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पाली लोकसभा सीट पर इस बार पीपी चौधरी की राह आसान नहीं...अपनों को मना पाना सबसे बड़ी चुनौती

लगातार विरोध के बाद भी भाजपा आलाकमान ने पाली सांसद पीपी चौधरी पर विश्वास जताया हैं. लेकिन, इस लोकसभा सीट को जीतने के लिए चौधरी के सामने सबसे बड़ी और सबसे पहली चुनौती अपनों को मनाने की है.

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Published : Mar 24, 2019, 9:34 AM IST

सांसद पीपी चौधरी

पाली. सांसद पीपी चौधरी पाली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर फिर अपनी विजय पताका लहराने के लिए चौधरी को पहले से कहीं ज्यादा कोशिश करनी होगी. मतदाताओं से बीच जाने से पहले ही चौधरी को अपनों को ही मनाने की जुगत करनी होगी.
दरअसल, भले ही चौधरी पार्टी के सभी विधायकों और पदाधिकारियों को उनके साथ होने का दावा कर रहे हैं. लेकिन, पदाधिकारियों की नाराजगी की सुर्खियां पूरे पाली लोकसभा क्षेत्र में हैं.

गौरतलब है कि पाली लोकसभा सीट से उम्मीदवारी के समय पीपी चौधरी के साथ ही पाली लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी 8 विधानसभाओं के पदाधिकारियों और कई विधयकों ने भाजपा आलाकमान को ज्ञापन सौंपा था. इस ज्ञापन में सभी ने पीपी चौधरी को को टिकिट नही देने की मांग की थी.
ये ज्ञापन सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. इस ज्ञापन के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई शिकायत करने वाले बैकफुट पर भी आ गए थे. हालांकि, उसके बाद आलाकमान ने चौधरी को फिर से मैदान में उतार दिया.

टिकट मिलने के बाद पीपी चौधरी शनिवार को पहली बार पाली आए और अपना जनसम्पर्क शुरू किया. पाली में इस मौके पर वाहन रैली और स्नेह मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर पीपी चौधरी के साथ पाली जिले के सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत, सोजत विधायक शोभा चौहान और पाली नगर परिषद सभापति महेंद्र बोहरा ही नजर आए. इसके अलावा जिन लोनों के उस ज्ञापन में हस्ताक्षर थे. वो उनके साथ नहीं दिखाई दिए. इस बात को लेकर पीपी चौधरी के खिलाफ नाराजगी की चर्चाएं पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है.

सांसद पीपी चौधरी


हालांकि इस बात को पीपी चौधरी ने सिरे से नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि उनके अलावा पाली लोकसभा सीट से 13 लोगों ने टिकट के लिए उम्मीदवारी की थी. लेकिन, पार्टी ने उन पर भरोसा जताया. कार्यकर्ताओं में टिकट मिलने से पहले कोई मतभेद हो सकता है, लेकिन भाजपा में सभी एक परिवार की तरह हैं. यह प्रणाली कांग्रेस की है कि अगर टिकट नही मिला तो पार्टी से बगावत या उम्मीदवार का नुकसान करें.

पाली. सांसद पीपी चौधरी पाली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर फिर अपनी विजय पताका लहराने के लिए चौधरी को पहले से कहीं ज्यादा कोशिश करनी होगी. मतदाताओं से बीच जाने से पहले ही चौधरी को अपनों को ही मनाने की जुगत करनी होगी.
दरअसल, भले ही चौधरी पार्टी के सभी विधायकों और पदाधिकारियों को उनके साथ होने का दावा कर रहे हैं. लेकिन, पदाधिकारियों की नाराजगी की सुर्खियां पूरे पाली लोकसभा क्षेत्र में हैं.

गौरतलब है कि पाली लोकसभा सीट से उम्मीदवारी के समय पीपी चौधरी के साथ ही पाली लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी 8 विधानसभाओं के पदाधिकारियों और कई विधयकों ने भाजपा आलाकमान को ज्ञापन सौंपा था. इस ज्ञापन में सभी ने पीपी चौधरी को को टिकिट नही देने की मांग की थी.
ये ज्ञापन सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. इस ज्ञापन के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई शिकायत करने वाले बैकफुट पर भी आ गए थे. हालांकि, उसके बाद आलाकमान ने चौधरी को फिर से मैदान में उतार दिया.

