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Special Story : योग से खुद को निरोग रख रहे बल्दु के ग्रामीण, गोल्ड मेडलिस्ट प्रेमाराम दे रहे प्रशिक्षण

नागौर के छोटे से गांव बल्दु में इन दिनों योग के प्रति खासा उत्साह देखा जा रहा है. रोज सुबह 5 से 7 बजे तक बच्चे, युवा और बुजुर्ग योग करते देखे जा सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले गांव के युवा प्रेमाराम लोगों को याेग सिखा रहे हैं. शरीर को स्वस्थ रखने और बामारियों से लड़ने के लिए वे योग को महत्वपूर्ण बताते हैं. देखिए खास रिपोर्ट...

Baldu villagers are keeping themselves healthy with yoga
योग से खुद को निरोग रख रहे बल्दु के ग्रामीण
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Published : Jul 27, 2020, 6:25 AM IST

नागौर. योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि तमाम तरह के रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है. कोरोना काल में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए यह और भी ज्यादा लाभकारी है. जिले के छोटे से गांव बल्दु से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग में गोल्ड मेडल जीतने वाले प्रेमाराम झुरिया ग्रामीणों में योग की अलख जगा रहे हैं. इन दिनों गांव के ही वीर तेजाजी मंदिर परिसर में सुबह 5 से 7 तक शिविर लगाकर वे बच्चों और युवाओं को नि:शुल्क योग सिखा रहे हैं. गांव के स्कूल में भी वे समय-समय पर विशेष शिविर लगाते हैं जिसमें महिलाएं और बुजुर्ग भी आते हैं.

गोल्ड मेडलिस्ट प्रेमाराम दे रहे योग का प्रशिक्षण

प्रेमाराम बताते हैं कि बीएड करने के बाद वे शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे थे, लेकिन पेट संबंधी बीमारी के चलते वे न तो ठीक से भोजन कर पाते थे और न ही पढ़ाई में ध्यान लगता था. तब उनके एक फौजी दोस्त ने उन्हें योग करने की सलाह दी. लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय से उन्होंने योग में मास्टर डिग्री ली. इस दौरान वे नियमित योगाभ्यास करते रहे. बताते हैं कि अब उनका शरीर इतना लचीला हो गया है कि वे जटिल से जटिल योग क्रियाएं भी आसानी से कर लेते हैं.

यह भी पढ़ें : शिक्षा विभाग शैक्षणिक कार्य दिवस के अनुसार करेगा पाठ्यक्रम में कटौती !

प्रेमाराम ने राज्य स्तर पर तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे योग में तीन राष्ट्रीय गोल्ड मेडल और दो अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. अब वे गांव में बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक को योग सिखा रहे हैं. गांव के शिक्षक नंदकिशोर शर्मा का कहना है कि प्रेमाराम ने पहले गांव में अपने दोस्तों को योग सिखाना शुरू किया था. धीरे-धीरे दूसरे युवाओं का भी योग के प्रति उत्साह बढ़ता गया. अब प्रेमाराम नियमित रूप से गांव में योगाभ्यास करवाते हैं जहां बच्चों से लेकर युवा तक सब योग सीखने आते हैं.

Gold medalist Premaram is giving yoga training
गोल्ड मेडलिस्ट प्रेमाराम दे रहे योग का प्रशिक्षण

कॅरियर के लिहाज से भी सहायक

प्रेमानंद की सफलता से उत्साहित होकर गांव की बेटियां भी योग में कॅरियर बनाने की तरफ बढ़ रहीं हैं. गांव की इंदिरा भी योग की राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले चुकी हैं. उन्होंने दो गोल्ड मेडल भी जीते हैं. गांव के वीर तेजाजी मंदिर में काफी बच्चे और युवा योग सीखने आते हैं. गांव के भगवान गेना का कहना है कि बीएससी के साथ वह पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में दौड़ और कसरत के साथ वे नियमित योग भी करते हैं.

यह भी पढ़ें : जोधपुरः कायलाना का घटता जलस्तर, विभाग का दावा नियंत्रण में हालात

अस्पताल में कार्यरत नर्सिंगकर्मी ओमप्रकाश भी यहां नियमित योग करने आते हैं. उनका कहना है कि योग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और कोरोना संक्रमण के दौर में तो यह और ज्यादा लाभकारी है. वीर तेजाजी मंदिर के पुजारी लक्ष्मण का कहना है कि गांव की आबादी करीब 4 हजार है. लेकिन फिलहाल यहां कोरोना संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है. उनका मानना है कि नियमित रूप से योग करके ही कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही इस लड़ाई को जीता जा सकता है.

