पाली. सड़कों का जाल धीरे-धीरे फैलता जा रहा है. हाईवे और ओवरब्रिज की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. जबकि यातायात के साधनों में भी इजाफा होता जा रहा है, लेकिन इन सभी सुविधाओं के बीच जिले में हो रही दुर्घटनाओं का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इनमें भी दुर्घटना के शिकार हुए लोगों की मौत का आंकड़ों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. रोजाना हो रहे हादसों में किसी के घर का चिराग बुझ जा रहा है.
हादसों के चलते हाईवे पर जाम भी लग रहे हैं और लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है. अगर दुर्घटनाओं की बात करें तो सबसे ज्यादा ट्रक से घटनाएं होती हैं. इसमें ट्रक चालकों की लापरवाही की बात भी सामने आ रही है. कई बार ट्रक चालकों के नशे में वाहन चलाने में लापरवाही बरतते हुए भी दुर्घयनाएं करते देखा गया है. ईटीवी भारत इस गंभीर समस्या की पड़ताल की तो वास्तविकता जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे.
यह भी पढ़ें: Special : NRI दहेज लोभियों पर राजस्थान पुलिस सख्त...प्रताड़ित करने वालों को भेजती है सलाखों के पीछे
वर्ष 2020 की बात करें तो पाली के सभी हाईवे एवं अन्य रास्तों पर दुर्घटनाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. बीते 10 माह की बात करें तो इस दरमियान पाली में 663 से ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं. जिनमें 153 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. सबसे ज्यादा हादसे ट्रक, टैंकर और ट्रोला की वजह से हुए हैं. हादसे का शिकार होने वालों में ज्यादातर बाइक चालक ही रहे हैं. दुर्घटनाओं के बढ़ रहे इन आंकड़ों के पीछे पुलिस ने ट्रक चालकों के नशे में वाहन चलाने की बात कही है. लेकिन जब ईटीवी भारत ने इस व्यापार से जुड़े ट्रांसपोर्ट व्यवसाई एवं ट्रक चालकों से बात की तो कुछ और ही वजह सामने आई. इसमें कई बार ट्रक चालक की लापरवाही भी दिखी तो कई बार अन्य लोगों की गलती से भी हादसे हुए हैं.
चालक पर रहता है समय पर माल पहुंचाने का दबाव
ईटीवी भारत से इस मामले में लोगों ने अपने विचार साझा किए. लोगों नेे बताया कि हादसों का प्रमुख कारण ट्रक पर लोड किए गए माल को समय से पहंचाने लिए डाला जा रहा दबाव भी है. चालकों ने बताया कि कई बार उनके वाहनों में ऐसा सामान भरा जाता है जो 24 घंटे बाद खराब भी हो सकता है. ऐसे में उस सामान को सुरक्षित और समय से पहुंचाना भी होता है जिससे वाहन कि गति तेज हो जाती है.
यह भी पढ़ें: SPECIAL: पाली की सड़कें खुद ही बयां कर रही बदहाली की कहानी, भारी पड़ रही अफसरों की लापरवाही
महंगाई के चलते ट्रकों पर रहते हैं बिना प्रशिक्षण के चालक
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों ने बताया कि कई ट्रक चालकों ने अपनी सेवाओं के लिए ट्रक ले रखे हैं. लेकिन उनका खर्चा भी वह पूरी तरह से नहीं निकाल पा रहे. ऐसे में वह लोग अपने साथ रखने वाले चालक की जगह सामान्य व्यक्ति को रख देते हैं जो बिना प्रशिक्षण के ही बैठा रहता है. ऐसे में कई बार इन अप्रशिक्षित चालकों के हाथ में वाहन देने से दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
मानसिक दबाव में बन जाते हैं नशे के आदी
ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने बताया कि ट्रक चालकों पर सबसे ज्यादा मानसिक दबाव रहता है. उन्हें महंगाई से जूझते हुए अपने ट्रक का खर्च निकालने के साथ माल को भी सुरक्षित अपने स्थान तक पहुंचाना होता है. इन बीच कई अन्य समस्याएं भी उनके सामने होती है जो उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ देतीं है. ऐसे में धीरे धीरे कर सड़क पर दौड़ती उनकी यह जिंदगी नशे की आदी हो जाती है.
यह भी पढ़ें: Special Report : आर्थिक तंगी से जूझ रहे कोरोना वॉरियर्स ...जीवन यापन भी हुआ मुश्किल
कई बार एक ही चालक 48 घंटे तक लगातार चलाता है वाहन
ईटीवी भारत में जब बढ़ रहे हादसों के बारे में ट्रक चालकों से बात की और तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि ट्रक चालक अपने वेतन के लिए काम करता है. इस वेतन के दौरान ट्रक मालिक कहीं बाहर अच्छे मुनाफे के चक्कर में एक ही ड्राइवर को लंबी दूरी के रास्तों पर भेज देता है. ट्रक चालक को आराम करने का वक्त ही नहीं मिलता। ट्रक चालक बताते हैं कई बार वह लोग 48 घंटे तक लगातार ट्रक चलाते हैं। ऐसे में कई बार ट्रक चलाते समय उन्हें नींद की झपकी भी आ जाती है और लंबे समय तक ट्रक चलाने के लिए उन्हें नशे का सहारा भी लेना होता है. अमूमन सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण ट्रक चालक को नींद आना भी हुआ है.
वसूली के लिए खड़े पुलिस, आरटीओ भी बनते हैं हादसों का कारण
ईटीवी भारत ने जब चालकों से दुर्घटनाओं के संबंध में बात की तो ज्यादातर चालकों ने हाईवे पर आरटीओ और पुलिस वालों की अवैध वसूली एवं प्रताड़ना को हादसे का बड़ा कारण बताया. चालकों ने बताया कि राजस्थान में सबसे ज्यादा आरटीओ की ओर से अवैध वसूली की जाती है. आरटीओ अधिकारी एवं उनके लठमार कहीं भी हाईवे पर खड़े हो जाते हैं. कई बार वह ट्रक रोकने के लिए अचानक से आगे आकर खड़े हो जाते हैं. ऐसे में ट्रक चालक उन्हें बचाने के चक्कर में दुर्घटना कर बैठता है. चालकों ने बताया कि राजस्थान से बाहर निकलने के दौरान उन्हें कई बार 7 से 8 आरटीओ दस्ते को अवैध रूप से रुपये देने पड़ते हैं. ऐसा न करें तो उनका माल कभी समय पर डिलीवर हो ही नहीं पाएगा.
हादसों के आंकड़े
- जिले में पिछले तीन माह में हो चुके हैं 253 एक्सीडेंट
- तीन माह में 60 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है एक्सीडेंट से मौत