प्रतापगढ़. नगर परिषद में विधायक रामलाल मीणा और सभापति के बीच चल रही अनबन चरम पर पहुंच गई है. स्वायत्त शासन विभाग ने पद के दुरूपयोग के आरोप में सोमवार को सभापति रामकन्या गुर्जर को निलंबित कर दिया. इससे पहले विधायक रामलाल मीणा की शिकायत पर सभापति के खिलाफ प्रारंभिक जांच की गई थी. उसमें आरोपों को प्रथम दृष्टया प्रमाणित मानते हुए यह आदेश जारी किया गया. अब सभापति के खिलाफ लगाए गए आरोपों की न्यायिक जांच (Judicial inquiry against Pratapgarh City Council chairman) होगी.
न्यायिक जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर सभापति छह साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य भी घोषित की जा सकती है. विभाग के निदेशक और संयुक्त शासन सचिव हृदेश कुमार शर्मा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पद के दुरुपयोग की शिकायत आने के बाद जांच करवाई गई. इसमें उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित माने गए. आदेश में कहा गया है कि अब राज्य सरकार ने न्यायिक जांच का निर्णय किया गया है. सभापति रामकन्या गुर्जर के पद पर बने रहने से जांच प्रक्रिया बाधित हो सकती है. इसलिए राज्य सरकार ने इन्हें सभापति और वार्ड 10 के पार्षद पद से निलंबित करती है.
विधायक ने की थी स्वायत्त शासन मंत्री को शिकायत : परिषद में अव्यवस्था के पीछे कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति को जिम्मेदार बताया जा रहा है. पहले परिषद में भाजपा का बोर्ड तोड़कर रामकन्या गुर्जर को कांग्रेस में लाया गया. जानकारों का कहना है कि अब सभापति के पति प्रहलाद गुर्जर और विधायक रामलाल मीणा के बीच भी पटरी नहीं बैठ रही. विधायक ने तो कुछ दिन पहले यहां तक कह दिया था कि वे इस सभापति को कांग्रेस का मानते ही नहीं. कुछ दिन पहले ही स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सभापति को पद के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
पढ़ें: राजस्थान के इस नगर परिषद पर करोड़ों का बिजली बिल बकाया, स्ट्रीट लाइटें हुईं बंद
जानकारों के अनुसार रामकन्या गुर्जर के पति प्रहलाद गुर्जर और विधायक रामलाल मीणा के बीच समझौता हुआ और सभापति शहर के विकास के नाम पर एक पार्षद के साथ कांग्रेस में शामिल हो गई. कुछ दिन ठीक ठाक चला. इसके बाद फिर विधायक और सभापति के पति में खटपट शुरू हो गई. विधायक ने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को सभापति की शिकायत कर दी. इसके बाद कलक्टर की ओर से मामले की जांच की गई. वहीं सभापति को नोटिस दिया गया.