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उपखण्ड मुख्यालय पर भारतीय किसान मजदूर संघ का धरना प्रदर्शन, सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन - धरियावद में प्रदर्शन

धरियावद में भारतीय मजदूर किसान संघ ने बुधवार को उपखण्ड मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया. साथ ही अपनी कुछ मांगों को लेकर एसडीएम को सीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपा है.

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सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
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Published : Aug 6, 2020, 5:09 PM IST

धरियावद (प्रतापगढ़). जिले के धरियावद में भारतीय किसान संघ ने उपखण्ड मुख्यालय पर बुधवार को धरना-प्रदर्शन किया. साथ ही संघ ने तहसील अध्यक्ष भंवरलाल मीणा और संरक्षक अणत सरपंच कुलदीप मीणा के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर उपखण्ड अधिकारी करतार सिंह को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

भारतीय किसान मजदूर संघ का प्रदर्शन

ज्ञापन में बताया गया है कि गत खरीफ सीजन से ही लगातार किसान बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि, टिड्डी हमले और पाला गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे थे, इस दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में कटौती, कम विद्युत उपभोग को आधार मान कर गलत विजिलेंस कार्रवाई, डेमो में पर्याप्त पानी होने के बावजूद सिंचाई हेतु पानी नहीं देने, समर्थन मूल्य पर खरीद औपचारिता के साथ ही विद्युत विभाग की ओर से विद्युत बिलों में मिलने वाला 833 रुपए मासिक का अनुदान रोक कर और विद्युत बिलों में पेनल्टी शुरू कर दी. जिसने किसानों के लिए कोढ़ में खाज वाला काम कर दिया.

पढ़ेंः राजस्थान में शह-मात का खेल, ETV भारत पर समझें सियासी जोड़-तोड़ का गणित

इसी बीच कोरोना महामारी संकट से जल्दी खराब होने वाली सब्जी, फल और फूलों की फसलों में बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. शेष कृषि जिंसों के भावों में आई भारी गिरावट से किसानों की आर्थिक स्थिति बदतर हो गई. जिससे किसान कृषि विद्युत के बिल जमा करवाने में असमर्थ है.

बता दे कि इस संबंध में पूरे प्रदेश में विद्युत बिलों का बहिष्कार कर सब डिवीजन, तहसीलदार, जिला कलेक्टर और संभाग मुख्यालय पर किसानों ने सांकेतिक धरने प्रदर्शन कर अब तक प्रदेश भर से 3500 से ज्यादा स्थानों से ज्ञापन सरकार को भेजे हैं. 17 जून को कृषि आयुक्त, राजफैड प्रबंधक और 22 जून को प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा से मिलकर समस्याओं से अवगत करवाया था, बावजूद इसके सरकार का उदासीन रवैया बना हुआ है.

इससे मजबूर होकर किसानों ने प्रदेश व्यापी आंदोलन का निर्णय लेकर 21 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर धरना देखकर सरकार और प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया था कि यह अंतिम मर्यादित प्रदर्शन और ज्ञापन कार्यक्रम है. आज के बाद किसान मर्यादा को लांघकर अनिश्चितकालीन आंदोलन और ग्राम बंद के निर्णय पर मजबूर हो सकते हैं. साथ ही भविष्य में किसानों के आंदोलन से किसी प्रकार की कानून व्यवस्था टूटने और अन्य परिस्थितियों में शासन और प्रशासन जिम्मेदार होगा.

पढ़ेंः Rajasthan : सियासी तकरार में अटकी राजनीतिक नियुक्तियां...अब संगठन में एडजस्ट होने को कोशिश

ज्ञापन में प्रदेश स्तरीय मांगे रखी गई है-

  • किसानों के आगामी 6 माह के कृषि और घरेलू विद्युत बिल माफ किया जाए,
  • कृषि विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपए प्रति माह का विद्युत अनुदान पुनः शुरू किया जाए,
  • विद्युत बिलों में लगने वाला एलपीएस खत्म किया जाए, बकाया बिलों की वसूली बंद कर कृषि कनेक्शन काटने पर रोक लगाई जाए,
  • जले हुए ट्रांसफार्मर को बदलने हेतु बकाया भुगतान की शर्त हटाई जाए,
  • तत्काल प्राथमिकता वाले कृषि विद्युत कनेक्शनों के मांग पत्र जारी करने से रोक हटाई जाए,
  • मार्च 2012 से लंबित सामान्य श्रेणी के कृषि संबंधों की कटऑफ दिनांक बढ़ाकर कनेक्शन जारी करें,
  • विभिन्न पुनभुगतान योजनाओं में किसानों का डिस्कामों में बकाया ब्याज सहित विद्युत बिलों में समायोजित किया जाए,
  • 1 वर्ष पुरानी ऑडिट की राशि विद्युत बिल में नहीं जोड़ी जाए,
  • कृषि विद्युत कनेक्शनों हेतु फ्लैट रेट और मीटर श्रेणी को स्वैच्छिक किया जाए,
  • स्वीकृत भार में 1 से अधिक पंप चलाने पर मांग पत्र राशि खत्म कर पूर्व जैसे निःशुल्क किया जाए,
  • सिंगल फेज कृषि कनेक्शन जारी किए जाए,
  • सतर्कता जांच के नाम पर किसानों का शोषण बंद किया जाए,
  • डार्क जोन नोटिफाइड क्षेत्र में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के 16 नवंबर, 2015 की गाइडलाइन पर जारी स्पष्टीकरण के आधार पर डिस्कॉम को कृषि सिंचाई हेतु भूजल उपयोग छूट के निर्देश दिए जाए,
  • हाईटेंशन विद्युत लाइनों के नीचे आई जमीन का मुआवजा दिया जाए.

