जयपुर. फर्जी एनओसी से किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू कर दी है. इस पूरे मामले में विदेशी चैनल से आने वाले धन को लेकर ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की पड़ताल कर रही है. इसके चलते किडनी ट्रांसप्लांट मामले में जांच के घेरे में आए दो निजी अस्पताल के जिम्मेदारों से भी ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की है. अब इस पूछताछ में सामने आई जानकारी को ईडी अपने रिकॉर्ड में दर्ज जानकारी से मिलान कर रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि फर्जी एनओसी से किडनी ट्रांसप्लांट मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर आने वाले समय ने ईडी कई बड़े खुलासे कर सकती है. सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी ने इस साल जून में ईडी के अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज सौंपे थे. इसी के आधार पर ईडी ने जांच की और किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल दो निजी अस्पताल के जिम्मेदारों से पूछताछ की है.
पैकेज की रकम से 3-4 गुना वसूली : फर्जी एनओसी से किडनी ट्रांसप्लांट मामले में अब तक की जांच में सामने आया है कि बांग्लादेश और नेपाल के कई लोगों की किडनी ट्रांसप्लांट की गई. इसके बदले दलाल मुर्तजा अंसारी अस्पतालों के तय पैकेज से 3-4 गुना राशि वसूल करता था. जबकि किडनी देने वाले व्यक्ति को 2 से 3 लाख रुपए दिए जाते थे. अस्पतालों को तय राशि का भुगतान करने के बाद बची मोटी रकम अलग-अलग चैनल के जरिए कई लोगों तक पहुंचती थी.
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सात महीने पहले एसीबी ने किया रैकेट का भंडाफोड़ : दरअसल, जयपुर के एसएमएस अस्पताल में फर्जी एनओसी के जरिए किडनी ट्रांसप्लांट के रैकेट का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भंडाफोड़ किया था. एसीबी ने इस रैकेट से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और निजी अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर अनिल जोशी को गिरफ्तार किया था. इसके बाद इससे जुड़े कई राज बाहर आए तो जांच के लिए एसआईटी बनाई गई थी.
एसआईटी ने ईडी को सौंपे दस्तावेज : फर्जी एनओसी से किडनी ट्रांसप्लांट मामले में एसआईटी ने जांच की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई. इसी दौरान खुलासा हुआ कि बांग्लादेश और नेपाल के लोगों की बड़े पैमाने पर जयपुर में किडनी ट्रांसप्लांट की गई. जबकि किडनी देने वाले ज्यादातर लोग भी बांग्लादेश के थे. जिन्हें किडनी देने के बदले 2-3 लाख रुपए दिए गए. इस मामले के तार राजस्थान के साथ ही अन्य प्रदेशों से भी जुड़े हुए पाए गए.