प्रतापगढ़. जिले का वन्यजीव क्षेत्र अजब गजब तरह के पक्षियों और जीव-जंतुओं से भरा हुआ है. हाल ही में पक्षी प्रेमी देवेंद्र मिस्त्री ने प्रतापगढ़ में एक ऐसे पक्षी साइकस लार्क की खोज की है जो 50 से ज्यादा पक्षियों की आवाजों की नकल कर लेता है. इसको स्थानीय लोग चोटीदार या चंडूल के नाम से भी जानते हैं.
ये नकल में इतना माहिर है कि कई बार जिस पक्षी की आवाज निकालता है, उस प्रजाति के पक्षी खुद भ्रमित हो जाते हैं कि कोई उनका साथी आवाज दे रहा है. इस पक्षी को लेकर उन्होंने साल 2003 से लेकर 2008 तक लगातार रिसर्च की तो ये नतीजे सामने आए कि अपने आस-पास रहने वाले ने पक्षियों की आवाज की ये खूब नकल कर लेता है.
प्रतापगढ़ में बांसवाड़ा, उदयपुर और मंदसौर की सीमा के नजदीक इन पक्षियों का आवास है. राजस्थान में प्रतापगढ़ के अलावा ये पक्षी कोटा में भी मिला है. राजस्थान के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक में भी ये पाया जाता है. मिस्त्री ने बताया कि अक्षर मैदानी इलाकों में और बंजर भूमि, बीहड़ आदि में इनके आवास मिलते हैं. इनका यहां आने का समय अब तक जो नोट किया गया है वो मानसून से पहले और दिसंबर जनवरी के मध्य का है.
मिस्त्री बताते हैं कि अरनोद के गांव वीरपुर में इसे पूरे साल देखा गया है. क्रेस्टेड लार्क से मिलता जुलतादेवेंद्र मिस्त्री ने बताया कि ये पक्षी क्रेस्टेड लार्क से लगभग मिलता-जुलता है, लेकिन इसकी पहचान मूलत इसकी हाइट की वजह से होती है. क्रेस्टेड जहां 17 सेंटीमीटर लंबा होता है वहीं इसकी लंबाई करीब 14 सेंटीमीटर की है. इसकी चोंच लंबी और पतली होती है. ये पक्षी इतना माहिर है कि अन्य पक्षियों के सामने जाकर उनकी नकल नहीं करता है बल्कि छिपकर उनकी आवाज निकालता है. ऐसे में दूसरे पक्षियों को अपने साथी होने का भ्रम हो जाता है.
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मिस्त्री का कहना है कि फिलहाल तो तोता, मैना, गोरैया, तीतर, खुसट, लहटोरा, टिटहरी, किलकिला, पत्रिंगा आदि पक्षियों की नकल करते हुए से सुना गया है. मिस्त्री ने बताया है कि भविष्य में शोध के आधार पर हो सकता है यह भी सामने आए कि इसके आवाज नकल करने की यह कला पक्षियों के साथ-साथ अन्य पशुओं की भी हो.