पाली. जिले के सबसे बड़े पेयजल स्त्रोत जवाई बांध के पुनर्भरण को लेकर पिछले कई सालों से कवायद चल रही है. पाली के पेयजल स्त्रोत जवाई बांध के पुनर्भरण को लेकर 3000 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए. 600 करोड़ रुपए मिल भी गए, लेकिन इस दौरान सरकारें आईं गईं, कितने वादे किए गए, लेकिन पाली को पेयजल उपलब्ध करवाने का सपना अधूरा ही रह गया. पालीवासियों की हलक तर करने की उम्मीद एक बार फिर से खत्म होती नजर आ रही है.
अबतक डीपीआर भी तैयार नहीं
पाली को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने की कवायद शुरू होने के बाद में तीन सरकारों ने अपने कार्यकाल को पूरा कर लिया. एक बार फिर से चौथी सरकार का भी 1 साल पूरा हो चुका है. इस कार्यकाल के पूरा होने से पहले सरकार की ओर से पाली की जनता को सौगात में जवाई पुनर्भरण का कार्य पूरा करने का वादा किया गया था. लेकिन सरकार ने पदभार ग्रहण करने के बाद शायद जवाई बांध को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है. ऐसे में जवाई पुनर्भरण को लेकर अभी तक डीपीआर भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई है. सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत का कहना है, कि भाजपा सरकार के दौरान पाली की हलक तर करने और जवाई बांध में साल भर तक पानी रह सके, इसको लेकर जवाई पुनर्भरण योजना के लिए 3000 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए.
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इस स्वीकृति के बाद में सरकार की ओर से 600 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए. उस दौरान जवाई पुनर्भरण को लेकर डीपीआर का कार्य करना शुरू कर दिया गया था. लेकिन सरकार के तख्तापलट के बाद में कांग्रेस सरकार ने जवाई पुनर्भरण योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इसलिए 1 साल से जवाई बांध के पुनर्भरण को लेकर कोई भी कार्य की गति आगे नहीं बढ़ पाई है. ऐसे में कुमावत का कहना है, कि सरकार द्वारा जो जनता से वादे किए गए थे, उन वादों पर अब पानी फिरता नजर आ रहा है.
15 सालों से जवाई पुनर्भरण योजना को शुरू करने का दावा
पाली का जवाई बांध पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा मीठे पानी का बांध है. इस बांध से पाली जिले के लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र के लोगों का हलक तर किया जाता है. जिस तरीके से पेयजल को लेकर पाली जिले में समस्याएं सामने आ रहीं हैं. उसके चलते जवाई बांध के पानी को पाली जिले के हर गांव तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. ऐसे में जवाई बांध में पानी और ज्यादा इकट्ठा हो सके, इसको लेकर पिछले 15 सालों से जवाई पुनर्भरण योजना को शुरू करने का दावा किया जा रहा था. पिछली वसुंधरा सरकार के अंतिम कार्यकाल के समय भाजपा सरकार की ओर से सुमेरपुर जवाई बांध के पुनर्भरण को लेकर 3 हजार करोड़ रुपए की बजट स्वीकृति दी गई थी. इसके तहत 600 करोड़ रुपए जवाई पुनर्भरण के डीपीआर तैयार करने के लिए जारी कर दिए गए थे.
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उस समय भी डीपीआर बनाने के लिए कार्य तो शुरू हो गया. लेकिन सरकार के बदलने के बाद कांग्रेस सरकार के आते ही जवाई पुनर्भरण का कार्य ठंडे बस्ते में चला गया. पिछले 1 साल से जवाई बांध पर इस योजना को लेकर किसी भी तरह की प्रगति नहीं हो पाई है. सरकार की उदासीनता के चलते पाली की हलक तर करने की उम्मीद एक बार फिर से खत्म होती नजर आ रही है.