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संकट में जीवनः पाली में भी बढ़ रहा प्रदूषण, गर्भ में पल रहा बच्चा भी नहीं सुरक्षित

भारत के प्रदूषित शहरों में पाली भी शामिल है. पाली का प्रदूषण भी इतना खतरनाक हो चुका है, कि यहां लोगों को फेफड़े के कैंसर, टीबी और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां जकड़ रहीं हैं.

पाली में प्रदूषण, Pollution in Pali
पाली में प्रदूषण
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Published : Feb 22, 2020, 11:01 PM IST

पाली. भारत में प्रदूषण की समस्या चिंता का विषय है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हाल ही में जारी की गई प्रदूषण रिपोर्ट और टॉप 10 शहरों के जो नाम जारी किए गए हैं, उनमें से 9 शहर भारत में हैं. यह भारत के लिए चिंताजनक है.

प्रदूषण से गर्भ में पल रहा बच्चा भी नहीं सुरक्षित

प्रदूषण लगातार इतना बढ़ रहा है, कि अब गर्भ में पल रहा बच्चा भी सुरक्षित नहीं है. भारत सरकार ने पिछले दिनों 102 शहरों की प्रदूषण की रिपोर्ट निकाली, जिनमें पाली जिला भी शामिल है. पाली का प्रदूषण भी इतना खतरनाक हो चुका है, कि यहां लोगों को फेफड़े के कैंसर, टीबी और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां जकड़ रहीं हैं. इतना ही नहीं यहां गर्भ में पलने वाले बच्चे पर भी इस प्रदूषण का असर नजर आया है. नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सूर्यकांत त्रिपाठी ने यह बात कही है. उन्होंने अपने शोध को ईटीवी भारत के साथ शेयर किया.

पढ़ेंः पाली: राज्यस्तरीय कॉन्फ्रेंस 'राजपल्मोकोन 2020' का आगाज, 400 से ज्यादा डॉक्टर्स जुटे

डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया, कि उन्होंने पिछले 3 सालों में प्रदूषण के बाद लोगों में रोग को लेकर खासा बदलाव देखा है. अब तक टीबी जैसे रोग लोगों में बीड़ी पीने या संक्रमण से फैल रहे थे. लेकिन पिछले 3 सालों में जो मरीज सामने आए हैं, वह प्रदूषण की वजह से अस्थमा, टीबी और फेफड़े जैसे कैंसर से ग्रसित होकर आए हैं. इसको लेकर सरकार की ओर से एक क्लीन एयर प्रोग्राम भी चलाया गया है. जिसमें पाली जिले को भी शामिल किया है.

पढ़ेंः श्वास रोग पर राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस आज, विख्यात डॉक्टर पेश करेंगे शोधपत्र

उन्होंने बताया, कि शोध में पाया कि प्रदूषित वायु में रहने से गर्भवती मां का बच्चा भी काफी प्रभावित हो रहा है. पाली में भी ऐसे केस सामने आए हैं. जिनमें बच्चों के पैदा होने से पहले ही गर्भ में मौत, बच्चा कम वजन का पैदा होना, पैदा होते ही बच्चे में एलर्जी, निमोनिया, टीबी की बीमारी होना साथ ही बच्चे को मधुमेह होना और 10 साल तक कई प्रकार की बीमारी से ग्रसित होना जैसे कई केस सामने आए.

जब इन सभी केस की जांच की गई तो सीधे तौर पर नजर आया, कि प्रदूषित वातावरण में रहने से गर्भवती मां का बच्चा भी इस प्रदूषण का शिकार होता जा रहा है. इससे सीधे तौर पर कहा जा रहा है, कि प्रदूषण लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है.

प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को खुद ही जागरूक होना पड़ेगा और इस प्रदूषण के आंकड़े को कम करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर उनकी देखभाल करनी होगी. वर्ना आने वाला समय काफी हानिकारक होगा.

पाली. भारत में प्रदूषण की समस्या चिंता का विषय है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हाल ही में जारी की गई प्रदूषण रिपोर्ट और टॉप 10 शहरों के जो नाम जारी किए गए हैं, उनमें से 9 शहर भारत में हैं. यह भारत के लिए चिंताजनक है.

प्रदूषण से गर्भ में पल रहा बच्चा भी नहीं सुरक्षित

प्रदूषण लगातार इतना बढ़ रहा है, कि अब गर्भ में पल रहा बच्चा भी सुरक्षित नहीं है. भारत सरकार ने पिछले दिनों 102 शहरों की प्रदूषण की रिपोर्ट निकाली, जिनमें पाली जिला भी शामिल है. पाली का प्रदूषण भी इतना खतरनाक हो चुका है, कि यहां लोगों को फेफड़े के कैंसर, टीबी और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां जकड़ रहीं हैं. इतना ही नहीं यहां गर्भ में पलने वाले बच्चे पर भी इस प्रदूषण का असर नजर आया है. नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सूर्यकांत त्रिपाठी ने यह बात कही है. उन्होंने अपने शोध को ईटीवी भारत के साथ शेयर किया.

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डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया, कि उन्होंने पिछले 3 सालों में प्रदूषण के बाद लोगों में रोग को लेकर खासा बदलाव देखा है. अब तक टीबी जैसे रोग लोगों में बीड़ी पीने या संक्रमण से फैल रहे थे. लेकिन पिछले 3 सालों में जो मरीज सामने आए हैं, वह प्रदूषण की वजह से अस्थमा, टीबी और फेफड़े जैसे कैंसर से ग्रसित होकर आए हैं. इसको लेकर सरकार की ओर से एक क्लीन एयर प्रोग्राम भी चलाया गया है. जिसमें पाली जिले को भी शामिल किया है.

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उन्होंने बताया, कि शोध में पाया कि प्रदूषित वायु में रहने से गर्भवती मां का बच्चा भी काफी प्रभावित हो रहा है. पाली में भी ऐसे केस सामने आए हैं. जिनमें बच्चों के पैदा होने से पहले ही गर्भ में मौत, बच्चा कम वजन का पैदा होना, पैदा होते ही बच्चे में एलर्जी, निमोनिया, टीबी की बीमारी होना साथ ही बच्चे को मधुमेह होना और 10 साल तक कई प्रकार की बीमारी से ग्रसित होना जैसे कई केस सामने आए.

जब इन सभी केस की जांच की गई तो सीधे तौर पर नजर आया, कि प्रदूषित वातावरण में रहने से गर्भवती मां का बच्चा भी इस प्रदूषण का शिकार होता जा रहा है. इससे सीधे तौर पर कहा जा रहा है, कि प्रदूषण लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है.

प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को खुद ही जागरूक होना पड़ेगा और इस प्रदूषण के आंकड़े को कम करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर उनकी देखभाल करनी होगी. वर्ना आने वाला समय काफी हानिकारक होगा.

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