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क्या वायु प्रदूषण से लड़ना भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर संतुलित करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है?

मरियम नवाज ने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए भारत के पंजाब मुख्यमंत्री से बातचीत का आह्वान किया है.

क्या वायु प्रदूषण से लड़ना भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर संतुलित करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है?
क्या वायु प्रदूषण से लड़ना भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर संतुलित करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है? (सांकेतिक तस्वीर (ANI))
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By Aroonim Bhuyan

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: सर्दी का मौसम शुरु होने से पहले दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में एयर क्वालिटी के बिगड़ते स्तर को लेकर बहस छिड़ गई है. पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने और हिंदू त्योहार दिवाली, जिस पर लोग पटाखे जलाते हैं, को इसके मुख्य कारण बताया जा रहा है.

हालांकि, दिवाली एक दिन का त्यौहार है, लेकिन इसके पहले और बाद के त्यौहार कई दिनों तक चलते हैं. इसके बावजूद पड़ोसी राज्यों में शरद ऋतु से पराली जलाए जाने को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बताया जा रहा है, लेकिन यह समस्या सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित नहीं है. यह पड़ोसी देश पाकिस्तान तक भी फैली है.

इतना ही नहीं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ ने स्मॉग कॉमन ऐनिमी से लड़ने के लिए भारत के पंजाब राज्य के साथ सहयोग करने का आह्वान किया है.

'स्मॉग राजनीतिक मामला नहीं'
डॉन ने बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में दिवाली के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मरियम के हवाले से कहा, "स्मॉग कोई राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि एक मानवीय चुनौती है. मैंने पहले भी भारत के साथ जलवायु कूटनीति का आह्वान किया है और मैं स्मॉग से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों की मांग करने के लिए भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखने पर विचार कर रही हूं."

सच्चाई यह है कि पराली जलाना सिर्फ भारत की समस्या नहीं है. यह पाकिस्तान के भीतर भी एक समस्या है. मुख्य रूप से अगले फसल के मौसम के लिए खेतों को साफ करने के लिए की जाने वाली यह कृषि पद्धति, हवा में बड़ी मात्रा में प्रदूषक छोड़ती है जो सीमाओं के पार जाती है और पड़ोसी क्षेत्रों में एयर क्वालिटी और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती है.

पराली जलाना भूमि साफ करने के लिए एक लागत-प्रभावी और समय-कुशल तरीका माना जाता है. सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद, किफायती विकल्पों की कमी और सीमित रोपण अवधि के कारण कई किसान इस प्रथा को जारी रखने के लिए मजबूर हैं.

पराली जलाना सबसे प्रभावी तरीका
इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर (IGC) में पाकिस्तान की वरिष्ठ अर्थशास्त्री हिना शेख के अनुसार उत्तरी भारत के किसानों की तरह पाकिस्तान के भी कई किसान अगले रोपण सीजन के लिए भूमि को साफ करने के लिए पराली जलाना सबसे प्रभावी और लागत-कुशल तरीका मानते हैं.

शेख ने आईजीसी वेबसाइट पर ‘पाकिस्तान में पराली जलाना: ऐसा क्यों जारी है और इसे कैसे रोका जा सकता है टाइटल वाले आर्टिकल में लिखा है कि जोखिमों और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बावजूद, पाकिस्तान में पराली जलाना एक बेहद आम और व्यापक रूप से स्वीकार्य प्रथा है, खासकर देश के चावल-गेहूं बेल्ट में.

उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का शेयर पांचवां है और यह मुख्य रूप से पंजाब प्रांत में केंद्रित है. हर साल अक्टूबर से जनवरी के बीच, उत्पादित 8.5 मिलियन टन चावल के अवशेषों में से, कम से कम 3.6 से 5 मिलियन टन गेहूं की बुवाई के लिए खेतों को साफ करने के लिए जला दिया जाता है. पराली जलाना अगले रोपण मौसमों के लिए खेतों को तैयार करने का सबसे तेज और सबसे किफायती तरीका है.

पंजाब में वायु गुणवत्ता में गिरावट
शेख लिखती हैं कि इस समय के आसपास पंजाब में वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट देखी जाती है, जबकि पाकिस्तान के सबसे बड़े शहरी केंद्र लाहौर और कराची पहले से ही दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हैं. वह कहती हैं, "वायु प्रदूषण में तेज वृद्धि फसल जलाने की आग के साथ-साथ थर्मल इनवर्जन के कारण होती है. यह एक मौसम संबंधी घटना है जिसमें हवा में फंसे कण और अन्य प्रदूषक संघनित जल वाष्प के साथ मिलकर धुआं बनाते हैं.

भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पश्चिम-दक्षिण-पूर्व हवा के पैटर्न भारतीय पंजाब से पाकिस्तान तक प्रदूषकों को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. देर से शरद ऋतु और शुरुआती सर्दियों के मौसम के दौरान प्रचलित हवाएं अक्सर भारतीय पंजाब में पराली जलाने वाले क्षेत्रों से धुआं और प्रदूषक लेकर सीमा पार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहुंचती हैं, जिसमें लाहौर, फैसलाबाद और गुजरांवाला जैसे शहर शामिल हैं.

पंजाब के मैदानों की अपेक्षाकृत समतल स्थलाकृति सीमाओं के पार वायुजनित प्रदूषकों की आसान आवाजाही की अनुमति देती है. कुछ प्राकृतिक अवरोध हैं जो इस सीमा-पार बहाव को धीमा या ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे प्रदूषण बड़े क्षेत्रों में तेजी से फैल सकता है. उन्होंने कहा, "जब तक दोनों पंजाब एकजुट नहीं होंगे, हम धुंध से प्रभावी ढंग से नहीं निपट पाएंगे."

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार लाहौर शहर प्रशासन ने पहले चेतावनी दी थी कि अमृतसर, नई दिल्ली और चंडीगढ़ से प्रदूषित हवा 7 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से लाहौर की ओर बढ़ रही है, जिससे शहर में धुंध की समस्या और भी बदतर हो रही है.

भारत-पाकिस्तान के बीच जलवायु कूटनीति का आह्वान

मरियम की यह टिप्पणी तब आई है जब उन्होंने पहले भारत और पाकिस्तान के बीच जलवायु कूटनीति का आह्वान किया था. उन्होंने इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की बैठक में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद की यात्रा से पहले कहा था, "हमें उनसे बात करनी चाहिए, इसे जलवायु कूटनीति कहा जाता है. हमें भारत के साथ ऐसा करना चाहिए."

बता दें कि सितंबर 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गहरी खटास आ गई है. 2019 में नई दिल्ली द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद संबंधों में और खराब हुए.

हालांकि, हाल के दिनों में दक्षिण एशिया के दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच संबंधों के रेनुअल को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, क्योंकि इस महीने जयशंकर की यात्रा, जो लगभग एक दशक में किसी भारतीय मंत्री की पहली यात्रा है, और पाकिस्तान को 2025 चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का मेजबान बनाया गया है,

जब सर्दी शुरू होती है, तो भारत में दिल्ली और पाकिस्तान में लाहौर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार होते हैं. भारतीय पंजाब और पाकिस्तानी पंजाब के बीच बातचीत के लिए मरियम के नए आह्वान को ऐसी अटकलों को हवा देने वाले एक अन्य फैक्टर के रूप में देखा जा सकता है.

यह भी पढ़ें- क्या ठप हो जाएगी भारत-नेपाल के बीच एकमात्र सीमा पार रेल सेवा ?

नई दिल्ली: सर्दी का मौसम शुरु होने से पहले दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में एयर क्वालिटी के बिगड़ते स्तर को लेकर बहस छिड़ गई है. पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने और हिंदू त्योहार दिवाली, जिस पर लोग पटाखे जलाते हैं, को इसके मुख्य कारण बताया जा रहा है.

हालांकि, दिवाली एक दिन का त्यौहार है, लेकिन इसके पहले और बाद के त्यौहार कई दिनों तक चलते हैं. इसके बावजूद पड़ोसी राज्यों में शरद ऋतु से पराली जलाए जाने को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बताया जा रहा है, लेकिन यह समस्या सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित नहीं है. यह पड़ोसी देश पाकिस्तान तक भी फैली है.

इतना ही नहीं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ ने स्मॉग कॉमन ऐनिमी से लड़ने के लिए भारत के पंजाब राज्य के साथ सहयोग करने का आह्वान किया है.

'स्मॉग राजनीतिक मामला नहीं'
डॉन ने बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में दिवाली के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मरियम के हवाले से कहा, "स्मॉग कोई राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि एक मानवीय चुनौती है. मैंने पहले भी भारत के साथ जलवायु कूटनीति का आह्वान किया है और मैं स्मॉग से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों की मांग करने के लिए भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखने पर विचार कर रही हूं."

सच्चाई यह है कि पराली जलाना सिर्फ भारत की समस्या नहीं है. यह पाकिस्तान के भीतर भी एक समस्या है. मुख्य रूप से अगले फसल के मौसम के लिए खेतों को साफ करने के लिए की जाने वाली यह कृषि पद्धति, हवा में बड़ी मात्रा में प्रदूषक छोड़ती है जो सीमाओं के पार जाती है और पड़ोसी क्षेत्रों में एयर क्वालिटी और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती है.

पराली जलाना भूमि साफ करने के लिए एक लागत-प्रभावी और समय-कुशल तरीका माना जाता है. सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद, किफायती विकल्पों की कमी और सीमित रोपण अवधि के कारण कई किसान इस प्रथा को जारी रखने के लिए मजबूर हैं.