धरियावद (प्रतापगढ़). जिले के धरियावद में भारतीय किसान संघ ने उपखण्ड मुख्यालय पर बुधवार को धरना-प्रदर्शन किया. साथ ही संघ ने तहसील अध्यक्ष भंवरलाल मीणा और संरक्षक अणत सरपंच कुलदीप मीणा के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर उपखण्ड अधिकारी करतार सिंह को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

भारतीय किसान मजदूर संघ का प्रदर्शन

ज्ञापन में बताया गया है कि गत खरीफ सीजन से ही लगातार किसान बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि, टिड्डी हमले और पाला गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे थे, इस दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में कटौती, कम विद्युत उपभोग को आधार मान कर गलत विजिलेंस कार्रवाई, डेमो में पर्याप्त पानी होने के बावजूद सिंचाई हेतु पानी नहीं देने, समर्थन मूल्य पर खरीद औपचारिता के साथ ही विद्युत विभाग की ओर से विद्युत बिलों में मिलने वाला 833 रुपए मासिक का अनुदान रोक कर और विद्युत बिलों में पेनल्टी शुरू कर दी. जिसने किसानों के लिए कोढ़ में खाज वाला काम कर दिया.

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इसी बीच कोरोना महामारी संकट से जल्दी खराब होने वाली सब्जी, फल और फूलों की फसलों में बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. शेष कृषि जिंसों के भावों में आई भारी गिरावट से किसानों की आर्थिक स्थिति बदतर हो गई. जिससे किसान कृषि विद्युत के बिल जमा करवाने में असमर्थ है.

बता दे कि इस संबंध में पूरे प्रदेश में विद्युत बिलों का बहिष्कार कर सब डिवीजन, तहसीलदार, जिला कलेक्टर और संभाग मुख्यालय पर किसानों ने सांकेतिक धरने प्रदर्शन कर अब तक प्रदेश भर से 3500 से ज्यादा स्थानों से ज्ञापन सरकार को भेजे हैं. 17 जून को कृषि आयुक्त, राजफैड प्रबंधक और 22 जून को प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा से मिलकर समस्याओं से अवगत करवाया था, बावजूद इसके सरकार का उदासीन रवैया बना हुआ है.

इससे मजबूर होकर किसानों ने प्रदेश व्यापी आंदोलन का निर्णय लेकर 21 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर धरना देखकर सरकार और प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया था कि यह अंतिम मर्यादित प्रदर्शन और ज्ञापन कार्यक्रम है. आज के बाद किसान मर्यादा को लांघकर अनिश्चितकालीन आंदोलन और ग्राम बंद के निर्णय पर मजबूर हो सकते हैं. साथ ही भविष्य में किसानों के आंदोलन से किसी प्रकार की कानून व्यवस्था टूटने और अन्य परिस्थितियों में शासन और प्रशासन जिम्मेदार होगा.

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ज्ञापन में प्रदेश स्तरीय मांगे रखी गई है-

  • किसानों के आगामी 6 माह के कृषि और घरेलू विद्युत बिल माफ किया जाए,
  • कृषि विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपए प्रति माह का विद्युत अनुदान पुनः शुरू किया जाए,
  • विद्युत बिलों में लगने वाला एलपीएस खत्म किया जाए, बकाया बिलों की वसूली बंद कर कृषि कनेक्शन काटने पर रोक लगाई जाए,
  • जले हुए ट्रांसफार्मर को बदलने हेतु बकाया भुगतान की शर्त हटाई जाए,
  • तत्काल प्राथमिकता वाले कृषि विद्युत कनेक्शनों के मांग पत्र जारी करने से रोक हटाई जाए,
  • मार्च 2012 से लंबित सामान्य श्रेणी के कृषि संबंधों की कटऑफ दिनांक बढ़ाकर कनेक्शन जारी करें,
  • विभिन्न पुनभुगतान योजनाओं में किसानों का डिस्कामों में बकाया ब्याज सहित विद्युत बिलों में समायोजित किया जाए,
  • 1 वर्ष पुरानी ऑडिट की राशि विद्युत बिल में नहीं जोड़ी जाए,
  • कृषि विद्युत कनेक्शनों हेतु फ्लैट रेट और मीटर श्रेणी को स्वैच्छिक किया जाए,
  • स्वीकृत भार में 1 से अधिक पंप चलाने पर मांग पत्र राशि खत्म कर पूर्व जैसे निःशुल्क किया जाए,
  • सिंगल फेज कृषि कनेक्शन जारी किए जाए,
  • सतर्कता जांच के नाम पर किसानों का शोषण बंद किया जाए,
  • डार्क जोन नोटिफाइड क्षेत्र में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के 16 नवंबर, 2015 की गाइडलाइन पर जारी स्पष्टीकरण के आधार पर डिस्कॉम को कृषि सिंचाई हेतु भूजल उपयोग छूट के निर्देश दिए जाए,
  • हाईटेंशन विद्युत लाइनों के नीचे आई जमीन का मुआवजा दिया जाए.
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