पाली. देश भर में कोरोना संक्रमण का खौफ छाया हुआ है. हर कोई डरा-सहमा हुआ है. हल्की सी खांसी होने पर भी लोग सीधे अस्पताल पहुंच रहे हैं. इस महामारी से बचाने के लिए देशभर में लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की जा रही है. लेकिन राजस्थान के कुछ हिस्सों में वैक्सीन को लेकर फैली अफवाहें टीकाकरण अभियान में पलीता लगा रही हैं.
3 पीएचसी में गिने-चुने टीकाकरण
इस आदिवासी क्षेत्र में आने वाली 3 पीएचसी में गिने-चुने टीकाकरण ही हुए हैं. यहां पर टीकाकरण की टीमें दिनभर पीएचसी पर बैठी रहती है. यह टीम टीका लगवाने वालों का इंतजार करती है. लेकिन एक भी शख्स यहां टीका लगवाने नहीं आता.
3 पीएचसी में सिर्फ 55 टीकाकरण
अधिकारियों ने बताया कि पाली के आदिवासी क्षेत्र में नाना, गोरिया, भीमाना, ककराड़ी सहित कई बड़े गांव आते हैं. इन सभी गांव में 3 पीएचसी है. लेकिन तीनों पीएचसी मिलाकर अबतक 55 लोगों ने ही वैक्सीन लगवाया है.
⦁ पीपला कला गांव की पीएचसी पर 42 वैक्सीनेशन
⦁ भीमाना पीएचसी पर 11 लोगों ने टीका लगाया
⦁ ककराड़ी पीएचसी पर 2 लोगों ने वैक्सीन लगवाई
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वैक्सीन के गलत प्रभाव की अफवाह
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में लोगों से पूछताछ भी की. लेकिन लोगों ने स्वास्थ्य पर इस टीके का गलत प्रभाव पड़ना बताकर टीका लगवाने से पल्ला झाड़ दिया.
टीकाकरण बड़ी चुनौती
पूरे जिले में सभी टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ लग रही है. वहीं प्रशासन के सामने अब इस आदिवासी क्षेत्र में लोगों को टीका लगवाना एक कड़ी चुनौती बन गया है.
कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा
आदिवासी क्षेत्रों में लोग वैक्सीन नहीं लगा रहे हैं. ऐसे में लोगों की लगातार बढ़ रही लापरवाही से कोरोना संक्रमण और तेज होने का खतरा भी मंडरा रहा है.
अनोप मंडल के कार्यकर्ताओं पर अफवाह फैलाने का आरोप
इस क्षेत्र में सक्रिय अनोप दास मंडल के कार्यकर्ताओं पर आदिवासियों को गुमराह करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं. हालांकि अनोप दास मंडल आदिवासियों के लिए कल्याणकारी काम करता है और आंदोलन भी करता है. लेकिन ऐसे आरोप लग रहे हैं कि मंडल के कार्यकर्ताओं ने टीकाकरण नहीं करवाने की अफवाह फैलाई थी. कुछ दिनों पहले इसका एक वीडियो वायरल हुआ था. जिससे बाद प्रशासन ने मंडल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ थाने में केस भी दर्ज किया था.
प्रशासन कर रहा जागरूक लेकिन कोई असर नहीं
जिला कलेक्टर ने बताया कि इन सभी आदिवासी क्षेत्रों में लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने आदिवासी क्षेत्र में सक्रिय कई जनप्रतिनिधि और आदिवासी समाज के लोगों से भी अपील करवाई. लेकिन अबतक इसका असर सामने नहीं आया है.