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देवउठनी एकादशी से सावों की शुरूआत...अबूझ सावे पर प्रतापगढ़ में हुए कई विवाह समारोह

देवउठनी एकादशी पर बुधवार से सावों की शुरुआत हुई. जिसके बाद विवाह के मुहूर्त शुरू हो गए हैं, सावों का यह दौर 11 दिसंबर तक रहेगा. ऐसे में प्रतापगढ़ में पहले सावे पर कई शादियां हुईं.

देवउठनी एकादशी पर शादियां, Weddings on Dev uthani Ekadashi
देवउठनी एकादशी पर शादियां
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Published : Nov 25, 2020, 10:39 PM IST

प्रतापगढ़. देवउठनी एकादशी पर पांच महीने बाद एक बार फिर सावों की शुरुआत हो गई है. इस बार कोरोना काल के चलते सीमित मेहमान की गाइडलाइन का असर तैयारियों पर देखा जा रहा है. देवउठनी एकादशी से विवाह के मुहूर्त शुरू हो गए, जो 11 दिसंबर तक रहेंगे. जिले में सावे के पहले ही दिन कई शादियां हुई.

वहीं एक अनुमान के मुताबिक पूरे सीजन में जिलेभर में करीब 150 से 200 शादियां होंगी. नवंबर और दिसंबर माह में ही एक साथ इतनी शादियां होने के दो कारण हैं. पहला लॉकडाउन के कारण शादियों का टलना, जो अब हो रही हैं. वहीं इस सीजन के बाद अगला मुहूर्त चार महीने बाद 24 अप्रेल से है.

पढ़ें- देवउठनी ग्यारस: आज से विवाह बंधन में बंधेंगे जोड़े, बिना बैंड-बाजे के गूंजेंगी शहनाइयां

पंडितों के अनुसार 15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में गोचर होने पर खरमास शुरू होगा. यह अगले साल 14 जनवरी तक रहेगा. इसके बाद 15 जनवरी देवगुरु बृहस्पति अस्त होंगे, जो 12 फरवरी को उदय होंगे. शुक्र 17 फरवरी से 19 अप्रेल तक अस्त रहेगा. इस बीच अगले साल 16 फरवरी और 15 मार्च को बसंत पंचमी और फुलेरा दूज के अबूझ विवाह मुहूर्त भी रहेंगे.

एकादशी पर होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलन नहीं हुए इस बार

देवउठनी एकादशी के बाद सावे में सामूहिक विवाह भी होते हैं, लेकिन यह समारोह भी कोरोना की भेंट चढ़ गया. कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते इस बार सामूहिक कार्यक्रम रद्द हो गए. शहर सहित जिलेभर में हर साल इस सावे में सामूहिक विवाह होता है. लग्न-मुहूर्त होने पर नवंबर-दिसबंर में सामूहिक विवाह होता है, लेकिन समारोह में आने वाली भीड़ को देखते हुए विभिन्न संस्थाओं के बीच सामूहिक कार्यक्रम को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन होते आए हैं, मगर इस बार देवउठनी एकादशी पर आयोजित नहीं हुए. कोरोना की वजह से इस बार ऐसे कार्यक्रम नहीं हो पाए.

विवाह कार्यक्रमों पर प्रशासन की नजर

देश और प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते राजस्थान सरकार ने शादी समारोह में अधिकतम 100 लोगों के शामिल होने की संख्या तय कर दी है. शादी समारोह में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालना करने के लिए प्रशासन ने कई टीमों का गठन किया है. इसके साथ ही अधिकारी शादी समारोह पर पहुंचकर कोरोना नियमों की पालना करने की अपील कर रहे हैं.

अधिकारियों की समझाइश के बाद शादी का आयोजन करने वाले लोगों ने भी सावधानी बरतनी शुरू कर दी है. नियमों का पालना नहीं होने पर उनके खिलाफ की जाने वाली कानूनी कार्रवाई के बारे में भी चेतावनी दी जा रही है. शादियों में जहां मेहमानों की संख्या सीमित की गई है, इसको देखते हुए इवेंट कंपनियों ने भी रिश्तेदारों को शादियों से जोड़ने का नया तरीका खोज निकाला है. शादी समारोह का लाइव टेलीकास्ट करने की इवेंट कंपनियों ने व्यवस्था कर रखी है. इसके तहत वर्चुअल प्लेटफार्म के जरिए घर बैठे ही रिश्तेदार शादी के आयोजनों को देख सकेंगे और उस शादी का हिस्सा बन सकेंगे.

पढ़ें- SPECIAL : सावधान! लीक हो रहा है मोबाइल और लैपटॉप से पर्सनल डाटा...ऐसे बचें साइबर ठगों से

देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन

राजसमंद के देवगढ़ में बुधवार को देवउठनी एकादशी पर शादी-विवाह की शुरुआत हो गई. जिसके बाद बाजारों में लोगों की चहल-पहल देखने को मिली. क्षेत्र में बैंड-बाजे, डीजे, ढोल नगाड़ों की गूंज सुनाई दी.

