नागौर. डेगाना में 108 एम्बुलेंस के कर्मचारियों की लापरवाही और डॉक्टरों की हठधर्मिता एक युवक की जान पर भारी पड़ गई. लाख कोशिश के बाद भी उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. युवक की पहचान चूरू जिले के राजगढ़ निवासी मनोज के रूप में हुई है.
दरअसल, डेगाना से रेवंत गांव जाने वाली रोड पर ग्रामीणों को यह युवक अचेत हालत में मिला, जिसे 108 एम्बुलेंस की मदद से डेगाना के राजकीय अस्पताल पहुंचाया गया. डॉक्टर ने जांच की तो पता चला कि उसने जहर खाकर खुदकुशी के प्रयास किया है. यहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने उसे अजमेर रैफर कर दिया. लेकिन जिस एम्बुलेंस 108 में उसे अजमेर ले जाया जाना था, उसमें ऑक्सीजन किट ही नहीं था. उस समय डेगाना के राजकीय अस्पताल में ऑक्सीजन के दो-दो किट भी मौजूद थे.
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समय रहते यदि ये ऑक्सीजन किट लगाकर युवक को तत्काल रैफर किया जाता तो शायद मनोज की जान बच सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आनन फानन में करीब 50 किमी दूर छोटी खाटू से दूसरी एम्बुलेंस 108 को डेगाना बुलाया गया. जिसे डेगाना पहुंचने में एक घंटा लगा. इतने समय में मनोज ने अस्पताल में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया. यदि समय रहते अस्पताल में मुहैया ऑक्सीजन किट देकर मौके पर मौजूद एम्बुलेंस 108 से मनोज को तत्काल अजमेर भेज दिया जाता तो, बेहतर उपचार मिलने से शायद उसकी जान बच सकती थी.
इस मामले में एम्बुलेंस 108 के प्रबंधन की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है. जब गंभीर हालत में मरीजों और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में और रैफर करने में ही इस वाहन का प्रयोग होता है, तो ऑक्सीजन किट तक नहीं होना 108 एम्बुलेंस प्रशासन की कार्यशैली पर ही सवालिया निशान लगाती है.
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हालांकि, इस मामले में डेगाना के राजकीय अस्पताल के प्रभारी संजय केडिया का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की कोई कमी नहीं रही. मनोज को बचाने का भरसक प्रयास किया गया और अग्रिम उपचार के लिए रैफर किया गया. लेकिन 108 एम्बुलेंस में ऑक्सीजन किट नहीं था, जिसकी जानकारी उनके जिला प्रभारी को भी दी गई. लेकिन जब तक कोई दूसरा इंतजाम किया जाता, मनोज ने दम तोड़ दिया.