प्रतापगढ़. प्रदेश में चलाए जा रहे ऑपरेशन फ्लश आउट की कार्रवाई जारी है. वहीं, प्रतापगढ़ जिला जेल कार्रवाई में अग्रणी है. यहां जेल में अब तक 85 तलाशी ली जा चुकी है. जबकि एक दर्जन हार्डकोर अपराधियों को अन्यत्र जेल में शिफ्ट किया जा चुका है. जेल में संदिग्ध गतिविधियों को लेकर बंदियों के खिलाफ एक दर्जन प्रकरण दर्ज कराए जा चुके है. ऐसे में यहां सुधार होने लगा है. हालांकि अभी जेल प्रशासन की ओर से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें पुलिस, प्रशासन और जेल प्रशासन की ओर से औचक निरीक्षण और जांच की जा रही है.
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प्रदेशों की जेलों में सुधार के लिए गत दिनों चलाए गए ऑपरेशन फ्लैश ऑउट अभियान 21 नवंबर 2020 से 31 जनवरी 2021 तक चलाया गया था. इस दौरान अर्जित की गई सफलताओं और उपलब्धियों को चिर स्थाई बनाने और उनमें और अभिवृद्धि करने के उद्देश्य के इस अभियान की अवधि बढ़ाई गई है. इस अवधि को 28 फरवरी 2021 तक बढ़ाई गई है. जिसमें राज्य की जेलों में अवांछनीय, निषिद्ध वस्तुओं जैसे मोबाइल, मादक पदार्थ आदि की तस्करी, उपलब्धता तथा जेल से संचालित होने वाली आपराधिक गतिविधियों के विरूद्ध ऑपरेशन फ्लश आउट अभियान चलाया जा रहा है.
अब तक यह की जा चुकी है कार्रवाईः
यहां जिला जेल में अब तक 85 तलाशियां ली जा चुकी है. इस दौरान संदिग्ध मामलों में कुल 8 मुकदमें दर्ज कराए गए हैं. जिसमें 21 मोबाइल, 12 सिम कार्ड, 4 चार्जर बरामद किए गए है. वहीं यहां बंद 11 हार्ड कोर बंदियों को संदिग्ध मामलों में संलिप्त पाए जाने पर अन्य जेलों में स्थानांतरित किए गए है.
शुरू की ई-मुलाकात:
पिछले साल कोरोना के दौरान लॉक डाउन से ही यहां जेल में मुलाकात को बंद किया था। इसके तहत ई-मुलाकात शुरू कराई गई थी। जिसमें ई-प्रिजन सिस्टम से बंदियों को उनके परिजनों से वीडियो कॉल से ई-मुलाकात करवाई जा रही है। इसके साथ ही यहां परिजनों से बात करने के लिए एसटीडी की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। जिसमें प्रति बंदी को पांच मिनट बात कराई जाती है। वहीं वीडियो कॉलिंग एक सप्ताह में एक बार कराई जाती है। अभी यहां जेल में 320 बंदी है
राजस्थान की जेलों का पहला स्थान:
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 में राजस्थान की जेलों को संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर रखा गया है. उल्लेखनीय है कि गत वर्ष-2019 में राजस्थान की जेलों का संपूर्ण भारत में 12वां स्थान था. महानिदेशक जेल राजीव दासोत ने बताया कि टाटा ट्रस्ट के संयुक्त उपक्रम जिसमें उसके सहयोगी संगठनों यथा-सेन्टर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, दक्ष, सीएचआरआई, प्रयास, विधि सेन्टर फॉर लीगल पॉलिसी की ओर से इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 प्रकाशित की गई है. जिसमें राजस्थान राज्य की जेलों को 10 अंकों में से 6.32 अंकों के साथ प्रथम स्थान पर आंका गया है.
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द्वितीय स्थान तेलंगाना राज्य है जो 5.69 अंकों के साथ काफी पीछे है. हाल ही में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 में पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर राज्यों की रैंकिग निर्धारित की गई हैं. यह एक राष्ट्रीय तथ्य पत्रक है. यह प्रतिवेदन ऑंकड़ों का अध्ययन कर तैयार किया गया है, इसमें विभिन्न राज्यों में पिछले 5 सालों के दौरान जेलों की कार्यप्रणाली, रिक्त पद, नवाचार और विविधता, कार्यभार और मूलभूत व्यवस्थाओं आदि क्षेत्रों में हुए परिवर्तन के आधार पर रैंकिंग की गई है. राजस्थान जेल विभाग की ओर से आवधिक समीक्षा की बैठकें, खुला बंदी शिविर बैठकें, स्थाई पैरोल बैठकें समय पर आयोजित होने के कारण कारागृहों की ऑक्यूपेंसी रेट 102 प्रतिशत से घटकर 94 प्रतिशत हो गई है.
कारागार विभाग राजस्थान ई-प्रिजन्स और पिक्स (बंदियों द्वारा एस.टी.डी.फोन पर वार्ता) के संचालन में संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर है. ई-प्रिजन्स, जो कि आईसीजेएस का महत्वपूर्ण अंग है, प्लेटफॉर्म पर राजस्थान जेल विभाग की ओर से साल 2005 से अब तक के बंदियों के आंकड़े संधारित कर लिए हैं. कोरोनाकाल में मुलाकात बंद होने की स्थिति में राजस्थान जेल विभाग की ओर से बंदियों की उनके परिजनों से ई-मुलाकात वीडियो कॉलिंग से बात कराने की सुविधा को संपूर्ण भारत में सराहा गया है.