वहीं चारभुजा नाथ मंदिर में देवउठनी एकादशी के मौके पर तुलसी विवाह का आयोजन किया गया. इस दौरान देवगढ़ काकरोद में सिखवाल ब्राह्मण समाज ने गाजे-बाजे के साथ ठाकुरजी की बारात निकाली. इस बारात में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

प्रतापगढ़. देवउठनी एकादशी पर पांच महीने बाद एक बार फिर सावों की शुरुआत हो गई है. इस बार कोरोना काल के चलते सीमित मेहमान की गाइडलाइन का असर तैयारियों पर देखा जा रहा है. देवउठनी एकादशी से विवाह के मुहूर्त शुरू हो गए, जो 11 दिसंबर तक रहेंगे. जिले में सावे के पहले ही दिन कई शादियां हुई.

वहीं एक अनुमान के मुताबिक पूरे सीजन में जिलेभर में करीब 150 से 200 शादियां होंगी. नवंबर और दिसंबर माह में ही एक साथ इतनी शादियां होने के दो कारण हैं. पहला लॉकडाउन के कारण शादियों का टलना, जो अब हो रही हैं. वहीं इस सीजन के बाद अगला मुहूर्त चार महीने बाद 24 अप्रेल से है.

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पंडितों के अनुसार 15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में गोचर होने पर खरमास शुरू होगा. यह अगले साल 14 जनवरी तक रहेगा. इसके बाद 15 जनवरी देवगुरु बृहस्पति अस्त होंगे, जो 12 फरवरी को उदय होंगे. शुक्र 17 फरवरी से 19 अप्रेल तक अस्त रहेगा. इस बीच अगले साल 16 फरवरी और 15 मार्च को बसंत पंचमी और फुलेरा दूज के अबूझ विवाह मुहूर्त भी रहेंगे.

एकादशी पर होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलन नहीं हुए इस बार

देवउठनी एकादशी के बाद सावे में सामूहिक विवाह भी होते हैं, लेकिन यह समारोह भी कोरोना की भेंट चढ़ गया. कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते इस बार सामूहिक कार्यक्रम रद्द हो गए. शहर सहित जिलेभर में हर साल इस सावे में सामूहिक विवाह होता है. लग्न-मुहूर्त होने पर नवंबर-दिसबंर में सामूहिक विवाह होता है, लेकिन समारोह में आने वाली भीड़ को देखते हुए विभिन्न संस्थाओं के बीच सामूहिक कार्यक्रम को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन होते आए हैं, मगर इस बार देवउठनी एकादशी पर आयोजित नहीं हुए. कोरोना की वजह से इस बार ऐसे कार्यक्रम नहीं हो पाए.

विवाह कार्यक्रमों पर प्रशासन की नजर

देश और प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते राजस्थान सरकार ने शादी समारोह में अधिकतम 100 लोगों के शामिल होने की संख्या तय कर दी है. शादी समारोह में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालना करने के लिए प्रशासन ने कई टीमों का गठन किया है. इसके साथ ही अधिकारी शादी समारोह पर पहुंचकर कोरोना नियमों की पालना करने की अपील कर रहे हैं.

अधिकारियों की समझाइश के बाद शादी का आयोजन करने वाले लोगों ने भी सावधानी बरतनी शुरू कर दी है. नियमों का पालना नहीं होने पर उनके खिलाफ की जाने वाली कानूनी कार्रवाई के बारे में भी चेतावनी दी जा रही है. शादियों में जहां मेहमानों की संख्या सीमित की गई है, इसको देखते हुए इवेंट कंपनियों ने भी रिश्तेदारों को शादियों से जोड़ने का नया तरीका खोज निकाला है. शादी समारोह का लाइव टेलीकास्ट करने की इवेंट कंपनियों ने व्यवस्था कर रखी है. इसके तहत वर्चुअल प्लेटफार्म के जरिए घर बैठे ही रिश्तेदार शादी के आयोजनों को देख सकेंगे और उस शादी का हिस्सा बन सकेंगे.

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देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन

राजसमंद के देवगढ़ में बुधवार को देवउठनी एकादशी पर शादी-विवाह की शुरुआत हो गई. जिसके बाद बाजारों में लोगों की चहल-पहल देखने को मिली. क्षेत्र में बैंड-बाजे, डीजे, ढोल नगाड़ों की गूंज सुनाई दी.

वहीं चारभुजा नाथ मंदिर में देवउठनी एकादशी के मौके पर तुलसी विवाह का आयोजन किया गया. इस दौरान देवगढ़ काकरोद में सिखवाल ब्राह्मण समाज ने गाजे-बाजे के साथ ठाकुरजी की बारात निकाली. इस बारात में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

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