पाली. जवाई बांध से जल वितरण को लेकर मामला गरमाया हुआ है. सोमवार को कलेक्ट्रेट में होने वाली (Pali Farmers announces Mahapadav) जल वितरण की बैठक को भी किसानों के बहिष्कार के बाद रद्द करना पड़ा. पाली जिला मुख्यालय पर संभागीय आयुक्त पाली, सिरोही, जालौर के कलेक्टर, एसपी समेत जलदाय विभाग व सिंचाई विभाग के अधिकारी इंतजार करते रहे. लेकिन किसानों ने बैठक का बहिष्कार करते हुए महापड़ाव की घोषणा कर दी. हजारों की संख्या में सुमेरपुर कृषि मंडी प्रांगण में किसान एकत्रित हुए. प्रशासन की ओर से उचित आश्वासन नहीं मिलने के बाद किसानों ने जवाई की ओर कूच कर दिया.
किसानों का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते आवश्यकता से अधिक पानी पेयजल के लिए (Issue of Water Distribution from Jawai Bandh) आरक्षित किया जाता है. जबकि इतने पानी की आवश्यकता नहीं होती. किसान नेताओं ने महापड़ाव में संबोधित करते हुए कहा कि जवाई बांध की जल वितरण कमेटी की बैठक में हर वर्ष प्रति व्यक्ति के हिसाब से रोजाना सप्लाई के आधार पर पानी को पेयजल के लिए आरक्षित किया जाता है. लेकिन जहां शहरी क्षेत्रों में 3 दिन में एक बार जलापूर्ति की जाती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 5 से 7 दिन में जलापूर्ति की जाती है. उनका आरोप है कि अधिकारी पेयजल के नाम पर पानी को औद्योगिक इकाइयों में बेचकर किसानों का हक मार रहे हैं.
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जिला मुख्यालय पर वितरण कमेटी की बैठक में संभागीय आयुक्त समेत तीनों जिले के कलेक्टर, एसपी सुमित, अधिकारी किसानों का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई भी बैठक में नहीं पहुंचा. जबकि आहोर व सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत और छगन सिंह राजपुरोहित किसानों के महापड़ाव में पहुंच कर किसानों का समर्थन किया. किसानों की मांगों को जायज बताते हुए सिंचाई के लिए पानी देने की पैरवी की. वहीं बैठक में किसानों के नहीं पहुंचने पर प्रशासन की ओर से बैठक को स्थगित कर दिया गया. इसके बाद किसानों ने कृषि मंडी से जवाई बांध की ओर पैदल कूच कर दिया.