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प्रतापगढ़ में फिर बढ़ी तेंदूपत्ता की मांग, लोगों को मिलेगा रोजगार

प्रतापगढ़ में तेंदूपत्ता की आय में इस बार चार गुना तक बढ़ोतरी हुई है. इस बार बढ़ी तेंदुपत्ता की मांग के कारण ठेका भी 13 करोड़ 88 लाख रुपए का हुआ है. इससे कोरोना काल में स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा

प्रतापगढ़ में बढ़ी तेंदूपत्ता की मांग, Demand for tendu patta increased in Pratapgarh
प्रतापगढ़ में बढ़ी तेंदूपत्ता की मांग
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Published : May 31, 2021, 6:41 AM IST

प्रतापगढ़. वन विभाग की ओर से जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने के दिए जाने वाले तेंदूपत्ता के ठेके से आय में इस बार चार गुना तक बढ़ोतरी हुई है. जबकि गत दो वर्ष से लगातार कमी होती जा रही थी. इस बार बढ़ी तेंदुपत्ता की मांग के कारण ठेका भी 13 करोड़ 88 लाख रुपए का हुआ है. इससे कोरोना काल में स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

प्रतापगढ़ में बढ़ी तेंदूपत्ता की मांग, Demand for tendu patta increased in Pratapgarh
स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार

विभागीय आंकड़ों के अनुसार गत दो वर्ष से आय कम हो रही थी. इसका कारण तेंदूपत्ता की मांग में कमी होना बताया गया है. ऐसे में वन विभाग की राजस्व आय में कमी हो रही है. गत दो वर्ष से तेंदूपत्ता का उठाव नहीं होने से यह असर हो रहा है. वहीं इस वर्ष तेंदुपत्ता की मांग है, जिससे ठेका राशि अधिक बोली गई है.

पढ़ें- DGP ने 40% स्टाफ को बैरक में रहने के आदेश दिये...इसके बाद जयपुर पुलिस ने शुरू की पुलिस कर्मियों की छंटनी

प्रदेश समेत अन्य राज्यों में गत तीन वर्ष में तोड़े गए तेंदूपत्ता का उठाव गत वर्ष हुआ. इस वर्ष वन विभाग की ओर से दिए गए तेंदूपत्ता तुड़ाई के ठेकों से आय अधिक है. प्रतापगढ़ जिले में वर्ष 2019-20 में हुए ठेके से 4 करोड़ 25 हजार रुपए की आय हुई थी. जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 3 करोड़ 17 लाख तक ही सिमट गया. वहीं 2021-22 में यह ठेका 13.88 रुपए का हुआ है.

प्रदेश का 40 प्रतिशत उत्पादन प्रतापगढ़ जिले से

प्रदेश में कुल उत्पादन होने वाले में से 40 प्रतिशत तेंदूपत्ता प्रतापगढ़ के जंगलों से होता है, जबकि 60 प्रतिशत उत्पादन प्रदेश के अन्य जंगलों में होता है. यहां के जंगलों में कई प्रजातियों के पेड़ पाए जाते हैं. इनमें तेंदू के पेड़ भी हैं. ऐसे में यहां तेंदूपत्ता का उत्पादन भी अधिक होता है.

कांठल में बहुतायत संख्या में पेड़

प्रतापगढ़ जिले में जैव विविधता के कारण जंगल काफी समृद्ध है. ऐसे में यहां टीमरू के पेड़ भी काफी पाए जाते है. इनके पत्तों से बीड़ी बनाई जाती है. वन विभाग के सूत्रों के अनुसार यहां जिले में प्रदेश के करीब 40 प्रतिशत ठेके से आय प्रतापगढ़ जिले से होती है.

जिले में यहां से होता है पत्ता संग्रहण

प्रतापगढ़ जिले में सभी तरफ जंगल है. ऐसे में ठेके भी जिले के 20 इकाइयों से होते है. इसमें बांसी, लालपुरा, लसाड़िया, छोटीसादड़ी, सियाखेड़ी, साठोला, देवगढ़, धमोतर, दलोट, रामपुरिया जानागढ़, प्रतापगढ़, खूंता मूंगाणा, कातिजाखेड़ा भरकुंडी, लोहागढ़ अंबाव, झडोली मय अखिया मानपुर, मांडवी पीपल्या, भणावता चरी, जायखेड़ा, पीपलखूंट, डूंगलावाणी इकाई के ठेके प्रति वर्ष दिए जाते है.

