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SPECIAL : खंडित हैं फिर भी यहां वंदित हैं शिव....आदिवासियों का हरिद्वार है प्रतापगढ़ का गौतमेश्वर महादेव तीर्थ

गौतमेश्वर महावेद मंदिर विश्वभर में इसलिए प्रसिद्ध हैं क्योंकि यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है. इसके साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपने किए हुए पापों से मुक्ति के लिए भी प्रमाण पत्र भी दिया जाता है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
खंडित हैं फिर भी यहां वंदित हैं शिव
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Published : Mar 11, 2021, 10:04 PM IST

प्रतापगढ़. जिले के अरनोद उपखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और आदिवासियों का हरिद्वार कहे जाने वाले गौतमेश्वर महादेव मंदिर में इस बार कोरोना का साया साफ तौर पर देखने को मिला. कोरोना के असर को देखते हुए इस बार गौतमेश्वर महादेव मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं मिल पाया.

आदिवासियों का हरिद्वार..जहां मिलता है पापमुक्ति का सर्टिफिकेट

गौतमेश्वर महावेद मंदिर विश्वभर में इसलिए भी प्रसिद्ध हैं क्योंकि यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है. इसके साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपने किए हुए पापों से मुक्ति के लिए भी प्रमाण पत्र भी दिया जाता है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
दुनिया का एकमात्र खंडित शिवलिंग

हिन्दू धर्म शास्त्रों में खंडित देव प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंगों और तस्वीरों के पूजन को शुभ नहीं माना जाता.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
कोरोना के कारण इस बार नहीं भरा विशाल मेला

लेकिन जिले का गौतमेश्वर ऐसा शिवालय है, जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी यहां की शिवलिंग पूजनीय है. यहां स्थित मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के बाद उस व्यक्ति को मंदिर का पुजारी पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र देता है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
तीर्थ स्थल से जुड़ी हैं कई कहानियां

कहा जाता है कि सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषि पर लगा गौहत्या का कलंक भी यहीं स्नान करने के बाद मिटा था.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
यहां दिया जाता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट

खंडित शिवलिंग के पीछे प्रचलित कहानी

कहा जाता है कि मोहम्मद गजनवी जब मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गाैतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया. शिवलिंग पर प्रहार करने पर पहले तो शिवलिंग से दूध की धार निकली. दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
बड़ी तादाद में आदिवासी आते हैं यहां

जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो शिवलिंग से आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला, जिसने गजनवी सहित उसकी सेना पर हमला बोल दिया. गजनवी ने शिवलिंग काे शीश नवाया मंदिर का पुन: निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया. आज भी शिलालेख मंदिर में लगा हुआ है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
अरनोद उपखंड क्षेत्र का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यह

दूर-दूर से आते हैं यहां श्रद्धालु

आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल गाैतमेश्वर महादेव मंदिर में राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते हैं.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
आदिवासियों का हरिद्वार कहलाता है यह तीर्थ

लेकिन इस बार मंदिर में कोरोना के प्रकोप के चलते शिवरात्रि पर ज्यादा संख्या में श्रद्धालु भाग नहीं ले पाए. पौराणिक मान्यता के चलते इस मंदिर से लोगों का अधिक जुड़ाव है. इसके साथ ही खंडित शिवलिंग की पूजा भी लोगों को अपनी और आकर्षित करती है.

प्रतापगढ़. जिले के अरनोद उपखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और आदिवासियों का हरिद्वार कहे जाने वाले गौतमेश्वर महादेव मंदिर में इस बार कोरोना का साया साफ तौर पर देखने को मिला. कोरोना के असर को देखते हुए इस बार गौतमेश्वर महादेव मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं मिल पाया.

आदिवासियों का हरिद्वार..जहां मिलता है पापमुक्ति का सर्टिफिकेट

गौतमेश्वर महावेद मंदिर विश्वभर में इसलिए भी प्रसिद्ध हैं क्योंकि यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है. इसके साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपने किए हुए पापों से मुक्ति के लिए भी प्रमाण पत्र भी दिया जाता है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
दुनिया का एकमात्र खंडित शिवलिंग

हिन्दू धर्म शास्त्रों में खंडित देव प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंगों और तस्वीरों के पूजन को शुभ नहीं माना जाता.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
कोरोना के कारण इस बार नहीं भरा विशाल मेला

लेकिन जिले का गौतमेश्वर ऐसा शिवालय है, जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी यहां की शिवलिंग पूजनीय है. यहां स्थित मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के बाद उस व्यक्ति को मंदिर का पुजारी पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र देता है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
तीर्थ स्थल से जुड़ी हैं कई कहानियां

कहा जाता है कि सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषि पर लगा गौहत्या का कलंक भी यहीं स्नान करने के बाद मिटा था.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
यहां दिया जाता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट

खंडित शिवलिंग के पीछे प्रचलित कहानी

कहा जाता है कि मोहम्मद गजनवी जब मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गाैतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया. शिवलिंग पर प्रहार करने पर पहले तो शिवलिंग से दूध की धार निकली. दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
बड़ी तादाद में आदिवासी आते हैं यहां

जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो शिवलिंग से आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला, जिसने गजनवी सहित उसकी सेना पर हमला बोल दिया. गजनवी ने शिवलिंग काे शीश नवाया मंदिर का पुन: निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया. आज भी शिलालेख मंदिर में लगा हुआ है.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
अरनोद उपखंड क्षेत्र का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यह

दूर-दूर से आते हैं यहां श्रद्धालु

आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल गाैतमेश्वर महादेव मंदिर में राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते हैं.

Adivasi Haridwar, Gautameshwar Mahadev Shrine of Pratapgarh, Gautameshwar Mahadev Pratapgarh
आदिवासियों का हरिद्वार कहलाता है यह तीर्थ

लेकिन इस बार मंदिर में कोरोना के प्रकोप के चलते शिवरात्रि पर ज्यादा संख्या में श्रद्धालु भाग नहीं ले पाए. पौराणिक मान्यता के चलते इस मंदिर से लोगों का अधिक जुड़ाव है. इसके साथ ही खंडित शिवलिंग की पूजा भी लोगों को अपनी और आकर्षित करती है.

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