पाली. हिंदू संस्कृति में मृत्यु के बाद आत्मा को मोक्ष मिल सके इसके लिए उनके अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार या पुष्कर में किया जाता है. लेकिन सोजत के जाने-माने डॉ. बीसी अग्रवाल की मृत्यु के बाद उनके बेटों ने उनकी अंतिम इच्छा को अलग तरह से पूरा किया. डॉ. अग्रवाल की अंतिम इच्छा थी कि उनके द्वारा मोक्ष धाम में ही लगाए 1000 पेड़ों के बीच उनकी जड़ों में ही उनकी अस्थियों का विसर्जन किया जाए. उनके पुत्रों ने परंपरा को छोड़ अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की और मोक्ष धाम के पेड़ों की जड़ों में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया.
27 मई को जोधपुर में डॉक्टर बीसी अग्रवाल का निधन हो गया था. उनके पुत्र डॉ. विवेक, डॉ. मीनेश व अन्य परिवार के सदस्यों ने उनका अंतिम संस्कार सोजत के मोक्ष धाम में किया था. डॉ. अग्रवाल की अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को मोक्ष धाम के पेड़ों में डाला जाये और बची हुई राख को भी पेड़ों की जड़ों में डाला जाए. उनके बेटों ने ऐसा ही किया.
बताया जाता है कि सोजत सिटी से सुकड़ी नदी निकलती है. 50 साल पहले सोजत क्षेत्र में कोई मोक्ष धाम नहीं था. यहां के लोग सुकड़ी नदी में ही शवों का अंतिम संस्कार करते थे. उस समय लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उस दौरान डॉ. अग्रवाल ने लोगों की समस्या हल करने के लिए सुकड़ी नदी के किनारे ही मोक्ष धाम तैयार किया. इसके बाद उन्होंने इस मोक्ष धाम में करीब एक हजार से ज्यादा पौधे लगाए. जिन्होंने अब बड़े पेड़ों का रूप ले लिया है. डॉक्टर अग्रवाल का ज्यादातर समय इस मोक्ष धाम में पेड़ों को तैयार करने में गया. मोक्ष धाम में उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र भी खोला था. जहां लोगों को नशा छुड़वाया जाता था.