गांव की बेटी नर्मदा धेतरवाल लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय से योग में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है. उसका कहना है कि प्रेमाराम और इंदिरा ने योग की पढ़ाई कर जो पहचान बनाई है उसे देखकर उसके मन में भी इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने का उत्साह जागा है. उसका कहना है कि यह एक अलग फील्ड है. जिसमें आप खुद स्वस्थ रहने के साथ दूसरों को भी स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

नागौर. योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि तमाम तरह के रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है. कोरोना काल में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए यह और भी ज्यादा लाभकारी है. जिले के छोटे से गांव बल्दु से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग में गोल्ड मेडल जीतने वाले प्रेमाराम झुरिया ग्रामीणों में योग की अलख जगा रहे हैं. इन दिनों गांव के ही वीर तेजाजी मंदिर परिसर में सुबह 5 से 7 तक शिविर लगाकर वे बच्चों और युवाओं को नि:शुल्क योग सिखा रहे हैं. गांव के स्कूल में भी वे समय-समय पर विशेष शिविर लगाते हैं जिसमें महिलाएं और बुजुर्ग भी आते हैं.

गोल्ड मेडलिस्ट प्रेमाराम दे रहे योग का प्रशिक्षण

प्रेमाराम बताते हैं कि बीएड करने के बाद वे शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे थे, लेकिन पेट संबंधी बीमारी के चलते वे न तो ठीक से भोजन कर पाते थे और न ही पढ़ाई में ध्यान लगता था. तब उनके एक फौजी दोस्त ने उन्हें योग करने की सलाह दी. लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय से उन्होंने योग में मास्टर डिग्री ली. इस दौरान वे नियमित योगाभ्यास करते रहे. बताते हैं कि अब उनका शरीर इतना लचीला हो गया है कि वे जटिल से जटिल योग क्रियाएं भी आसानी से कर लेते हैं.

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प्रेमाराम ने राज्य स्तर पर तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे योग में तीन राष्ट्रीय गोल्ड मेडल और दो अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. अब वे गांव में बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक को योग सिखा रहे हैं. गांव के शिक्षक नंदकिशोर शर्मा का कहना है कि प्रेमाराम ने पहले गांव में अपने दोस्तों को योग सिखाना शुरू किया था. धीरे-धीरे दूसरे युवाओं का भी योग के प्रति उत्साह बढ़ता गया. अब प्रेमाराम नियमित रूप से गांव में योगाभ्यास करवाते हैं जहां बच्चों से लेकर युवा तक सब योग सीखने आते हैं.

Gold medalist Premaram is giving yoga training
गोल्ड मेडलिस्ट प्रेमाराम दे रहे योग का प्रशिक्षण

कॅरियर के लिहाज से भी सहायक

प्रेमानंद की सफलता से उत्साहित होकर गांव की बेटियां भी योग में कॅरियर बनाने की तरफ बढ़ रहीं हैं. गांव की इंदिरा भी योग की राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले चुकी हैं. उन्होंने दो गोल्ड मेडल भी जीते हैं. गांव के वीर तेजाजी मंदिर में काफी बच्चे और युवा योग सीखने आते हैं. गांव के भगवान गेना का कहना है कि बीएससी के साथ वह पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में दौड़ और कसरत के साथ वे नियमित योग भी करते हैं.

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अस्पताल में कार्यरत नर्सिंगकर्मी ओमप्रकाश भी यहां नियमित योग करने आते हैं. उनका कहना है कि योग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और कोरोना संक्रमण के दौर में तो यह और ज्यादा लाभकारी है. वीर तेजाजी मंदिर के पुजारी लक्ष्मण का कहना है कि गांव की आबादी करीब 4 हजार है. लेकिन फिलहाल यहां कोरोना संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है. उनका मानना है कि नियमित रूप से योग करके ही कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही इस लड़ाई को जीता जा सकता है.

गांव की बेटी नर्मदा धेतरवाल लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय से योग में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है. उसका कहना है कि प्रेमाराम और इंदिरा ने योग की पढ़ाई कर जो पहचान बनाई है उसे देखकर उसके मन में भी इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने का उत्साह जागा है. उसका कहना है कि यह एक अलग फील्ड है. जिसमें आप खुद स्वस्थ रहने के साथ दूसरों को भी स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

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