पाली. लॉकडाउन होने के बाद में प्रवासियों का आना टेवाली ग्राम पंचायत में भी जारी रहा. 3 माह में इस गांव में 570 प्रवासी अलग-अलग प्रदेशों से अपना रोजगार छोड़ कर पहुंचे. कोरोना संक्रमण के चलते जिले में तीसरे मरीज की मौत टेवाली गांव में ही हुई. शुरुआती समय में हुई संक्रमण से मौत के चलते टेवाली गांव पूरी तरह से खौफ में था. जिससे अपने गांव लौट रहे प्रवासियों से ग्रामीण डरने लगे. ऐसे में गांव के सरपंच और अन्य कार्यकर्ताओं ने इस भयावह स्थिति और अफवाहों के दौर को रोकने के लिए मुहिम चलाई.
इस मुहिम का नतीजा यह रहा कि इस गांव में एक कोरोना संक्रमित की मौत होने के बाद 3 महीने में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने नहीं आया और ना ही कोई संक्रमित हुआ. यहां के सरपंच और अन्य कार्यकर्ताओं की प्रेरणा ऐसी रही कि ग्रामीण काफी जागरूक नजर आए और आज 3 माह बाद भी अपने आवश्यक कार्य के अलावा यह ग्रामीण अपने घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. बेरोजगारों को रोजगार देने की मुहिम इस गांव में भी तेजी की गई. रोजगार छिन जाने से अपने घर लौटे प्रवासियों को फिर से रोजगार के मझधार में लाने का काम सबसे पहले टेवाली गांव से ही शुरू हुआ.
सुरक्षा के साथ वापस लौटे प्रवासी
570 के करीब लौटे प्रवासियों में से 500 प्रवासियों को फिर से प्रेरित कर अलग-अलग प्रदेशों में उनके रोजगार संभालने के लिए भेजा जा चुका है. सरपंच का कहना है कि इन प्रवासियों से ही टेवाली का विकास हो रहा है. अगर प्रवासी ही अपना रोजगार छोड़ देगें तो गांव का विकास संभव नहीं है. यही प्रेरणा रही कि आज 3 माह बाद भी टेवाली गांव पूरी तरह से संक्रमण मुक्त है और ग्रामीण आज भी पूरी तरह से जागरूक हैं.
रोजगार के लिए लोग गए दूसरे देश
पाली शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर उदयपुर राजमार्ग पर टेवाली गांव स्थित है. इस गांव में अधिकतर लोग अपने रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में जाकर बस चुके हैं. अपने आप में विकसित यह गांव, यहां के प्रवासी भामाशाहों के रूप में ही जाना जाता है. लॉकडाउन के बाद पहली बार एक साथ सभी प्रवासी अपने घर की ओर रुख करते नजर आए. अप्रैल माह में टेवाली गांव में आए एक संक्रमित युवक की तबीयत बिगड़ने के बाद 24 घंटे के अंदर ही मौत हो गई थी. युवक की मौत के बाद टेवाली गांव पूरी तरह से सकते में था और गांव में फैले संक्रमण को रोकने के लिए अब लोग सक्रिय हो चुके थे.
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ऐसे में फैसला लिया गया कि कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर नहीं निकलेगा. अलग-अलग टीमें बनाई गई जो लोगों के आवश्यक चीजों की पूर्ति उनके घर तक करवा रही थी. वहीं अपने गांव लौटे प्रवासियों के लिए गांव में अलग ही व्यवस्थाएं की गई. उन्हें पहले 14 दिन के क्वॉरेंटाइन में रखा गया. जिसके बाद प्रवासियों को अपनों से मिलने दिया गया. गांव लौटे प्रवासी किसी भी प्रकार की लापरवाही ना करें, इसकी जिम्मेदारी स्वयं सरपंच जोगाराम ने उठाई. उनके साथ कार्यकर्ताओं की टीम प्रति घंटे गांव में दौरा करती थी. इसक नतीजा रहा कि 3 माह तक इस गांव की सड़कें पूरी तरह से सुनी नजर आई और आज भी इसी मुहिम का नतीजा है कि लोग अपना आवश्यक कार्य होने पर ही घर से बाहर निकल रहे हैं.
गांव में दिया जा रहा रोजगार
गांव में बहुत से बेरोजगार बैठे लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ग्राम पंचायत की ओर से कई विकास कार्य शुरू किए गए. मनरेगा के तहत यहां लगभग 500 से ज्यादा लोगों को प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है. इसके अलावा कई प्रवासी भामाशाह भी सामने आए हैं जो अलग-अलग कार्य करवा कर यहां के लोगों को रोजगार दे रहे हैं.
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टेवाली ग्राम पंचायत सरपंच जोगाराम ने बताया कि 570 प्रवासी अपना रोजगार छोड़ कर गांव आ चुके थे, लेकिन इन्हें फिर से रोजगार पर भेजना गांव की जिम्मेदारी थी. इसी चलते जब अनलॉक 1 शुरू हुआ तो उन सभी को फिर से अपना रोजगार संभालने के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन प्रवासी संक्रमण और घर पहुंचने के बीच झेली परेशानी को देखते हुए लोग लौटना नहीं चाहते थे. जिसके बाद सभी को प्रेरित किया गया और फिर से इन प्रवासियों को अपने रोजगार से जोड़ा गया. इसके चलते अनलॉक 1 के बाद गांव में आए 500 प्रवासी फिर से अपने रोजगार पर लौट गए हैं.
बता दें कि टेवाली ग्राम पंचायत के लोग जिस तरह सावधानी बरतते हुए कोरोना को गंभीरता से ले रहे हैं, वह काबिले तारीफ है. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के युवा भी जिम्मेदारी निभाते हुए सजगता से कार्यरत हैं, यह एक सराहनीय पहल है. फिलहाल, ग्रामीण योद्धाओं की वजह से टेवाली ग्राम पंचायत कोरोना फ्री है.