प्रतापगढ़. चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए देश के कई युवाओं में से प्रतापगढ़ के दलोट का छात्र भी है. वहां लियोनी प्रांत के जिंझाऊ शहर में है और स्वस्थ है. हालांकि कोरोना वायरस से फैली बीमारी का भय चीन के अन्य हिस्सों की तरह जिंझाऊ में भी है. शहर ही नहीं पूरे चीन में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. कोई बाहर निकल नहीं रहा सड़कों, बाजारों, सरकारी दफ्तर सब जगह सुनसान है.
जिले का निखिल भी कोरोना वायरस के चलते अपने छात्रावास के कमरे में बंद होकर रह गया है. हेलो के सरकारी अस्पताल में नर्स के पद पर कार्यरत छीतरमल लाडावत का बेटा निखिल चीन के जिंझाऊ मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है. वह पिछले 6 सालों से वहां है. वह 1 माह पहले ही छुट्टियां बिताकर भारत से गया था. उसके बाद चीन में कोरारा वायरस का खतरा फैल गया.
ईटीवी संवाददाता से बातचीत के दौरान निखिल ने चीन और खासकर उसके शहर का हाल बताया. उसने बताया कि चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोग ज्यादा हैं. उस शहर में भी 15 से 20 मरीज कोरोना वायरस के चयनित किए गए. जिनका वहां इलाज चल रहा है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए चाइनीज प्रशासन ने सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगा दी है.
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निखिल ने बताया कि उसकी यूनिवर्सिटी में पिछले 10 दिन से सब गतिविधियां बंद हैं. शहर में एकदम सन्नाटा पसरा हुआ है. गलियां बाजार मॉल सब बंद हैं. सार्वजनिक परिवहन ठप हैं. ऐसा लगता है मानो कर्फ्यू लगा हुआ है.
इकट्ठा करके रखना पड़ता है राशन
निखिल ने बताया कि किसी भी संक्रमण के खतरे को देखते हुए और उसके अन्य साथी पिछले कई दिनों से कमरे में बंद हैं. हर रोज सुबह शाम दलोट अपने परिवार से बात कर रहा है. उसे बताया कि 15 दिन का एडवांस राशन पहले ही इकट्ठा कर लिया था. जिससे काम चल रहा है. उम्मीद है कि आगामी 15 दिन में खतरा टल जाएगा. क्योंकि चीन के स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी का तोड़ खोजने में लगा हुआ है.
निखिल ने बताया कि उसके शहर में वायरस का खतरा कम है. इसलिए वह वापस नहीं गया. अब वह फिलहाल बतन लौट भी नहीं सकता, क्योंकि चाइना से दुनिया भर की एयर कनेक्टिविटी बंद हो चुकी है. भारत सहित लगभग सभी देशों ने चाइना की उड़ान पर रोक लगा दी है. उसने बताया कि अब वह जुलाई के बाद ही वापस भारत लौटेगा.