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SPECIAL: मानसून ने बदला अपने आने का वक्त, जुलाई के अंत तक अच्छी बारिश की उम्मीद

मौसम की बेरुखी की वजह से इन दिनों पाली का हर बाशिंदा परेशान है. दरअसल, प्रकृति के साथ हुए छेड़छाड़ की वजह से लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. काले बादल तो आते है पर बिना बारिश किए ही चले जाते हैं. जल संसाधन विभाग के अधिकारी जून माह के अंत का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि, जुलाई माह के अंत में उम्मीद से ज्यादा बारिश होगी.

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Published : Jul 19, 2020, 3:02 PM IST

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
मानसून के बदले वक्त से बारिश की थमी रफ्तार

पाली. जिले में 15 जून से ही मानसून ने दस्तक दे दी है. लेकिन पाली का हर बाशिंदा मानसून की बेरुखी के चलते उदास नजर आ रहा है. सावन के 2 सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन पाली में अभी तक नाम मात्र की ही बारिश हुई है. पाली जिले की बात करें तो अभी तक 82.62 एमएम बारिश दर्ज की गई है. ऐसे में सभी लोगों को चिंता सता रही है कि इस बार पाली में मानसून सबकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा या नहीं.

वहीं अधिकारियों का विश्लेषण बता रहा है कि मानसून ने धीरे-धीरे अपना समय बदल दिया है. समय के साथ ही बारिश के दिनों की संख्या भी कम हो गई है. बता दें कि 20 साल पहले हुई बारिश के आंकड़ों को देखें तो बारिश मई माह से शुरू होकर जुलाई तक अपने पूरे चरम पर थी, लेकिन अब जुलाई माह के अंत में बारिश हो रही है.

मानसून के बदले वक्त से बारिश की थमी रफ्तार

ऐसे में इस बार भी अधिकारियों को उम्मीद है कि जून के बाद ही पाली में अच्छी बारिश होगी. हालांकि पिछले 10 दिनों से पाली में घनघोर बादलों ने अपना डेरा डाल रखा है. लेकिन राहत की बूंदे जिले में कहीं भी नहीं बरस पाई है.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
2019 में बारिश की स्थिति

हल्की-फुल्की बारिश के चलते किसानों ने अपने खेतों में बुवाई तो कर दी, लेकिन सिर्फ काले बादल को देखकर किसान चिंता में है. अब किसान मानसून की अच्छी बारिश का इंतजार कर रहा है. वहीं जल संसाधन विभाग के अधिकारी जून माह के अंत का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि, जुलाई माह के अंत में उम्मीद से ज्यादा बारिश होगी.

पढ़ेंः नागौरः डंपर-ट्रेलर में भिड़ंत के बाद लगी भीषण आग, जिंदा जलने से चार की मौत

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उनके द्वारा पिछले 5 सालों और 30 सालों पहले के बारिश का विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण में सामने आया है कि पाली में लगातार मानसून ने अपना समय बदला है. पाली में 1985 तक मानसून मई माह तक अपनी दस्तक दे देता था और जून-जुलाई में अपने पूरे चरम पर रहता था.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
2019 में मानसून की स्थिति

इसके चलते किसानों की फसलों की भी बहुत जल्दी बुवाई होती थी, लेकिन धीरे-धीरे कर मानसून ने अपना समय बदल दिया. अब वर्तमान में जलदाय विभाग मानसून सत्र 15 जून से मानना शुरू करता है, लेकिन पिछले 5 सालों के आंकड़े बताते हैं कि पाली में जून माह के अंत में और जुलाई माह के अंत में मानसून अपने पूरे चरम पर रहता है और अगस्त और सितंबर में सावन जैसी बारिश होती है.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
1985 में दर्ज औसत बारिश

पढ़ेंः पाली: ट्रैक्टर पलटने से किसान की मौत

अधिकारियों ने यह भी बताया कि 20 साल पहले से अब मानसून की बारिश के दिनों में भी अंतर आया है. जहां मानसून सत्र में 20 से 25 दिन का आंकड़ा दर्ज किया जाता था. वह आंकड़ा अब 10 से 12 दिन में खत्म हो रहा है. लेकिन इन सभी के बावजूद पाली में मानसून की बारिश भरपूर हो रही है. अधिकारियों का कहना है कि जिस प्रकार से मानसून अपना समय बदल रहा है वह किसानों के साथ धोखा नहीं है.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
पाली में 1985 के बारिश की स्थिति

वहीं प्रकृति के साथ हो रही छेड़छाड़ का नतीजा है. पाली जिले की बात करें तो अभी 15 जुलाई तक पाली में 82.62 एमएम बारिश दर्ज की गई है. पाली में करीब 175 एमएम बारिश आवश्यक थी, लेकिन मानसून के बदलते समय के चलते यह बारिश अब जुलाई माह के अंत तक संभव है.

