पाली. शहर में पिछले 25 सालों से फैली प्रदूषण की समस्या का निजात अब निकलता नजर आ रहा है. एनजीटी की सख्ती के बाद में अब पाली में बांडी नदी को एक स्वच्छ नदी का रूप देने की मुहिम छेड़ गई है. जिसके तहत अब बांडी नदी में इकट्ठे हो रखे रंगीन और प्रदूषित पानी को एक तरफ किया जा रहा है.
गत दिनों एनजीटी की फटकार के बाद यहां जांच करने के लिए आई पूर्व न्यायाधीश प्रकाश टाटिया एवं उसकी टीम ने पाली प्रशासन को साफ तौर पर तल्ख शब्दों में कहा था कि अगर बांडी नदी एक स्वच्छ नदी के रूप में नजर नहीं आएगी तो पाली के कपड़े उद्योग पर ताला लगाना पड़ेगा. इस तरह की फटकार के बाद पाली में इसका असर साफ तौर पर देखने को मिला है. पाली प्रशासन की ओर से बाड़ी नदी को पूरी तरह से स्वच्छ करने के लिए रूपरेखा तैयार कर दी गई है. जिला कलेक्टर के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है, जिसने कार्य धरातल पर करना शुरू कर दिया है.
जिला कलेक्टर अंशदीप ने बताया है कि उनके द्वारा गठित की गई टीम द्वारा पाली में संचालित हो रही 558 कपड़ा इकाइयों की पूरी तरह से स्काडा पद्धति से मॉनिटरिंग की जा रही है. इसके तहत अब कपड़ा इकाई उसके क्षमता के अनुसार ही उत्पादन कर सकेगी और उतरा ही पानी उपयोग कर सकेगी. इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले सभी नालों को बंद कर उसका पानी निकाल दिया गया है, ताकि अब अगर नालों में रंगीन पानी नजर आता है तो उस कपड़े इकाई के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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इसके साथ ही बांडी नदी में फैले रंगीन पानी को उसके किनारे एक नाला बना कर उसे आगे निकाला जा रहा है. इस पूरे पानी को निकालने के बाद बांडी नदी में भरे स्लज को पूरी तरह से खाली कर उसे साफ किया जाएगा. इसके साथ ही बांडी नदी के किनारे संचालित हो रही सभी कपड़ा इकाइयों से निकलने वाले पानी के पाइप लाइनों की जांच की जाएगी.
बांडी नदी को साफ करने के बाद जिस कपड़ा इकाई के आगे वाली नदी में पानी नजर आएगा. उसे तुरंत प्रभाव से बंद करने के आदेश देते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिला जिला कलेक्टर अंशदीप ने बताया कि इस कार्य को करने में करीब 6 माह का वक्त लग जाएगा, लेकिन इसके बाद बंदी नदी पूरी तरह से एक स्वच्छ नदी के रूप में उभर जाएगी.