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बिन पानी सब सून: पाली में गहराते जल संकट का 'मोचन' एक, जवाई बांध भी सूखने के कगार पर...देखें खास रिपोर्ट - राजस्थान

पाली जिले में 5 साल बाद फिर से पीने के पानी का गहराता जा रहा है. हालात ये है कि यहां के बाशिंदों को अपनी हलक तर करने के लिए प्रशासन जोधपुर से पानी की ट्रेन लाने की तैयारी कर रहा है.

बिन पानी सब सून: पाली में गहराते जल संकट के बाद ट्रेन से पानी लाने की तैयारी
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Published : Jun 29, 2019, 8:00 PM IST

पाली. मारवाड़ क्षेत्र में पानी का संकट रहना यह काफी पुरानी बात है. पर लोगों के लिए पीने के पानी का भी संकट होना यह पिछले 10 से 15 सालों में ही सामने आया है. लेकिन पाली के जाडन आश्रम के संतों ने इस स्थिति को 1996 में ही भांप लिया था. जाडन स्थित ओम आश्रम के महंत महेश्वरानंद महाराज की प्रेरणा से आश्रम में ही रहने वाले संत योगेश गिरी ने आश्रम की भूमि पर ही बरसाती पानी को इकट्ठा करने के लिए एक सरोवर बनाने की तैयारी की थी.

बिन पानी सब सून: पाली में गहराते जल संकट के बाद ट्रेन से पानी लाने की तैयारी, खास रिपोर्ट

दो साल के समय में आश्रम में तालाब बनाए गए. इसमें से एक पक्का तालाब बनाया गया. जिसका क्षेत्रफल 140 गुना 135 मीटर रखा गया. इसकी गहराई 10 मीटर रखी गई. इस पानी को हर समय उपयोग में लिया जा सके इसके लिए पूरे तालाब में प्लास्टिक की फिल्म लगाई गई. इस तालाब में ढाई लाख क्यूबिक पानी इकट्ठा किया जा सकता है.

  • 2013 के बाद पाली में आया पीने के पानी का संकट
  • पानी की कमी देखते हुए ट्रेन से पानी मांगवाने की तैयारी
  • जवाई बांध बना उम्मीद, यहां भी पानी खत्म होने की कगार पर

पिछले 22 सालों की बात करें तो यह तालाब 8 बार पूरी तरह से भरा है. इस तालाब को बनाने से पहले आश्रम में जल व्यवस्था के लिए 6 ट्यूबवेल चलाई जाती थी. लेकिन इस तालाब को बनाने के बाद से वर्ष भर पानी की पूरी आपूर्ति इसी से हो रही है. गत मानसून में पाली में औसत से भी कम बरसात हुई थी. मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र में आने वाला जाडन गांव ऐसी गांव में स्थित हैं यह आश्रम. यहां भी गत मानसून में बरसात नाममात्र की हुई थी. ऐसे में आश्रम के इस तालाब में वर्ष 2017 के मानसून का पानी इकट्ठा था. जिसे अभी तक आश्रम में पानी की आपूर्ति की जा रही है.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जाडन गांव में इकट्ठा होने वाला बरसाती पानी बरसात खत्म होने के 4 माह बाद जलदाय विभाग पीने के योग्य नहीं मानता है. यहां तक कि इसका पीएच और टीडीएस बढ़ जाने से इसे जानवरों के पीने के उपयोग लायक भी नहीं माना जाता. लेकिन आश्रम में इस तालाब में इकट्ठा होने वाला बरसात का पानी पूरे 2 वर्ष तक पीने के लिए उपयोगी माना गया है. और इसकी जांच में पीएच और टीडीएस पीने योग्य पानी के बराबर ही सामने आया है.

पाली. मारवाड़ क्षेत्र में पानी का संकट रहना यह काफी पुरानी बात है. पर लोगों के लिए पीने के पानी का भी संकट होना यह पिछले 10 से 15 सालों में ही सामने आया है. लेकिन पाली के जाडन आश्रम के संतों ने इस स्थिति को 1996 में ही भांप लिया था. जाडन स्थित ओम आश्रम के महंत महेश्वरानंद महाराज की प्रेरणा से आश्रम में ही रहने वाले संत योगेश गिरी ने आश्रम की भूमि पर ही बरसाती पानी को इकट्ठा करने के लिए एक सरोवर बनाने की तैयारी की थी.

बिन पानी सब सून: पाली में गहराते जल संकट के बाद ट्रेन से पानी लाने की तैयारी, खास रिपोर्ट

दो साल के समय में आश्रम में तालाब बनाए गए. इसमें से एक पक्का तालाब बनाया गया. जिसका क्षेत्रफल 140 गुना 135 मीटर रखा गया. इसकी गहराई 10 मीटर रखी गई. इस पानी को हर समय उपयोग में लिया जा सके इसके लिए पूरे तालाब में प्लास्टिक की फिल्म लगाई गई. इस तालाब में ढाई लाख क्यूबिक पानी इकट्ठा किया जा सकता है.

