनजोत का पौधारोपण कर अपने आजीविका में वृद्धि कर सकते है.

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