पढ़ें- Rajasthan Corona Update : राजस्थान में कोरोना संक्रमण के 2298 नए मामले, 66 मरीजों की मौत

गत पांच वर्षों की स्थिति (आंकड़े वन विभाग के अनुसार राशि करोड़ में)

वर्षआय
2017-1826.72
2018-1913.61
2019-204.25
2020-213.17
2021-2213.88

प्रतापगढ़. वन विभाग की ओर से जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने के दिए जाने वाले तेंदूपत्ता के ठेके से आय में इस बार चार गुना तक बढ़ोतरी हुई है. जबकि गत दो वर्ष से लगातार कमी होती जा रही थी. इस बार बढ़ी तेंदुपत्ता की मांग के कारण ठेका भी 13 करोड़ 88 लाख रुपए का हुआ है. इससे कोरोना काल में स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

प्रतापगढ़ में बढ़ी तेंदूपत्ता की मांग, Demand for tendu patta increased in Pratapgarh
स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार

विभागीय आंकड़ों के अनुसार गत दो वर्ष से आय कम हो रही थी. इसका कारण तेंदूपत्ता की मांग में कमी होना बताया गया है. ऐसे में वन विभाग की राजस्व आय में कमी हो रही है. गत दो वर्ष से तेंदूपत्ता का उठाव नहीं होने से यह असर हो रहा है. वहीं इस वर्ष तेंदुपत्ता की मांग है, जिससे ठेका राशि अधिक बोली गई है.

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प्रदेश समेत अन्य राज्यों में गत तीन वर्ष में तोड़े गए तेंदूपत्ता का उठाव गत वर्ष हुआ. इस वर्ष वन विभाग की ओर से दिए गए तेंदूपत्ता तुड़ाई के ठेकों से आय अधिक है. प्रतापगढ़ जिले में वर्ष 2019-20 में हुए ठेके से 4 करोड़ 25 हजार रुपए की आय हुई थी. जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 3 करोड़ 17 लाख तक ही सिमट गया. वहीं 2021-22 में यह ठेका 13.88 रुपए का हुआ है.

प्रदेश का 40 प्रतिशत उत्पादन प्रतापगढ़ जिले से

प्रदेश में कुल उत्पादन होने वाले में से 40 प्रतिशत तेंदूपत्ता प्रतापगढ़ के जंगलों से होता है, जबकि 60 प्रतिशत उत्पादन प्रदेश के अन्य जंगलों में होता है. यहां के जंगलों में कई प्रजातियों के पेड़ पाए जाते हैं. इनमें तेंदू के पेड़ भी हैं. ऐसे में यहां तेंदूपत्ता का उत्पादन भी अधिक होता है.

कांठल में बहुतायत संख्या में पेड़

प्रतापगढ़ जिले में जैव विविधता के कारण जंगल काफी समृद्ध है. ऐसे में यहां टीमरू के पेड़ भी काफी पाए जाते है. इनके पत्तों से बीड़ी बनाई जाती है. वन विभाग के सूत्रों के अनुसार यहां जिले में प्रदेश के करीब 40 प्रतिशत ठेके से आय प्रतापगढ़ जिले से होती है.

जिले में यहां से होता है पत्ता संग्रहण

प्रतापगढ़ जिले में सभी तरफ जंगल है. ऐसे में ठेके भी जिले के 20 इकाइयों से होते है. इसमें बांसी, लालपुरा, लसाड़िया, छोटीसादड़ी, सियाखेड़ी, साठोला, देवगढ़, धमोतर, दलोट, रामपुरिया जानागढ़, प्रतापगढ़, खूंता मूंगाणा, कातिजाखेड़ा भरकुंडी, लोहागढ़ अंबाव, झडोली मय अखिया मानपुर, मांडवी पीपल्या, भणावता चरी, जायखेड़ा, पीपलखूंट, डूंगलावाणी इकाई के ठेके प्रति वर्ष दिए जाते है.

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गत पांच वर्षों की स्थिति (आंकड़े वन विभाग के अनुसार राशि करोड़ में)

वर्षआय
2017-1826.72
2018-1913.61
2019-204.25
2020-213.17
2021-2213.88
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