पराली जलाना सबसे प्रभावी तरीका
इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर (IGC) में पाकिस्तान की वरिष्ठ अर्थशास्त्री हिना शेख के अनुसार उत्तरी भारत के किसानों की तरह पाकिस्तान के भी कई किसान अगले रोपण सीजन के लिए भूमि को साफ करने के लिए पराली जलाना सबसे प्रभावी और लागत-कुशल तरीका मानते हैं.

शेख ने आईजीसी वेबसाइट पर ‘पाकिस्तान में पराली जलाना: ऐसा क्यों जारी है और इसे कैसे रोका जा सकता है टाइटल वाले आर्टिकल में लिखा है कि जोखिमों और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बावजूद, पाकिस्तान में पराली जलाना एक बेहद आम और व्यापक रूप से स्वीकार्य प्रथा है, खासकर देश के चावल-गेहूं बेल्ट में.

उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का शेयर पांचवां है और यह मुख्य रूप से पंजाब प्रांत में केंद्रित है. हर साल अक्टूबर से जनवरी के बीच, उत्पादित 8.5 मिलियन टन चावल के अवशेषों में से, कम से कम 3.6 से 5 मिलियन टन गेहूं की बुवाई के लिए खेतों को साफ करने के लिए जला दिया जाता है. पराली जलाना अगले रोपण मौसमों के लिए खेतों को तैयार करने का सबसे तेज और सबसे किफायती तरीका है.

पंजाब में वायु गुणवत्ता में गिरावट
शेख लिखती हैं कि इस समय के आसपास पंजाब में वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट देखी जाती है, जबकि पाकिस्तान के सबसे बड़े शहरी केंद्र लाहौर और कराची पहले से ही दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हैं. वह कहती हैं, "वायु प्रदूषण में तेज वृद्धि फसल जलाने की आग के साथ-साथ थर्मल इनवर्जन के कारण होती है. यह एक मौसम संबंधी घटना है जिसमें हवा में फंसे कण और अन्य प्रदूषक संघनित जल वाष्प के साथ मिलकर धुआं बनाते हैं.

भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पश्चिम-दक्षिण-पूर्व हवा के पैटर्न भारतीय पंजाब से पाकिस्तान तक प्रदूषकों को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. देर से शरद ऋतु और शुरुआती सर्दियों के मौसम के दौरान प्रचलित हवाएं अक्सर भारतीय पंजाब में पराली जलाने वाले क्षेत्रों से धुआं और प्रदूषक लेकर सीमा पार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहुंचती हैं, जिसमें लाहौर, फैसलाबाद और गुजरांवाला जैसे शहर शामिल हैं.

पंजाब के मैदानों की अपेक्षाकृत समतल स्थलाकृति सीमाओं के पार वायुजनित प्रदूषकों की आसान आवाजाही की अनुमति देती है. कुछ प्राकृतिक अवरोध हैं जो इस सीमा-पार बहाव को धीमा या ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे प्रदूषण बड़े क्षेत्रों में तेजी से फैल सकता है. उन्होंने कहा, "जब तक दोनों पंजाब एकजुट नहीं होंगे, हम धुंध से प्रभावी ढंग से नहीं निपट पाएंगे."

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार लाहौर शहर प्रशासन ने पहले चेतावनी दी थी कि अमृतसर, नई दिल्ली और चंडीगढ़ से प्रदूषित हवा 7 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से लाहौर की ओर बढ़ रही है, जिससे शहर में धुंध की समस्या और भी बदतर हो रही है.

भारत-पाकिस्तान के बीच जलवायु कूटनीति का आह्वान

मरियम की यह टिप्पणी तब आई है जब उन्होंने पहले भारत और पाकिस्तान के बीच जलवायु कूटनीति का आह्वान किया था. उन्होंने इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की बैठक में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद की यात्रा से पहले कहा था, "हमें उनसे बात करनी चाहिए, इसे जलवायु कूटनीति कहा जाता है. हमें भारत के साथ ऐसा करना चाहिए."

बता दें कि सितंबर 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गहरी खटास आ गई है. 2019 में नई दिल्ली द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद संबंधों में और खराब हुए.

हालांकि, हाल के दिनों में दक्षिण एशिया के दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच संबंधों के रेनुअल को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, क्योंकि इस महीने जयशंकर की यात्रा, जो लगभग एक दशक में किसी भारतीय मंत्री की पहली यात्रा है, और पाकिस्तान को 2025 चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का मेजबान बनाया गया है,

जब सर्दी शुरू होती है, तो भारत में दिल्ली और पाकिस्तान में लाहौर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार होते हैं. भारतीय पंजाब और पाकिस्तानी पंजाब के बीच बातचीत के लिए मरियम के नए आह्वान को ऐसी अटकलों को हवा देने वाले एक अन्य फैक्टर के रूप में देखा जा सकता है.

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