प्रतापगढ़. शहर के पीजी कॉलेज के इतिहास में दूसरी बार महापुरुषों को लेकर छात्रसंघ के नेताओं ने एक बड़ा कदम उठाया है. कॉलेज प्रशासन की अनदेखी के कारण विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना नहीं की गई. जिसके बाद रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कॉलेज में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना स्वयं कर दी.
2003 में तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष जितेंद्र चौहान के अनुसार महापुरुषों की प्रतिमा की स्थापना को लेकर काफी संघर्ष करना पड़ा था. कॉलेज प्रशासन और कॉलेज आयुक्तालय की लापरवाही के चलते 2003 में महाराणा प्रताप की प्रतिमा दो साल तक धूल फांकती रही तो अब 2020 एक बार फिर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा छात्रसंघ कार्यालय के कमरे में धूल फांक रही थी. एक बार फिर छात्र नेताओं ने कॉलेज प्रशासन के ढीले रवैये को देखते हुए बढ़ा कदम उठाते हुए रविवार को छुट्टी का दिन देख कर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना की है.
यह भी पढ़ें. प्रतापगढ़ में 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में जुटा शिक्षा विभाग
कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और अदनेखी के चलते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से कॉलेज में रविवार को स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना की गई है. वहीं प्रतिमा की स्थापना की सूचना मिलते ही कॉलेज के प्रार्चाय योगेन्द्र भानु कॉलेज पहुंचे. हालांकि, तब तक छात्रसंघ नेताओं ने प्रतिमा की स्थापना कर दी थी. जिसके बाद प्राचार्य मीडिया के कैमरों को बंद कराने में लग गए.
यह भी पढ़ें. राज्यसभा चुनाव बाड़ेबंदीः गुजरात कांग्रेस के 30 विधायक आबूरोड के रिसॉर्ट में ठहरे, भाजपा पर लगाए ये आरोप
गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले 2017 में नगर परिषद सभापति कमलेश डोशी की ओर से कॉलेज में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगाने की घोषणा की गई थी. जिसके बाद राज्यपाल ने भी 2018 में आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन कॉलेज प्राचार्यों की अनदेखी के कारण आज तक आयुक्तालय से आदेशों जारी नहीं हुए. जिसको देखते हुए कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष प्रविद देवड़ा, सहित एबीवीपी के सह सहयोजक अमीत कजानी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शांतिलाल मीणा और एक कार्यकर्ता ने मिलकर प्रतिमा स्थापित कर दी.
2003 में राखी की छुट्टी पर पूर्व छात्र नेताओं ने की थी महाराणा प्रताप की प्रतिमा की स्थापना
पीजी कॉलेज में पहले भी महापुरुषों की प्रतिमा की स्थापना को लेकर भी विवाद हो चुका है. तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2002 और 2003 में भी महापुरुषों की प्रतिमा की स्थापना को लेकर विवाद गहराया था. दो साल से महाराण प्रताप की प्रतिमा की स्थापना को लेकर मांग की जा रही थी, लेकिन कॉलेज प्रशासन और कॉलेज आयुक्तालय की ओर से अनुमति नहीं मिलने के कारण करीब दो साल तक महाराणा प्रताप की प्रतिमा धूल फांकती रही.