प्रतापगढ़. जिले में गुरुवार को प्रसिद्ध थेवाकला के कलाकारों ने आर्थिक सहायता और राहत पैकेज की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. साथ ही ज्ञापन में उन्होंने कोरोना संकटकाल में थेवा कलाकारों को हो रही परेशानियों के विषय में जानकारी दी है.
थेवा कलाकार जितेश सोनी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान थेवा कला का काम ठप्प हो गया है. जिसके कारण हस्तशिल्प का काम करने वाले इन कलाकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. जिससे कलाकार और उनके परिवार दोनों ही चिंता में जीवन यापान करने को मजबूर हैं.
पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने दिए आदेश, जयपुर में दोनों नगर निगमों में अलग-अलग प्रशासक की हो नियुक्ति
कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में कलाकारों ने बताया कि थेवा कला ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत देश का नाम रोशन किया है. कांच पर सोने की कारीगरी वाली इस कला को पद्मश्री, शिल्पगुरु, यूनेस्कों अवार्ड सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण इस कला से जुड़े लोग और उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
भविष्य में भी इस कला को जीवित रखने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. भारत सरकार के विकास आयुक्त मंत्रालय में पंजीकृत युवा कलाकारों को सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करें. जिससे इस कला को जीवित रखा जा सके और कलाकारों को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े.
क्या है थेवा कला-
थेवा की हस्तकला कला महिलाओं के लिए सोने मीनाकारी और पारदर्शी कांच के मेल से निर्मित आभूषण के निर्माण से संबंधित है. थेवा-आभूषणों का निर्माण अलग-अलग रंगों के कांच को चांदी के महीन तारों से बने फ्रेम में डाल कर उस पर सोने की बारीक कलाकृतियां उकेरी जाती है, जिन्हें छोटे-छोटे औजारों की मदद से बनाते हैं. इसे ही थेवा कला कहते हैं. वहीं थेवा कलाकार राजस्थान के केवल प्रतापगढ़ जिले में ही रहते हैं.
पढ़ेंः गैर कांग्रेसी विधायकों को ACB का डर दिखाकर चुनाव प्रभावित करना चाहती है सरकार: ओंकार सिंह लखावत
बता दें कि पहले इस कला से बनाए जाने वाले बाक्स, प्लेट्स, डिश आदि पर धार्मिक अनुकृतियां और लोकप्रिय लोककथाएं लिखी जाती थी. लेकिन अब यह कला आभूषण के साथ-साथ पेंडेंट्स, इयर-रिंग, साड़ियों के पिन, फोटोफ्रेम आदि बनाने में भी उपयोग होता है.