पाली. जिले में 15 जून से ही मानसून ने दस्तक दे दी है. लेकिन पाली का हर बाशिंदा मानसून की बेरुखी के चलते उदास नजर आ रहा है. सावन के 2 सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन पाली में अभी तक नाम मात्र की ही बारिश हुई है. पाली जिले की बात करें तो अभी तक 82.62 एमएम बारिश दर्ज की गई है. ऐसे में सभी लोगों को चिंता सता रही है कि इस बार पाली में मानसून सबकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा या नहीं.

वहीं अधिकारियों का विश्लेषण बता रहा है कि मानसून ने धीरे-धीरे अपना समय बदल दिया है. समय के साथ ही बारिश के दिनों की संख्या भी कम हो गई है. बता दें कि 20 साल पहले हुई बारिश के आंकड़ों को देखें तो बारिश मई माह से शुरू होकर जुलाई तक अपने पूरे चरम पर थी, लेकिन अब जुलाई माह के अंत में बारिश हो रही है.

मानसून के बदले वक्त से बारिश की थमी रफ्तार

ऐसे में इस बार भी अधिकारियों को उम्मीद है कि जून के बाद ही पाली में अच्छी बारिश होगी. हालांकि पिछले 10 दिनों से पाली में घनघोर बादलों ने अपना डेरा डाल रखा है. लेकिन राहत की बूंदे जिले में कहीं भी नहीं बरस पाई है.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
2019 में बारिश की स्थिति

हल्की-फुल्की बारिश के चलते किसानों ने अपने खेतों में बुवाई तो कर दी, लेकिन सिर्फ काले बादल को देखकर किसान चिंता में है. अब किसान मानसून की अच्छी बारिश का इंतजार कर रहा है. वहीं जल संसाधन विभाग के अधिकारी जून माह के अंत का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि, जुलाई माह के अंत में उम्मीद से ज्यादा बारिश होगी.

पढ़ेंः नागौरः डंपर-ट्रेलर में भिड़ंत के बाद लगी भीषण आग, जिंदा जलने से चार की मौत

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उनके द्वारा पिछले 5 सालों और 30 सालों पहले के बारिश का विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण में सामने आया है कि पाली में लगातार मानसून ने अपना समय बदला है. पाली में 1985 तक मानसून मई माह तक अपनी दस्तक दे देता था और जून-जुलाई में अपने पूरे चरम पर रहता था.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
2019 में मानसून की स्थिति

इसके चलते किसानों की फसलों की भी बहुत जल्दी बुवाई होती थी, लेकिन धीरे-धीरे कर मानसून ने अपना समय बदल दिया. अब वर्तमान में जलदाय विभाग मानसून सत्र 15 जून से मानना शुरू करता है, लेकिन पिछले 5 सालों के आंकड़े बताते हैं कि पाली में जून माह के अंत में और जुलाई माह के अंत में मानसून अपने पूरे चरम पर रहता है और अगस्त और सितंबर में सावन जैसी बारिश होती है.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
1985 में दर्ज औसत बारिश

पढ़ेंः पाली: ट्रैक्टर पलटने से किसान की मौत

अधिकारियों ने यह भी बताया कि 20 साल पहले से अब मानसून की बारिश के दिनों में भी अंतर आया है. जहां मानसून सत्र में 20 से 25 दिन का आंकड़ा दर्ज किया जाता था. वह आंकड़ा अब 10 से 12 दिन में खत्म हो रहा है. लेकिन इन सभी के बावजूद पाली में मानसून की बारिश भरपूर हो रही है. अधिकारियों का कहना है कि जिस प्रकार से मानसून अपना समय बदल रहा है वह किसानों के साथ धोखा नहीं है.

पाली में बारिश की कमी, Lack of rain in Pali
पाली में 1985 के बारिश की स्थिति

वहीं प्रकृति के साथ हो रही छेड़छाड़ का नतीजा है. पाली जिले की बात करें तो अभी 15 जुलाई तक पाली में 82.62 एमएम बारिश दर्ज की गई है. पाली में करीब 175 एमएम बारिश आवश्यक थी, लेकिन मानसून के बदलते समय के चलते यह बारिश अब जुलाई माह के अंत तक संभव है.

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