प्रतापगढ़. जिला अस्पताल इन दिनों पूरी तरह से कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में बदल चुका है. यहां सभी वार्डों में कोरोना रोगी भर्ती है. इसके चलते पूरे परिसर में संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में यहां संक्रमण रोकने के पूरे प्रयास होने चाहिए, लेकिन अस्पताल परिसर में सफाई के मामले में पूरी तरह लापरवाही दिखाई दे रही है.
परिसर में खुले आम पीपीई किट पड़े हैं. जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं. अस्पताल के भीतर और परिसर में साफ-सफाई की जिम्मेदारी पूरी तरह अस्पताल प्रबंधन की है. इस कार्य के लिए प्रतिमाह 15 हजार रुपए पर एक सफाई ठेकेदार भी रखा हुआ है, लेकिन वह साफ-सफाई के काम में लापरवाही बरत रहा है. इसके चलते अस्पताल परिसर में नियमित रूप से सफाई नहीं हो रही है.
जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने अस्पताल का दौरा किया तब गंदगी देखकर नाराजगी भी जाहिर की थी. उसके बाद ठेकेदार का कुछ पारिश्रमिक भी काटा गया था, लेकिन सफाई व्यवस्था फिर भी नहीं सुधरी. बताया जाता है कि ठेकेदार चार सफाईकर्मियों के नाम की राशि का भुगतान ले रहा है. जबकि उसने दो ही सफाईकर्मी रखे हैं, जिनसे पूरी परिसर की सफाई नहीं हो पाती.
वैक्सीनेशन के सामने लगा गंदगी का ढेर...
अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर के सामने तीन से चार इस्तेमाल किए हुए कोरोना सेफ्टी किट देखने को मिले, जो कि आमजन के लिए घातक साबित हो सकते हैं. जिला अस्पताल प्रशासन को पूर्व में भी कई बार लोगों की ओर से खुले में पड़े कोरोना सेफ्टी किट को डंप यार्ड या नष्टीकरण को लेकर शिकायत की गई थी, लेकिन जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी.
अभी भी जिला चिकित्सालय के वैक्सीनेशन सेंटर से महज 50 मीटर की दूरी पर 3 से 4 इस्तेमाल किए हुए कोरोना सेफ्टी किट नजर आए हैं, जो कि आमजन के लिए घातक साबित हो सकते हैं.