  • 2013 के बाद पाली में आया पीने के पानी का संकट
  • पानी की कमी देखते हुए ट्रेन से पानी मांगवाने की तैयारी
  • जवाई बांध बना उम्मीद, यहां भी पानी खत्म होने की कगार पर

पिछले 22 सालों की बात करें तो यह तालाब 8 बार पूरी तरह से भरा है. इस तालाब को बनाने से पहले आश्रम में जल व्यवस्था के लिए 6 ट्यूबवेल चलाई जाती थी. लेकिन इस तालाब को बनाने के बाद से वर्ष भर पानी की पूरी आपूर्ति इसी से हो रही है. गत मानसून में पाली में औसत से भी कम बरसात हुई थी. मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र में आने वाला जाडन गांव ऐसी गांव में स्थित हैं यह आश्रम. यहां भी गत मानसून में बरसात नाममात्र की हुई थी. ऐसे में आश्रम के इस तालाब में वर्ष 2017 के मानसून का पानी इकट्ठा था. जिसे अभी तक आश्रम में पानी की आपूर्ति की जा रही है.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जाडन गांव में इकट्ठा होने वाला बरसाती पानी बरसात खत्म होने के 4 माह बाद जलदाय विभाग पीने के योग्य नहीं मानता है. यहां तक कि इसका पीएच और टीडीएस बढ़ जाने से इसे जानवरों के पीने के उपयोग लायक भी नहीं माना जाता. लेकिन आश्रम में इस तालाब में इकट्ठा होने वाला बरसात का पानी पूरे 2 वर्ष तक पीने के लिए उपयोगी माना गया है. और इसकी जांच में पीएच और टीडीएस पीने योग्य पानी के बराबर ही सामने आया है.

Intro:वाटर हार्वेस्टिंग पर पाली से स्टोरी।

- 2013 के बाद पाली में आया पीने के पानी पर भी संकट
- हलक तर करने के लिए भी मंगवानी पड़ सकती है पानी की ट्रेन
- सिर्फ जवाई बांध ही उम्मीद, उसका भी 15 दिन बाद टूट जाएगा दम
- 1996 से पहले ही पाली के संतों ने भाप ली थी पेयजल संकट की स्थिति
- बूंद बूंद पानी बचाने का अब समय नही, अब पूरी बरसात के पानी को होगा बचाना
- 22 साल पहले पाली के जाडन स्थित ओम आश्रम में बरसाती पानी को इक्कठा करने के लिए बनाया आश्रम


पाली. पाली जिले में 5 साल बाद फिर से पीने के पानी पर भी संकट मंडरा चुका है। संकट इतना कि अब पानी के बाशिंदों की हलक तर करने के लिए प्रशासन जोधपुर से पानी की ट्रेन लाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन इस जल संकट की घड़ी में जाडन आश्रम के संतों की 22 साल पहले की सोच लगातार लोगों और सरकार के लिए प्रेरणा बनती जा रही है।


Body:वीओ 1 - मारवाड़ क्षेत्र में पानी का संकट रहना यह काफी पुरानी बात है। पर लोगों के लिए पीने के पानी का भी संकट होना यह पिछले 10 से 15 सालों में ही सामने आया है। लेकिन पाली के जाडन आश्रम के संतों ने इस स्थिति को 1996 में ही भांप लिया था। जाडन स्थित ओम आश्रम के महंत महेश्वरानंद महाराज की प्रेरणा से आश्रम में ही रहने वाले संत योगेश गिरी ने आश्रम की भूमि पर ही बरसाती पानी को इकट्ठा करने के लिए एक सरोवर बनाने की तैयारी की थी।


वीओ 2- दो साल के समय में आश्रम में तालाब बनाए गए। इसमें से एक पक्का तालाब बनाया गया। जिसका क्षेत्रफल 140 गुना 135 मीटर रखा गया। इसकी गहराई 10 मीटर रखी गई। इस पानी को हर समय उपयोग में लिया जा सके इसके लिए पूरे तालाब में प्लास्टिक की फिल्म लगाई गई। इस तालाब में ढाई लाख क्यूबिक पानी इकट्ठा किया जा सकता है।

वीओ 3 - पिछले 22 सालों की बात करें तो यह तालाब 8 बार पूरी तरह से भरा है। इस तालाब को बनाने से पहले आश्रम में जल व्यवस्था के लिए 6 ट्यूबवेल चलाई जाती थी। लेकिन इस तालाब को बनाने के बाद से वर्ष भर पानी की पूरी आपूर्ति इसी से हो रही है। गत मानसून में पाली में औसत से भी कम बरसात हुई। मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र में आने वाला जाडन गांव। ऐसी गांव में स्थित हैं यह आश्रम। यहां भी गत मानसून में बरसात नाममात्र की हुई। ऐसे में आश्रम के इस तालाब में वर्ष 2017 के मानसून का पानी इकट्ठा था। जिसे अभी तक आश्रम में पानी की आपूर्ति की जा रही है।


Conclusion:वीओ 4 - सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जाडन गांव में इकट्ठा होने वाला बरसाती पानी बरसात खत्म होने के 4 माह बाद जलदाय विभाग पीने के योग्य नहीं मानता है। यहां तक कि इसका पीएच और टीडीएस बढ़ जाने से इसे जानवरों के पीने के उपयोग लायक भी नहीं माना जाता। लेकिन आश्रम में इस तालाब में इकट्ठा होने वाला बरसात का पानी पूरे 2 वर्ष तक पीने के लिए उपयोगी माना गया है। और इसकी जांच में पीएच और टीडीएस पीने योग्य पानी के बराबर ही सामने आया है।
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