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प्रदूषण को लेकर कलेक्टर साहब और SP की कल NGT में लगेगी क्लास

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Published : Dec 17, 2019, 10:22 AM IST

पाली में प्रदूषण को लेकर पेश की गई रिपोर्ट को लेकर बुधवार को दिल्ली में सुनवाई होगी. रिपोर्ट में बताया गया कि पाली में संचालित हो रहा एनजीटी का ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ एक पंप हाउस है, जो रंगीन पानी को एक टैंक से दूसरे प्रभावित कर रहा है. हालांकि देखना यह है कि सीईटीपी की ओर से पाली में प्रदूषण मुक्ति का यह कदम कब तक सफल होता है.

पाली न्यूज, pali NEWS
पाली कलेक्टर और एसपी होंगे एनजीटी में पेश

पाली. जिले के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में कमिश्नर प्रोफेसर अजीत प्रताप सिंह की तरफ से पाली के प्रदूषण को लेकर पेश की गई रिपोर्ट को लेकर बुधवार को दिल्ली में सुनवाई होगी. रिपोर्ट में प्रदूषण के हालात काफी चौकाने वाले होने के कारण अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चेयरमैन, सदस्य सचिव, पाली के कलेक्टर और एसपी को भी व्यक्तिगत रूप से एनजीटी में तलब किया गया है.

पाली कलेक्टर और एसपी होंगे एनजीटी में पेश

इसके चलते इन अधिकारियों ने भी एनजीटी में होने वाले सवाल जवाब को लेकर कानूनीविदों का सहयोग लिया है. साथ ही सरकार की तरफ से अब तक प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में उठाए गए, कदमों को लेकर भी ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. दो दिन पहले ही अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग सुबोध अग्रवाल ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चैयरमेन, सदस्य सचिव, कलेक्टर समेत जिले के कई अधिकारियों को जयपुर में बुलाकर साथ में बिंदुवार चर्चा की थी.

पढ़ेंः RSSB ने परीक्षा कैलेंडर के साथ जारी की एडवाइजरी, कड़ाके की ठंड में परीक्षार्थी नहीं पहन सकेंगे कोट और ब्लेजर

जानकारी के अनुसार पाली किसान पर्यावरण संघर्ष समिति द्वारा शहर की फैक्ट्रियों की तरफ से फैलाए जा रहे प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका दायर कर रखी है. इस पर एनजीटी में सुनवाई की जा रही है. सुनवाई के दौरान सीईटीपी फाउंडेशन की तरफ से शहर के ट्रीटमेंट प्लांटों के काफी हद तक मानकों पर संचालित होने का दावा किया था.

इस पर एनजीटी के जज राघवेंद्र सिंह राठौड़ और सदस्य सत्यवान गबरियाल ने सुनवाई के दौरान बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी के प्रोफेसर अजीत प्रताप सिंह को कमिश्नर नियुक्त कर भौतिक स्तर पर सत्यापन करने का कहा था. साथ ही 21 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे. सिंह ने 27 नवंबर को अपनी रिपोर्ट पेश की जो एनजीटी में काफी चौंकाने वाली थी.

पढ़ेंः चूरू: मासूम से दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट सुनाएगी सिर्फ 6 दिन में फैसला

रिपोर्ट में बताया गया कि पाली में संचालित हो रहा एनजीटी का ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ एक पंप हाउस है, जो रंगीन पानी को एक टैंक से दूसरे प्रभावित कर रहा है. इसी प्लांट से निकलने वाले रंगीन पानी से नेहड़ा बांध और बांडी नदी प्रदूषित हो गई और किसानों के संघर्ष की कहानी भी प्रदूषित पानी से शुरू हुई.

इस रिपोर्ट के बाद में एक बार फिर से पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट के काले बादल मंडरा शुरू हो चुके हैं. संकट के बादलों को हटाने के लिए एनजीटी को पाली में जीरो लिक्विड प्लांट स्थापित करना होगा और इसको लेकर सीईटीपी फाउंडेशन की ओर से कवायद शुरू हो चुकी है.

पढ़ेंः यात्रीगण कृपया ध्यान दें, नॉन इंटरलॉकिंग कार्य के कारण 22 ट्रेनें रहेंगी रद्द, 8 होगी आंशिक रद्द

देश की जानी-मानी 11 कंपनियों ने यहां पर टेंडर के लिए आवेदन किया है. हालांकि देखना यह है कि सीईटीपी की ओर से पाली में प्रदूषण मुक्ति का यह कदम कब तक सफल होता है. फिलहाल एनजीटी ने बुधवार को सभी अधिकारियों को सिटी के सदस्यों को इस मामले को लेकर पेश होने के आदेश दे दिए.

पाली. जिले के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में कमिश्नर प्रोफेसर अजीत प्रताप सिंह की तरफ से पाली के प्रदूषण को लेकर पेश की गई रिपोर्ट को लेकर बुधवार को दिल्ली में सुनवाई होगी. रिपोर्ट में प्रदूषण के हालात काफी चौकाने वाले होने के कारण अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चेयरमैन, सदस्य सचिव, पाली के कलेक्टर और एसपी को भी व्यक्तिगत रूप से एनजीटी में तलब किया गया है.

पाली कलेक्टर और एसपी होंगे एनजीटी में पेश

इसके चलते इन अधिकारियों ने भी एनजीटी में होने वाले सवाल जवाब को लेकर कानूनीविदों का सहयोग लिया है. साथ ही सरकार की तरफ से अब तक प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में उठाए गए, कदमों को लेकर भी ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. दो दिन पहले ही अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग सुबोध अग्रवाल ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चैयरमेन, सदस्य सचिव, कलेक्टर समेत जिले के कई अधिकारियों को जयपुर में बुलाकर साथ में बिंदुवार चर्चा की थी.

