बाड़मेर : सरहद के उस पार कैद एक इंसान और इस पार उसका इंतजार करता परिवार. यह कोई कहानी नहीं बल्कि राजस्थान के बाड़मेर जिले के धनाऊ गांव के भागुसिंह की हकीकत है. 1986 में मवेशियों को चराते-चराते गलती से भटककर सीमा लांघने वाले भागुसिंह आज भी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. चार दशकों का लंबा इंतजार, न कोई खबर, न कोई पहचान, बस उम्मीद का ही सहारा है. परिवार को ये तक नहीं पता कि वो किस हाल में हैं. उनकी पत्नी लक्ष्मी कंवर और परिवार आज भी उनकी एक झलक पाने के लिए हर दिन आस लगाए बैठे हैं. रविवार को उनके पोते जगदीश की शादी है, इस खुशी के मौके पर परिजनों को बस गम है तो भागुसिंह की गैर मौजूदगी का. परिजनों ने मोदी सरकार के गुहार लगाई है कि भागुसिंह को पाकिस्तान से वापस लाया जाए.
भागु सिंह के बेटे अर्जुन सिंह बताते हैं कि उनके पिता सरहदी गांव गोहड़ का तला में वर्ष 1986 में मवेशियों को चराते समय गलती से सीमा के उस पार चले गए थे, जिसके बाद वह कभी घर नहीं लौटे. उन्हें खबर मिली कि उनके पिता को पाकिस्तानी रेंजर पकड़कर ले गए थे और भागुसिंह को जेल में डाल दिया था. परिवार ने उन्हें वापस लाने के लिए हर जतन किए, सरकार से गुहार लगाई, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हुई.
शादी के जश्न के बीच मुखिया की कमी : अब घर में उनके पोते की शादी का जश्न मनाया जा रहा है. चारों तरफ खुशियों की गूंज है, लेकिन हर चेहरे पर एक अधूरेपन की छाया भी है. भागुसिंह की कमी उनके परिवार में हर किसी को महसूस हो रही है. उनके बेटे अर्जुन सिंह बताते हैं, “पिताजी की गैर मौजूदगी हर खुशी को अधूरा कर देती है. हम चाहते हैं कि वो भी हमारे साथ होते, पोते की शादी में शामिल होते, लेकिन तकदीर ने हमें इस दर्द के साथ छोड़ दिया है.”
कब लौटेंगे भागुसिंह ? : बेटे अर्जुन सिंह ने बताया कि भागु सिंह के लापता होने के बाद परिवार ने हर जगह दरवाजा खटखटाया. कई बार सरकार से गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला. उनकी पत्नी लक्ष्मी कंवर कहती हैं, “हर दिन एक नई उम्मीद लेकर आता है, लेकिन फिर वही इंतजार और वही मायूसी हमारे हिस्से में आती है.
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खुशियों में भी दर्द की परछाईं : भागु सिंह के पोते जगदीश की शादी 16 फरवरी (रविवार) को है. परिवार में तैयारियां जोरों पर हैं, रिश्तेदार आ रहे हैं. घर में गीत-संगीत की महफिलें सज रही हैं, लेकिन इस रंग में कहीं न कहीं एक अधूरी तस्वीर भी है. जगदीश ने बताया कि दादा के बिना यह शादी अधूरी सी लग रही है. पाक विस्थापित संघ के जिलाध्यक्ष नरपतसिंह धारा कहते हैं, “भागुसिंह की कहानी उन कई परिवारों की पीड़ा का प्रतिबिंब है, जो अपनों को खो चुके हैं या सालों से उनकी राह देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह उनकी हालत का पता लगाए और उन्हें वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाए.”
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सरकार से आखिरी आस : इस परिवार ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि भागुसिंह को वापस लाया जाए. परिवार का कहना है कि 40 साल बहुत होते हैं. एक जिंदगी इंतजार में कट गई. सरकार को चाहिए कि इस मामले में संज्ञान ले, पाकिस्तान से जवाब मांगे और इस परिवार को फिर से पूरा करने की कोशिश करे.