टिकट मिलने के बाद पीपी चौधरी शनिवार को पहली बार पाली आए और अपना जनसम्पर्क शुरू किया. पाली में इस मौके पर वाहन रैली और स्नेह मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर पीपी चौधरी के साथ पाली जिले के सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत, सोजत विधायक शोभा चौहान और पाली नगर परिषद सभापति महेंद्र बोहरा ही नजर आए. इसके अलावा जिन लोनों के उस ज्ञापन में हस्ताक्षर थे. वो उनके साथ नहीं दिखाई दिए. इस बात को लेकर पीपी चौधरी के खिलाफ नाराजगी की चर्चाएं पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है.

सांसद पीपी चौधरी


हालांकि इस बात को पीपी चौधरी ने सिरे से नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि उनके अलावा पाली लोकसभा सीट से 13 लोगों ने टिकट के लिए उम्मीदवारी की थी. लेकिन, पार्टी ने उन पर भरोसा जताया. कार्यकर्ताओं में टिकट मिलने से पहले कोई मतभेद हो सकता है, लेकिन भाजपा में सभी एक परिवार की तरह हैं. यह प्रणाली कांग्रेस की है कि अगर टिकट नही मिला तो पार्टी से बगावत या उम्मीदवार का नुकसान करें.

Intro:पाली. लगातार विरोध के बाद भी भाजपा आलाकमान ने पाली सांसद पीपी चौधरी पर विश्वास जताया हैं। लेकिन, इस लोकसभा सीट को जतने के लिए चौधरी के सामने कई अटकले नजर आ रही हैं। मतदाता के बीच मे जाने से पहले चौधरी को अपनो को ही मनाने की जुगत करनी होगी। भले ही चौधरी पार्टी के सभी विधायक और पदाधिकारी उनके साथ होने का दावा कर रहे हैं। लेकिन, पदाधिकारियों के नाराजगी ही सुर्खिया पुरे पाली लोकसभा क्षेत्र में हैं।

गौरतलब है कि पाली लोकसभा सीट से उम्मीदवारी के समय पीपी चौधरी के साथ ही पाली लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी 8 विधानसभा के पदाधिकारी ओर कई विधयकों ने भाजपा आला कमान को ज्ञापन सौपा था। इस ज्ञापन में सभी ने पीपी चौधरी को को टिकिट नही देने की मांग की थी। यह ज्ञापन सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। इस ज्ञापन के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई शिकायत करने वाले बैकफुट पर भी आ गए थे। हालांकि, उसके बाद आलाकमान ने चौधरी को फिर से मैदान में उतार दिया।


Body:टिकिट मिलने के बाद पीपी चौधरी ने शनिवार को पहली बार पाली आए और अपना जनसम्पर्क शुरू किया। पाली में इस मौके पर वाहन रैली ओर स्नेह मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पीपी चौधरी के साथ पाली जिले के सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत व सोजत विधायक शोभा चौहान और पाली नगर परिषद सभापति महेंद्र बोहरा ही नजर आए। इसके अलावा जिन लोनों के उस ज्ञापन में हस्त्ताक्षर थे। वह एक गायब ही रहे। इस बात को लेकर पीपी चौधरी के खिलाफ नाराजगी की चर्चाएं काफी बढ़ गई।


Conclusion:हालांकि इस मामले में पीपी चौधरी ने सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा उनके अलावा पाली लोकसभा सीट से 13 जनो ने टिकिट के लिए उम्मीदवारी की थी। लेकिन, पार्टी ने उन परभरोस जताया। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं में टिकिट मिलने से पहले कोई मतभेद होगा। भाजपा में सभी एक परिवार की तरह हैं। यह प्रणाली कांग्रेस की है कि अगर टिकिट नही मील तो पार्टी से बगावत या उम्मीदवार का नुकसान करें।
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