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जानकारी के अनुसार पाली किसान पर्यावरण संघर्ष समिति द्वारा शहर की फैक्ट्रियों की तरफ से फैलाए जा रहे प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका दायर कर रखी है. इस पर एनजीटी में सुनवाई की जा रही है. सुनवाई के दौरान सीईटीपी फाउंडेशन की तरफ से शहर के ट्रीटमेंट प्लांटों के काफी हद तक मानकों पर संचालित होने का दावा किया था.

इस पर एनजीटी के जज राघवेंद्र सिंह राठौड़ और सदस्य सत्यवान गबरियाल ने सुनवाई के दौरान बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी के प्रोफेसर अजीत प्रताप सिंह को कमिश्नर नियुक्त कर भौतिक स्तर पर सत्यापन करने का कहा था. साथ ही 21 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे. सिंह ने 27 नवंबर को अपनी रिपोर्ट पेश की जो एनजीटी में काफी चौंकाने वाली थी.

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रिपोर्ट में बताया गया कि पाली में संचालित हो रहा एनजीटी का ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ एक पंप हाउस है, जो रंगीन पानी को एक टैंक से दूसरे प्रभावित कर रहा है. इसी प्लांट से निकलने वाले रंगीन पानी से नेहड़ा बांध और बांडी नदी प्रदूषित हो गई और किसानों के संघर्ष की कहानी भी प्रदूषित पानी से शुरू हुई.

इस रिपोर्ट के बाद में एक बार फिर से पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट के काले बादल मंडरा शुरू हो चुके हैं. संकट के बादलों को हटाने के लिए एनजीटी को पाली में जीरो लिक्विड प्लांट स्थापित करना होगा और इसको लेकर सीईटीपी फाउंडेशन की ओर से कवायद शुरू हो चुकी है.

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देश की जानी-मानी 11 कंपनियों ने यहां पर टेंडर के लिए आवेदन किया है. हालांकि देखना यह है कि सीईटीपी की ओर से पाली में प्रदूषण मुक्ति का यह कदम कब तक सफल होता है. फिलहाल एनजीटी ने बुधवार को सभी अधिकारियों को सिटी के सदस्यों को इस मामले को लेकर पेश होने के आदेश दे दिए.

Intro:पाली. जिले के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में कमिश्नर प्रोफेसर अजीत प्रताप सिंह की तरफ से पाली के प्रदूषण को लेकर पेश की गई रिपोर्ट को लेकर बुधवार को दिल्ली में सुनवाई होगी। रिपोर्ट में प्रदूषण के हालात काफी चौकाने वाले होने के कारण अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चेयरमैन, सदस्य सचिव, पाली के कलेक्टर व एसपी को भी व्यक्तिगत रूप से एनजीटी में तलब किया गया है। इसके चलते इन अधिकारियों ने भी एनजीटी में होने वाले सवाल जवाब को लेकर कानूनीविदों का सहयोग लिया है। साथ ही सरकार की तरफ से अब तक प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में उठाए गए कदमों को लेकर भी ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। दो दिन पहले ही अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग सुबोध अग्रवाल ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चैयरमेन, सदस्य सचिव, कलेक्टर समेत जिले के कई अधिकारियों को जयपुर में बुलाकर साथ में बिंदुवार चर्चा की थी।


Body:जानकारी के अनुसार पाली किसान पर्यावरण संघर्ष समिति द्वारा शहर की फैक्ट्रियों की तरफ से फैलाए जा रहे प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका दायर कर रखी है। इस पर एनजीटी में सुनवाई की जा रही है। सुनवाई के दौरान सीईटीपी फाउंडेशन की तरफ से शहर के ट्रीटमेंट प्लांटों के काफी हद तक मानकों पर संचालित होने का दावा किया था। इस पर एनजीटी के जज राघवेंद्र सिंह राठौड़ तथा सदस्य सत्यवान गबरियाल ने सुनवाई के दौरान बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी के प्रोफेसर अजीत प्रताप सिंह को कमिश्नर नियुक्त कर भौतिक स्तर पर सत्यापन करने का कहा था साथ ही 21 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। सिंह ने 27 नवंबर को अपनी रिपोर्ट पेश की जो एनजीटी में काफी चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट में बताया गया कि पाली में संचालित हो रहा एनजीटी का ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ एक पंप हाउस है, जो रंगीन पानी को एक टैंक से दूसरे प्रभावित कर रहा है। इसी प्लांट से निकलने वाले रंगीन पानी से नेहड़ा बांध व बांडी नदी प्रदूषित हो गई और किसानों के संघर्ष की कहानी भी प्रदूषित पानी से शुरू हुई। इस रिपोर्ट के बाद में एक बार फिर से पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट के काले बादल मंडरा शुरू हो चुके हैं। संकट के बादलों को हटाने के लिए एनजीटी को पाली में जीरो लिक्विड प्लांट स्थापित करना होगा और इसको लेकर सीईटीपी फाउंडेशन की ओर से कवायद शुरू हो चुकी है। देश की जानी-मानी 11 कंपनियों ने यहां पर टेंडर के लिए आवेदन किया है। हालांकि देखना यह है कि सीईटीपी की ओर से पाली में प्रदूषण मुक्ति का यह कदम कब तक सफल होता है। फिलहाल एनजीटी ने बुधवार को सभी अधिकारियों को सिटी के सदस्यों को इस मामले को लेकर पेश होने के आदेश दे दिए।


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